छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद नकुलनाथ कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. सांसद नकुलनाथ ने खुद कोरोना पॉजिटिव की जानकारी ट्वीट करके दी. नकुलनाथ ने कहा कि 'मुझे पिछले 2 दिनों से कोरोना वायरस के हल्के लक्षण महसूस हो रहे थे. मैंने कोविड टेस्ट करवाया जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.
प्रदेश में दिवाली के अगले दिन युद्ध की सदियों पुरानी परंपरा हिंगोट युद्ध इस बार नहीं मनाया जाएगा. इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के कारण इसकी अनुमति नहीं दी है.
पूर्व सांसद कैलाश नारायण सारंग का पार्थिव शरीर उनके निवास के बाद बीजेपी कार्यालय में रखा गया. जहां पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कैलाश सारंग के अंतिम दर्शन किए. इस दौरान बीजेपी कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री निवास पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने परिवार के साथ गोवर्धन पूजा की. इस मौके पर शिवराज सिंह ने कहा कि गाय की पूजा धार्मिक अनुष्ठान के जियो और जीने दो का मंत्र है.
बैतूल में ग्वाल समाज के लोगों ने सदियों से एक अनूठी परंपरा को निभा रहे हैं. इसमें गाय के ताजे गोबर और गोमूत्र से गोवर्धन पर्वत बनाता है, और पर्वत की पारंपरिक विधि विधान के अनुसार पूजन होता है. पूजा के बाद उस गोबर के पर्वत पर बच्चों को लिटाया जाता है.
पूर्व कांग्रेस विधायक विनोद डागा मंदिर में पूजा कर रहे थे, इस दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौके पर ही उनकी मौत हो गई. पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.
ग्वालियर शहर में एक बार फिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का गुणगान किया गया. अखिल भारत हिंदू महासभा ने अपने कार्यालय में नाथूराम जिंदाबाद के नारे लगाते हुए महाआरती की है.
राजधानी भोपाल का एयर क्वालिटी इंडेक्स स्तर असर दिवाली के दूसरे दिन 300 के पार पहुंच गया है, जो कि काफी हानिकारक माना जाता है. जिससे सांस लेने की तकलीफ वाली बीमारियां होती है.
मध्यप्रदेश में रविवार को 870 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं, संक्रमितों की संख्या 1,83,927 हो गई है. रविवार को कोरोना संक्रमित 07 मरीजों की मौत भी हुई है, मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 3090 हो गया है. आज 722 संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं. अब तक प्रदेश में 1,71,691 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, जबकि 9146 मरीज एक्टिव हैं.
झाबुआ जिले में आदिवासियों में गातला स्थापित करने की परंपरा सालों से चली आ रही है. लोगों का मानना है कि परिजन की अकाल मृत्यु के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए गातला स्थापित किया जाता है.