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बहुमत की 'लड़ाई' अब कैबिनेट विस्तार पर आई ! दावेदारों को मनाने में जुटे शिवराज

मध्यप्रदेश उपचुनाव के नतीजे आते ही अब एक नई बहस शुरू हो गई है कि शिवराज मंत्रिमंडल में चार रिक्तियां कैसे भरी जाएंगी. इन मंत्री पदों के लिए क्षेत्रवार संतुलन के हिसाब से तमाम बीजेपी दिग्गजों की दावेदारी मानी जा रही है. यहां देखें कि आखिर चार मंत्री पदों का माजरा क्या है..?

Shivraj cabinet expansion
शिवराज कैबिनेट विस्तार
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Published : Nov 11, 2020, 10:10 PM IST

भोपाल। उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार बहुमत के मामले में भले ही मजबूत हो गई हो, लेकिन शिवराज के सामने सबसे बड़ी चुनौती मंत्रिमंडल विस्तार की है कांग्रेस से भाजपा में आए 3 मंत्रियों के चुनाव हारने के बाद अब मंत्रिमंडल में चार और मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है. एक जगह पहले से खाली थी, लेकिन इन 4 जगहों के लिए 7 से ज्यादा विधायक दावा कर रहे हैं. वैसे तो इस उपचुनाव में 14 मंत्री मैदान में थे. जिनमें तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के इस्तीफे के बाद इनकी संख्या 12 हो गई थी. इन मंत्रियों में 9 मंत्री ही अपनी सीट बचाने में कामयाब हो सके हैं. तीन मंत्रियों के हारने के बाद तथ्यात्मक रूप से देखा जाए तो शिवराज के मंत्रिमंडल में 6 रिक्तियां हैं. चूंकि तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह का मंत्री बनना तय है इसलिए मौजूदा खाली स्थानों की संख्या 4 ही मानी जा रही है.

शिव अनुराग पटेरिया

क्या है चुनौती

कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद बनी शिवराज सरकार की कैबिनेट में उस समय क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व जैसे समीकरणों पर ध्यान नहीं रखा गया. फोकस केवल ग्वालियर चंबल क्षेत्र पर था. लिहाजा मंत्रियों की संख्या भी यहां से ज्यादा थी. लेकिन अब विंध्य और महाकौशल के विधायकों को मंत्री पद मिलने की उम्मीद जगी है. इन क्षेत्रों के कई सीनियर नेताओं ने दावेदारी भी पेश की थी. इन क्षेत्रों में सीएम शिवराज पर सबसे ज्यादा विंध्य क्षेत्र के विधायकों का दबाव रहेगा. यहां से सीनियर विधायक गिरीश गौतम ने अभी से मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दावेदारी ठोक दी है. इस कतार में केदार शुक्ला भी पीछे नहीं हैं.

क्या विंध्य को मिलेगा विधानसभा अध्यक्ष या मंत्री पद

विंध्य क्षेत्र के कद्दवार व सीनियर नेता केदार शुक्ला 6 बार के विधायक हैं. लिहाजा बीजेपी पर विंध्य क्षेत्र में प्रतिनिधित्व के संतुलन को बनाए रखने के लिए दबाव होगा. लिहाजा संभावना है कि केदार शुक्ला और गिरीश गौतम को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. खासकर केदार शुक्ला विधानसभा अध्यक्ष पद की रेस में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि निमाड़ से यशपाल सिसोदिया और नर्मदापुरम से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा भी दावेदारी की खबरें भी सामने आ रही हैं.

ये विधायक भी दावेदार

शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे संजय पाठक, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन और राजेंद्र शुक्ला के अलावा नागेंद्र सिंह, रमेश मेंदोला, अजय विश्नोई मंत्री पद की इस दौड़ में शामिल हैं.

एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति

शिवराज मंत्रिमंडल में रिक्तियों की हालत एक अनार सौ दावेदार जैसी हो गई है. इससे कहीं ना कहीं शिवराज सरकार पर दबाव तो जरूर होगा. हालांकि इस मसले पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर शिवराज सिंह चौहान पर कोई दवाब नहीं है. अब सरकार पर किसी तरह का संकट नहीं है. मंत्रिमंडल के विस्तार का फैसला बहुत सावधानी से लिया जाएगा. जल्दबाजी में मंत्रिमंडल का फैसला नहीं होगा.

