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समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में पहले स्थान पर पहुंचा मध्य प्रदेश, इस साल 74 फीसदी की बढ़ोतरी - Wheat purchased in MP

मध्यप्रदेश ने गेहूं खरीदी के मामले में हर बार प्रथम आने वाले राज्य पंजाब को पीछे छोड़कर पहला स्थान हासिल कर लिया है, इस बार प्रदेश ने 127 लाख 76 हजार 628 मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की है.

भोपाल
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Published : Jun 9, 2020, 12:57 PM IST

भोपाल| लॉकडाउन के दौरान तमाम परेशानियों के बीच मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अब मध्य प्रदेश पंजाब को पीछे छोड़कर गेहूं खरीदी के मामले में प्रथम स्थान पर आ गया है , यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है, क्योंकि अब तक यह स्थान पंजाब को ही मिलता रहा है. बीती रात 12:12 बजे 127 लाख 76 हजार 628 मैट्रिक टन गेहूं खरीद कर मध्यप्रदेश में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है.

पंजाब में 127 लाख 67 हजार 473 मैट्रिक टन गेहूं खरीदा हुई है. वहां 31 मई को गेहूं खरीदी बंद हो चुकी है, जबकि मध्य प्रदेश के 4 जिलों (भोपाल, शाजापुर, देवास और उज्जैन) में खरीदी का काम चल रहा है, इसलिए यह आंकड़ा अभी और बढ़ने की संभावना बनी हुई है.

प्रदेश में इस बार 74 फीसदी अधिक गेहूं उपार्जित किया गया है, पिछले साल 73 लाख 69 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था, इस बार अभी तक 118 लाख मैट्रिक टन गेहूं का सुरक्षित भंडारण किया जा चुका है. उधर पूरे देश में 3 करोड़ 86 लाख 54 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खरीद के इस रिकॉर्ड पर किसान और खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है.

देश में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक गेहूं खरीदी पंजाब राज्य ही करता आया है, इस बार मध्यप्रदेश ने इस प्रतिमान को रचा है जबकि लॉकडाउन के वजह से गेहूं खरीदी 25 मार्च की जगह 15 अप्रैल से शुरू की गई थी इसके लिए 4 ,529 केंद्र बनाए गए थे और इन केंद्रों पर उपजन का काम शुरू किया गया था.

सरकार की रणनीति

मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं उपार्जन के लिए प्रभावी रणनीति बनाई थी पिछले साल किए गए उपार्जन से बढ़कर 100 लाख मेट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए बारदानों और भंडारण की व्यवस्था की गई. कोरोना की विषम परिस्थिति के कारण उपार्जन कार्य देर से शुरू हो पाया था, सरकार इस बात के लिए सचेत थी कि मंदी और आवागमन बाधित होने के कारण किसानों से पिछले साल की अपेक्षा कहीं ज्यादा उपार्जन कम अवधि में करना होगा. सरकार द्वारा तुरंत ही अतिरिक्त बारदानों और भंडारण की व्यवस्था की गई. लॉकडाउन में ही कार्य करते हुए 10 लाख मैट्रिक टन के लिए भंडारण की अतिरिक्त व्यवस्था की गई.

ज्यादा किसानों से कम अवधि में ज्यादा उपार्जन

सबसे बड़ी चुनौती ज्यादा किसानों से कम अवधि में ज्यादा उपार्जन करना था, इसके लिए पिछले वर्ष उपार्जन केंद्रों की संख्या 3,545 को बढ़ाकर 4,529 केंद्र निर्धारित की गई. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी गई, साथ ही किसानों को बाकायदा एसएमएस भेजने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई थी, एसएमएस प्राप्त होने के बाद किसान खरीदी केंद्रों पर पहुंच रहे थे, सही समय पर खरीदी पूर्ण करने की चुनौती को देखते हुए पहली बार यह सुविधा की गई कि कलेक्टर स्वयं एक-एक केंद्र पर एसएमएस संख्या निर्धारित कर सकें, किसानों को कोरोना के प्रति सजग रहने और अन्य जानकारी देने के लिए 75 लाख एसएमएस भेजे गए हैं.

इस दौरान राज्य सरकार के द्वारा गेहूं उपार्जन की राशि सीधे किसानों के खातों में औसतन 1 सप्ताह अंदर भेज दी गई. अभी तक 14 लाख 19 हजार किसानों के खातों में 20 हजार 253 करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है. किसानों को समय से भुगतान हो सके इसके लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था उपार्जन अवधि के पूर्व ही सुनिश्चित की गई, जिससे कभी भी किसानों को भुगतान में विलंब की स्थिति निर्मित नहीं हुई है.

