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कुपोषण को खत्म करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने बनाई नई योजनाएं - Chief Minister Kamal Nath

मध्यप्रदेश को कुपोषण से दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने अपने विभाग की आगामी योजनाओं की जानकरी साझा की.

Minister of Women and Child Development, Imrati Devi giving information on malnutrition
कुपोषण पर जानकारी देती महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी
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Published : Feb 15, 2020, 5:01 AM IST

भोपाल। महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने अपने विभाग की आगामी योजनाओं की जानकरी दी. मंत्री इमरती देवी ने बताया कि हमारा पहला लक्ष्य प्रदेश से कुपोषण को हटाना है. जिसको ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं इस साल विभाग की ओर से चलाई जाएंगी. जिसमें सी-सेम, पोषण रसोई, पोषण जागरूकता स्टॉल और बाल शिक्षा केंद्र प्रमुख होगीं. यह सब योजनाएं प्रदेश में कुपोषण के स्तर को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई है.

कुपोषण पर जानकारी देती महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी

सी-सेम-महिला एवं बाल विकास मंत्री के मुताबिक अति गंभीर कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रबन्धन (सी-सेम) कार्यक्रम का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा परिवारों तक बच्चों की उचित देखभाल और उन्हें कुपोषण से मुक्त कराना है. फिलहाल 9 जिलों में सी-सेम कार्यक्रम चलाया जा रहा है. वहीं बाकी 43 जिलों में भी अति गंभीर कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर बिना चिकित्सकीय जटिलता और भूख की जांच में फेल बच्चों को सी-सेम के तहत नामांकित कर भर्ती किया जाएगा.

पोषण रसोई- इसके तहत स्थानीय स्तर पर उपलब्ध और इस्तेमाल किये जाने वाले अनाज, फल और सब्जियों की रेसिपी प्रतियोगिता कराई जाएंगी. इस योजना का उद्देश्य बच्चों, महिलाओं और किशोरी बालिकाओं में कुपोषण और खून की कमी दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विविधता को बढ़ावा देना है. इसके तहत प्रदेश की आंगनवाड़ी में मौजूद और इस्तेमाल होने वाले अनाज, फल और सब्जियों की जिलेवार सूचीबद्ध किया जाएगा. जिसके बाद उपलब्ध अनाज, फल और सब्जियों से मिलने वाले पोषकतत्वों की मात्रा की सारणी प्रतियोगिता के पहले दी जाएगी.

पोषण जागरूकता स्टॉल- इस योजना में आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार के दौरान पोषण जागरूकता स्टॉल लगाएं जाएंगे. जिसके तहत जन समुदाय, घुमन्तु समुदाय आदि के साथ पोषण संवाद किया जाएगा. जिसमें उचित पोषण की जानकारी दी जाएंगी.

बाल शिक्षा केंद्र- आंगनवाड़ी केंद्रों पर स्कूल से पहले गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए उन्हें बाल शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. पहले चरण में 313 बाल शिक्षा केंद्र विकसित किये गए है वहीं अब 800 केंद्रों को विकसित करने का लक्ष्य है.

बता दें कि पिछले काफी सालों से मध्यप्रदेश में कुपोषण का काफी प्रभाव रहा है. प्रदेश में अति कम वजन वाले बच्चों की संख्या एक लाख 30 हज़ार के आसपास है. इसी श्रेणी में मध्य प्रदेश भारत में तीसरे और वेस्टिंग-स्टंटिंग में पांचवें नंबर पर है. इन आंकड़ों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से यह योजनाएं बनाई गयी है.

भोपाल। महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने अपने विभाग की आगामी योजनाओं की जानकरी दी. मंत्री इमरती देवी ने बताया कि हमारा पहला लक्ष्य प्रदेश से कुपोषण को हटाना है. जिसको ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं इस साल विभाग की ओर से चलाई जाएंगी. जिसमें सी-सेम, पोषण रसोई, पोषण जागरूकता स्टॉल और बाल शिक्षा केंद्र प्रमुख होगीं. यह सब योजनाएं प्रदेश में कुपोषण के स्तर को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई है.

कुपोषण पर जानकारी देती महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी

सी-सेम-महिला एवं बाल विकास मंत्री के मुताबिक अति गंभीर कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रबन्धन (सी-सेम) कार्यक्रम का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा परिवारों तक बच्चों की उचित देखभाल और उन्हें कुपोषण से मुक्त कराना है. फिलहाल 9 जिलों में सी-सेम कार्यक्रम चलाया जा रहा है. वहीं बाकी 43 जिलों में भी अति गंभीर कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर बिना चिकित्सकीय जटिलता और भूख की जांच में फेल बच्चों को सी-सेम के तहत नामांकित कर भर्ती किया जाएगा.

पोषण रसोई- इसके तहत स्थानीय स्तर पर उपलब्ध और इस्तेमाल किये जाने वाले अनाज, फल और सब्जियों की रेसिपी प्रतियोगिता कराई जाएंगी. इस योजना का उद्देश्य बच्चों, महिलाओं और किशोरी बालिकाओं में कुपोषण और खून की कमी दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विविधता को बढ़ावा देना है. इसके तहत प्रदेश की आंगनवाड़ी में मौजूद और इस्तेमाल होने वाले अनाज, फल और सब्जियों की जिलेवार सूचीबद्ध किया जाएगा. जिसके बाद उपलब्ध अनाज, फल और सब्जियों से मिलने वाले पोषकतत्वों की मात्रा की सारणी प्रतियोगिता के पहले दी जाएगी.

पोषण जागरूकता स्टॉल- इस योजना में आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार के दौरान पोषण जागरूकता स्टॉल लगाएं जाएंगे. जिसके तहत जन समुदाय, घुमन्तु समुदाय आदि के साथ पोषण संवाद किया जाएगा. जिसमें उचित पोषण की जानकारी दी जाएंगी.

बाल शिक्षा केंद्र- आंगनवाड़ी केंद्रों पर स्कूल से पहले गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए उन्हें बाल शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. पहले चरण में 313 बाल शिक्षा केंद्र विकसित किये गए है वहीं अब 800 केंद्रों को विकसित करने का लक्ष्य है.

बता दें कि पिछले काफी सालों से मध्यप्रदेश में कुपोषण का काफी प्रभाव रहा है. प्रदेश में अति कम वजन वाले बच्चों की संख्या एक लाख 30 हज़ार के आसपास है. इसी श्रेणी में मध्य प्रदेश भारत में तीसरे और वेस्टिंग-स्टंटिंग में पांचवें नंबर पर है. इन आंकड़ों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से यह योजनाएं बनाई गयी है.

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