भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को कार्यभार संभाले हुए 17 दिसंबर को पूरे 1 साल हो जाएंगे. इस पूरे साल में स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रदेश की जनता के लिए काफी काम किए गए हैं, हालांकि इन कामों के बावजूद भी अगर देखा जाए तो कई चुनौतियां अब भी विभाग के सामने हैं.
प्रदेश में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर बहुत ज्यादा रही. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस बार प्रदेश के बजट में सबसे ज्यादा हिस्सा स्वास्थ्य विभाग को दिया गया. पिछले बजट की तुलना में करीब 26-27% का उछाल प्रदेश बजट में स्वास्थ्य विभाग में देखने को मिला. इस बजट का किन योजनाओं और व्यवस्थाओं में उपयोग किया गया और इस पूरे साल के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या काम किया गया, सरकार की क्या खास उपलब्धियां रहीं, इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट से खास बातचीत.
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने विभाग की उपलब्धियां गिनाते हुए बताया कि प्रदेश डॉक्टर्स की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव से जूझ रहा था. इसके साथ ही खाद्य पदार्थ खासतौर पर दूध और उससे बने पदार्थों के कारण प्रदेश में बीमारियां बढ़ रहीं थीं, इसलिए इन तीन मुद्दों को ध्यान में रखकर पहले योजनाएं बनाई गईं.
राइट टू हेल्थ
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश को देश का सर्वाधिक स्वस्थ प्रदेश बनाना और हर एक व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना उनका उद्देश्य है. इसी के मद्देनजर प्रदेश में 'राइट टू हेल्थ' की पहल की गई. मध्यप्रदेश भारत का ऐसा पहला राज्य होगा जो अपने नागरिकों को स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार देगा. इसके जरिए नागरिकों को निशुल्क उपचार, निशुल्क जांच, निशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी. इसका ड्राफ्ट जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा. राइट टू हेल्थ को कानूनी रूप देने के लिए एक ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई गई है जो व्यवहारिक, कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार करेगी.
शुद्ध के लिए युद्ध
स्वास्थ्य मंत्री ने एक अन्य उपलब्धि बताते हुए जानकारी दी कि प्रदेश में मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चला रहे हैं. इसके तहत 19 जुलाई से लेकर अब तक दूध और दुग्ध उत्पादों, अन्य पदार्थों, पान मसाला सहित 9238 नमूनों की जांच की गई है. इसके साथ ही मिलावट खोरी करने वाले कारोबारियों के खिलाफ 94 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और 32 कारोबारियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है. वहीं नमूनों की जांच के लिए आधुनिक प्रयोगशालाएं जल्द ही इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में बनाई जाएंगी और साथ ही दो और अन्य नयी खाद्य प्रयोगशाला सागर और उज्जैन में भी शुरू करने की योजना है. इसके अलावा दो आधुनिक चलित खाद्य प्रयोगशाला अभी संचालित की जा रही हैं
इसके अलावा खाद्य प्रतिष्ठानों के लिए हाइजीन रेटिंग रिस्पांसिबल प्लेस टू ईट योजना के तहत 1 से 5 रेटिंग वाले हाइजीन रेटिंग तय की गई है. 4 से ज्यादा रेटिंग पाने वाले प्रतिष्ठानों को रिस्पांसिबल प्लेस टू ईट का लेबल दिया जाएगा.
स्टाफ की भर्ती
स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि प्रदेश लगातार डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है, जिसे देखते हुए प्रदेश में अब तक 600 संविदा एनएचएम चिकित्सकों, 1002 बंधपत्र चिकित्सकों और 547 पीएससी बैकलॉग चिकित्सकों की नियुक्ति की है. इसके साथ ही 100 सेवानिवृत्त चिकित्सकों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. अब तक कुल 2249 चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं. वहीं नर्सों की कमी को भी ध्यान में रखते हुए 1033 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति भी की गई है, साथ ही 1550 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भी भर्ती किए गए हैं. इनके अलावा भी 4366 संविदा पैरामेडिकल पदों पर भर्ती, एनएचएम के तहत 279 संविदा होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती और 351 संविदा आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, 80 संविदा यूनानी चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की भी योजना है. साथ ही अगले ढाई सालों में 10,000 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर और एनएचएम के तहत 42 संविदा दंत शल्य चिकित्सकों की भर्ती की जाएंगी.
मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर संजीवनी क्लीनिक
स्वास्थ मंत्री ने बताया कि प्रदेश की जनता को अपने क्षेत्र के आसपास ही स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें, इसके लिए दिल्ली में बनी मोहल्ला क्लीनिक के तर्ज पर प्रदेश में भी संजीवनी क्लीनिक बनाई गई हैं. इसके पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत क्लीनिक भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में खोली गयी हैं. साथ ही मुख्यमंत्री सुषेण संजीवनी योजना भी जल्द ही शुरू की जा सकती है. जिसे प्रदेश के 20 जिलों के 89 अनुसूचित विकास खंडों में शुरू किया जाएगा.
इन उपलब्धियों के अलावा भी पिछले साल में प्रदेश में कई स्वास्थ्य सेवाएं दी गईं. जिनमें डेंगू-मलेरिया के खिलाफ अभियान, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर की ओपीडी का समय बढ़ाना, 700 स्वास्थ्य संस्थाओं का उन्नयन, 42 नई स्वास्थ्य संस्थाएं और 701 ग्रामीण उप स्वास्थ्य केंद्र बनाने की ओर काम किया गया है.