भोपाल| लॉकडाउन के दौरान तमाम परेशानियों के बीच मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अब मध्य प्रदेश पंजाब को पीछे छोड़कर गेहूं खरीदी के मामले में प्रथम स्थान पर आ गया है , यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है, क्योंकि अब तक यह स्थान पंजाब को ही मिलता रहा है. बीती रात 12:12 बजे 127 लाख 76 हजार 628 मैट्रिक टन गेहूं खरीद कर मध्यप्रदेश में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है.

पंजाब में 127 लाख 67 हजार 473 मैट्रिक टन गेहूं खरीदा हुई है. वहां 31 मई को गेहूं खरीदी बंद हो चुकी है, जबकि मध्य प्रदेश के 4 जिलों (भोपाल, शाजापुर, देवास और उज्जैन) में खरीदी का काम चल रहा है, इसलिए यह आंकड़ा अभी और बढ़ने की संभावना बनी हुई है.

प्रदेश में इस बार 74 फीसदी अधिक गेहूं उपार्जित किया गया है, पिछले साल 73 लाख 69 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था, इस बार अभी तक 118 लाख मैट्रिक टन गेहूं का सुरक्षित भंडारण किया जा चुका है. उधर पूरे देश में 3 करोड़ 86 लाख 54 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खरीद के इस रिकॉर्ड पर किसान और खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग की पूरी टीम को बधाई दी है.

देश में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक गेहूं खरीदी पंजाब राज्य ही करता आया है, इस बार मध्यप्रदेश ने इस प्रतिमान को रचा है जबकि लॉकडाउन के वजह से गेहूं खरीदी 25 मार्च की जगह 15 अप्रैल से शुरू की गई थी इसके लिए 4 ,529 केंद्र बनाए गए थे और इन केंद्रों पर उपजन का काम शुरू किया गया था.

सरकार की रणनीति

मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं उपार्जन के लिए प्रभावी रणनीति बनाई थी पिछले साल किए गए उपार्जन से बढ़कर 100 लाख मेट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए बारदानों और भंडारण की व्यवस्था की गई. कोरोना की विषम परिस्थिति के कारण उपार्जन कार्य देर से शुरू हो पाया था, सरकार इस बात के लिए सचेत थी कि मंदी और आवागमन बाधित होने के कारण किसानों से पिछले साल की अपेक्षा कहीं ज्यादा उपार्जन कम अवधि में करना होगा. सरकार द्वारा तुरंत ही अतिरिक्त बारदानों और भंडारण की व्यवस्था की गई. लॉकडाउन में ही कार्य करते हुए 10 लाख मैट्रिक टन के लिए भंडारण की अतिरिक्त व्यवस्था की गई.

ज्यादा किसानों से कम अवधि में ज्यादा उपार्जन

सबसे बड़ी चुनौती ज्यादा किसानों से कम अवधि में ज्यादा उपार्जन करना था, इसके लिए पिछले वर्ष उपार्जन केंद्रों की संख्या 3,545 को बढ़ाकर 4,529 केंद्र निर्धारित की गई. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी गई, साथ ही किसानों को बाकायदा एसएमएस भेजने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई थी, एसएमएस प्राप्त होने के बाद किसान खरीदी केंद्रों पर पहुंच रहे थे, सही समय पर खरीदी पूर्ण करने की चुनौती को देखते हुए पहली बार यह सुविधा की गई कि कलेक्टर स्वयं एक-एक केंद्र पर एसएमएस संख्या निर्धारित कर सकें, किसानों को कोरोना के प्रति सजग रहने और अन्य जानकारी देने के लिए 75 लाख एसएमएस भेजे गए हैं.

इस दौरान राज्य सरकार के द्वारा गेहूं उपार्जन की राशि सीधे किसानों के खातों में औसतन 1 सप्ताह अंदर भेज दी गई. अभी तक 14 लाख 19 हजार किसानों के खातों में 20 हजार 253 करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है. किसानों को समय से भुगतान हो सके इसके लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था उपार्जन अवधि के पूर्व ही सुनिश्चित की गई, जिससे कभी भी किसानों को भुगतान में विलंब की स्थिति निर्मित नहीं हुई है.

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