भोपाल। वन्य प्राणियों को गोद लेने के लिए शुरू गई एडॉप्शन स्कीम में इस साल किसी भी वन्य प्राणि को गोद नसीब नहीं हुई. भोपाल के वन विहार से एक भी जानवर को गोद लेने के लिए किसी भी व्यक्ति या संस्था नें रुचि नहीं दिखाई है. पिछले 12 साल में वन विहार से 78 वन्य प्राणियों को गोद लिया गया था. पिछले साल भी 4 वन्य प्राणी एडॉप्ट किए गए थे, लेकिन इस साल किसी ने भी इस एटॉप्टेशन स्कीम में रुचि नहीं दिखाई.
कब किसे मिली 'गोद'
वन विहार में आमतौर पर हर साल 3 से 4 वन्य प्राणी गोद लिए जाते हैं. साल 2016 में सबसे ज्यादा 7 वन्य प्राणियों को गोद लिया गया था. वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक गोद लेने पर मिलने वाली राशि का उपयोग वन्य प्राणियों के रखरखाव पर किया जाता है. वन विहार को जानवरों को गोद देने से अभी तक वन विहार को 75 लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई है. भोपाल वन बिहार में बाघ, सफेद बाघ, तेंदुआ, हायना, घड़ियाल और कछुआ की संख्या करीब 123 हैं. वन विहार सिर्फ राष्ट्रीय उद्यान ही नहीं, बल्कि रेस्क्यू सेंटर, और ब्रीडिंग सेंटर भी है.
साल 2021 - एक भी नहीं
साल 2020 - 4 वन्य प्राणियों को गोद लिया गया.
पिछले 12 साल में - 78 वन्य प्राणी गोद लिए गए.
सबसे ज्यादा बार- 30 बार बाघों को गोद लिया गया.
अजगर- 24 बार पाइथन (अजगर) 2019 में 2, 2018 में 3 अजगर गोद लिए गए.
2009 में लाई गई थी एडॉप्शन स्कीम
- वन्य प्राणियों को लेकर लोगों में जागरूकता लाने और उनके प्रति लगाव पैदा करने के लिए साल 2009 से वन्य प्राणियों को गोद लेने एनिमल एडॉप्शन स्कीम लांच की गई थी.
- इस स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति संस्था या संगठन वाइल्ड एनिमल को एडॉप्ट कर सकता है. इसके लिए राशि निर्धारित की गई है.
- वन्य प्राणी को गोद लेने या टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कोई भी वस्तु दान करने पर इनकम टैक्स की धारा 80 जी (5) के तहत आयकर में छूट का लाभ मिलता है.
- एनिमल एडॉप्शन करने वालों का नाम एनिमल के इनक्लोजर पर लगाया जाता है. इसके अलावा वन्य प्राणि को एडॉप्ट करने वाले व्यक्ति या संस्था को वन विहार में एंट्री फ्री होती है.
यह है वन्य प्राणी को गोद लेने की प्रक्रिया
वन विहार में किसी वन्य प्राणी को गोद लेने के लिए विहार में एक सादे कागज पर आवेदन देना होता है. आवेदन के बाद गोद लिए जाने वाले जानवर को गोद लिए जाने पर तय की गई निर्धारित की गई पूरी राशि एडवांस में जमा करना होती है. इसके बाद वन विहार द्वारा एडॉप्ट करने वाले व्यक्ति या संस्था को सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. जिसका उपयोग आयकर छूट में लाभ मिलने के लिए किया जाता है.
किसका, कितना एडॉप्शन रेट
टाइगर और लॉयन - 1 साल के लिए 2 लाख की राशि निर्धारित है. इसी तरह 6 माह के लिए 1 लाख, 3 माह के लिए 50,000 और 1 माह के लिए 17,000 की राशि तय की गई है.
पेंथर - तेंदुए को गोद लेने के लिए 1 साल या 6 माह के लिए 1 लाख , 3 माह के लिए 25,000 और 1 माह के लिए 9,000 देने होते हैं.
भालू- 1 साल 1 लाख, 6 माह 50 हजार, 3 माह के लिए 25 हजार और 1 माह के लिए 9 हजार रुपए की राशि तय है.
लकड़बग्घा (हाइना) -1 साल 36 हजार, 6 माह 19000, 3 माह 10,000 और 1 माह के लिए 4 हजार की राशि तय है.
सियार - 1 साल 30 हजार, 6 माह 16 हजार, 3 माह 9 हजार और 1 माह के लिए 3500 की राशि देनी होती है.
घड़ियाल - 1 साल 36 हजार, 6 माह 19 हजार 3 माह 10 हजार और 1 माह के लिए 4000 की राशि निर्धारित है.
अजगर- अजगर को गोद लेना सबसे सस्ता है. इसे 1 साल के लिए 8 हजार , 6 माह 4500, तीन माह के लिए 2300 रुपए और 1 माह के लिए 800 रुपए की राशि देनी होती है. वन्य प्राणी को गोद लेने का मतलब यह नहीं है कि आप उसे अपने साथ ले जा सकते हैं या घर पर उसकी केयर कर सकते हैं. एडॉप्शन के लिए आपकी दी गई राशि का उपयोग वन विहार में उस वन्य प्राणी की देखरेख में हो रहे खर्चे में किया जाता है.
कमजोर और घायल जानवरों की होती है देखरेख
भोपाल के बड़े तालाब से सटे वन विहार राष्ट्रीय उद्यान 26 जनवरी 1983 को स्थापित किया गया था. करीब 445 हेक्टेयर वन भूमि पर फैला यह राष्ट्रीय उद्यान, रेस्क्यू सेंटर, चिड़ियाघर और जानवरों का ब्रीडिंग सेंटर भी है. वन विहार में सबसे ज्यादा ऐसे वन्य प्राणी हैं जो कमजोर, रोग ग्रसित, घायल या फिर जंगलों से भटक कर ग्रामीण व शहरी इलाकों में आ गए थे. इन वन्य प्राणियों को उनके ठीक होने तक वन विहार में रखकर फिर उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है.