भोपाल। एमपी में चार सीटों पर हुए उपचुनाव (MP By Election) में भाजपा ने तीन सीटों पर कब्जा किया. भाजपा की यह जीत 2023 में होने वाले चुनावों की ओर साफ इशारा कर रही है. उपचुनाव भाजपा के पक्ष में जाने से यह भी स्पष्ट हो गया है कि जनता अभी भी भारतीय जनता पार्टी पर भरोसा कर रही है और अपना बहुमत दे रही है. वहीं कांग्रेस ने महंगाई, कोरोना काल में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया, लेकिन इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस सफल नहीं हो सकी.
जीत को लेकर आश्वस्त थे सीएम शिवराज
भाजपा की जीत से ऐसा लग रहा है, जैसे उसे रिजल्ट का पहले से पता हो. शायद यही वजह रही कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने सुबह ही बोल दिया कि भाजपा की जीत जनता की जीत है. मोदी और भाजपा सरकार ने जो काम किए हैं, उसका नतीजा इन चुनावी परिणामों में दिख रहा है. इन शब्दों ने साफ कर दिया था कि शिवराज जीत को लेकर काफी आश्वस्त थे. इसके बाद वे सीधे भाजपा कार्यालय पहुंचे, जहां कार्यकर्ताओं ने पहले ही पटाखों की तैयारी कर रखी थी. सीएम के आते ही पटाखों से स्वागत किया गया.
भाजपा ने खुद की परंपरागत सीट गंवाई
चार सीटों पर खास बात ये रही कि परंपरागत सीटों को लेकर जनता का नजरिया बदल गया है. जहां रैगांव बीजेपी की परंपरागत सीट थी, तो वहीं कांग्रेस की दो सीटें- पृथ्वीपुर और जोबट कांग्रेस के गढ़ माने जाते रहे हैं. उन दोनों गढ़ों को बीजेपी ने फतह कर लिया, लेकिन खुद का किला हार गई. हालांकि रैगांव में कहा जा रहा है कि यहां पर कमजोर कैंडिडेट रहा और मंच पर उनका न बोलना .. जनता को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाया. पार्टी को मिल रहे नेगेटिव फीडबैक के चलते यहां पर सत्ता संगठन की पूरी ताकत झोंक दी गई, लेकिन भाजपा को यहां पर निराशा हाथ लगी.
रैगांव में हार की समीक्षा करेगी भाजपा
पार्टी कह रही है कि हार की समीक्षा की जाएगी. आयतित कैंडिडेटों पर भाजपा ने भरोसा जताया और जनता ने भी उन पर उतना ही भरोसा किया, जितना की भाजपा के दिग्गजों ने किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि जो आदिवासी उससे छिटक रहा था. 2018 के चुनावों में आदिवासी कांग्रेस के पक्ष में गया. इन उपचुनावों में भाजपा ने लोकसभा खंडवा की पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की. साथ ही जोबट जो कि कांग्रेस का गढ़ रहा. कांतिलाल भूरिया का वर्चस्व वाला क्षेत्र, लेकिन अब बीजेपी ने प्रदेश के आदिवासियों का दिल जीता है.
बीजेपी का माइक्रोमैनेजमेंट काम आया
सत्ताधारी पार्टी ने कांग्रेस के दो गढ़ तो छीन लिए, लेकिन खुद का गढ़ गंवा दिया. पार्टी इसकी समीक्षा में जुट गई है. इन चुनावों में एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि जनता को फिलहाल बढ़ती मंहगाई से कोई सरोकार नहीं है. इन चुनावों में जनता ने उनके क्षेत्र में विकास के वादे और हुए कामों को तवज्जो दी है. हमने देखा मुख्यमंत्री ने 40 से ज्यादा सभाएं लीं. इसके साथ ही मध्यप्रदेश के कोटे के केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी मैदान में तैनात कर दिया. वहीं संगठन के लोग भी मैदान में डटे रहे. चुनाव प्रबंधन समिति ने एक एक घंटे की रिपोर्ट ली और उस रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रो लेवल पर काम किया.
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दमोह उपचुनाव की गलतियों से लिया सबक
वहीं भितरघात को रोकने पर पैनी नजर रखी गई. दमोह उपचुनाव की गलतियों से सबक भी लिया. जिसका नतीजा रहा कि धनतेरस पर बीजेपी कार्यालय जगमगा उठा और दीवाली मन गई. वहीं कांग्रेस की दिवाली फिकी रही. उसे एक सीट से ही संतुष्ट होना पड़ा और अब कांग्रेस हार की समीक्षा करने में जुट गई है.