निगम मंडलों में मिल सकती है जगह

सरकार निगम मंडलों में विधायकों को एडजस्ट कर उन्हें संतुष्ट कर सकती है. उपचुनाव के पहले निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को खनिज विकास निगम का अध्यक्ष और कांग्रेस से बीजेपी में आए प्रद्युम्न सिंह लोधी को खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाया गया था. माना जा रहा है कि सिंधिया समर्थक और बीजेपी के सीनियर विधायकों को निगम मंडलों में जगह दी जा सकती है.

भोपाल। उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार बहुमत के मामले में भले ही मजबूत हो गई हो, लेकिन शिवराज के सामने सबसे बड़ी चुनौती मंत्रिमंडल विस्तार की है कांग्रेस से भाजपा में आए 3 मंत्रियों के चुनाव हारने के बाद अब मंत्रिमंडल में चार और मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है. एक जगह पहले से खाली थी, लेकिन इन 4 जगहों के लिए 7 से ज्यादा विधायक दावा कर रहे हैं. वैसे तो इस उपचुनाव में 14 मंत्री मैदान में थे. जिनमें तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के इस्तीफे के बाद इनकी संख्या 12 हो गई थी. इन मंत्रियों में 9 मंत्री ही अपनी सीट बचाने में कामयाब हो सके हैं. तीन मंत्रियों के हारने के बाद तथ्यात्मक रूप से देखा जाए तो शिवराज के मंत्रिमंडल में 6 रिक्तियां हैं. चूंकि तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह का मंत्री बनना तय है इसलिए मौजूदा खाली स्थानों की संख्या 4 ही मानी जा रही है.

शिव अनुराग पटेरिया

क्या है चुनौती

कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद बनी शिवराज सरकार की कैबिनेट में उस समय क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व जैसे समीकरणों पर ध्यान नहीं रखा गया. फोकस केवल ग्वालियर चंबल क्षेत्र पर था. लिहाजा मंत्रियों की संख्या भी यहां से ज्यादा थी. लेकिन अब विंध्य और महाकौशल के विधायकों को मंत्री पद मिलने की उम्मीद जगी है. इन क्षेत्रों के कई सीनियर नेताओं ने दावेदारी भी पेश की थी. इन क्षेत्रों में सीएम शिवराज पर सबसे ज्यादा विंध्य क्षेत्र के विधायकों का दबाव रहेगा. यहां से सीनियर विधायक गिरीश गौतम ने अभी से मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दावेदारी ठोक दी है. इस कतार में केदार शुक्ला भी पीछे नहीं हैं.

क्या विंध्य को मिलेगा विधानसभा अध्यक्ष या मंत्री पद

विंध्य क्षेत्र के कद्दवार व सीनियर नेता केदार शुक्ला 6 बार के विधायक हैं. लिहाजा बीजेपी पर विंध्य क्षेत्र में प्रतिनिधित्व के संतुलन को बनाए रखने के लिए दबाव होगा. लिहाजा संभावना है कि केदार शुक्ला और गिरीश गौतम को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. खासकर केदार शुक्ला विधानसभा अध्यक्ष पद की रेस में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि निमाड़ से यशपाल सिसोदिया और नर्मदापुरम से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा भी दावेदारी की खबरें भी सामने आ रही हैं.

ये विधायक भी दावेदार

शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे संजय पाठक, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन और राजेंद्र शुक्ला के अलावा नागेंद्र सिंह, रमेश मेंदोला, अजय विश्नोई मंत्री पद की इस दौड़ में शामिल हैं.

एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति

शिवराज मंत्रिमंडल में रिक्तियों की हालत एक अनार सौ दावेदार जैसी हो गई है. इससे कहीं ना कहीं शिवराज सरकार पर दबाव तो जरूर होगा. हालांकि इस मसले पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर शिवराज सिंह चौहान पर कोई दवाब नहीं है. अब सरकार पर किसी तरह का संकट नहीं है. मंत्रिमंडल के विस्तार का फैसला बहुत सावधानी से लिया जाएगा. जल्दबाजी में मंत्रिमंडल का फैसला नहीं होगा.

निगम मंडलों में मिल सकती है जगह

सरकार निगम मंडलों में विधायकों को एडजस्ट कर उन्हें संतुष्ट कर सकती है. उपचुनाव के पहले निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को खनिज विकास निगम का अध्यक्ष और कांग्रेस से बीजेपी में आए प्रद्युम्न सिंह लोधी को खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाया गया था. माना जा रहा है कि सिंधिया समर्थक और बीजेपी के सीनियर विधायकों को निगम मंडलों में जगह दी जा सकती है.

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