ETV Bharat / state

मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल रखेगा सॉफ्टवेयर के जरिये डॉक्टरों का पूरा हिसाब

मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल एक सॉफ्टवेयर तैयार करने जा रहा है. जिसमें मेडिकल छात्रों का पूरा रिकॉर्ड होगा, जिसमें उनकी उपस्थिति, ग्रामीण क्षेत्रों में दी गई सेवा की जानकारी के साथ अन्य जानकारी भी रहेगी.

Software will keep a full account of doctors
सॉफ्टवेयर रखेगा डॉक्टरों का पूरा हिसाब
author img

By

Published : Jan 8, 2020, 2:49 PM IST

भोपाल। अक्सर यह देखा जाता है कि अपनी डिग्री चाहे वह ग्रेजुएशन की हो या पोस्ट ग्रेजुएशन की हो उसे पूरा करने के बाद मेडिकल के छात्र ग्रामीण सेवा नहीं देते या देते भी है तो उस बांड के तहत पूरी नहीं करते जो उन्होंने भरा होता है .इसके कारण सरकार के इस नियम का उल्लंघन होता है कि मेडिकल छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना जरूरी है. पर अब इस समस्या के समाधान के लिए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल एक सॉफ्टवेयर तैयार करने जा रहा है जिसमें मेडिकल के छात्रों की उपस्थिति, उनकी ग्रामीण सेवा की जानकारी समेत कई जानकारियां रहेगी.

सॉफ्टवेयर रखेगा डॉक्टरों का पूरा हिसाब


2001 से लेकर अब तक के रिकॉर्ड को किया जा रहा इकट्ठा
सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी देते हुए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के डिप्टी रजिस्ट्रार पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि हम साल 2001 से लेकर अब तक के रिकॉर्डस इकट्ठा कर रहे है. रिकॉर्डस में कितने डॉक्टर्स ने अपना बॉड पूरा किया, कितनों ने ग्रामीण सेवा दी और बॉड पूरा न करने पर कितने डॉक्टर्स ने जुर्माना नहीं भरा है, इसके लिए काउन्सिल ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन से पूरी जानकारी मंगवाई है. जिसके बाद रिकॉर्डस को सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा.


डॉक्टर्स का किया जा सकता है पंजीयन निरस्त
आगे उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के बनने से सभी डॉक्टर्स की जानकरी होंगी और यदि किसी भी डॉक्टर ने शर्तों के मुताबिक काम नहीं किया होगा तो उसका पंजीयन निरस्त किया जाएगा. बता दें कि बॉड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस भेजकर एक मौका दिया जाएगा कि वह जुर्माना भरें या फिर ग्रामीण क्षेत्र में जाकर अपनी सेवा दें. यदि इसके बाद भी डॉक्टर ऐसा नहीं करते है तो उनका पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा.


हाई पावर कमेटी का किया जाएगा गठन
बॉड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले मामलों की जांच के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित की गई है. साथ ही सभी डीन को 16 जनवरी तक सीएमई को रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा गया है. बता दें कि साल 2002 में सरकार ने ग्रामीण सेवा बॉड का नियम लागू किया था पर कड़ी निगरानी नहीं होने के कारण कम ही डॉक्टर इस बॉड को पूरा करते है.

भोपाल। अक्सर यह देखा जाता है कि अपनी डिग्री चाहे वह ग्रेजुएशन की हो या पोस्ट ग्रेजुएशन की हो उसे पूरा करने के बाद मेडिकल के छात्र ग्रामीण सेवा नहीं देते या देते भी है तो उस बांड के तहत पूरी नहीं करते जो उन्होंने भरा होता है .इसके कारण सरकार के इस नियम का उल्लंघन होता है कि मेडिकल छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना जरूरी है. पर अब इस समस्या के समाधान के लिए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल एक सॉफ्टवेयर तैयार करने जा रहा है जिसमें मेडिकल के छात्रों की उपस्थिति, उनकी ग्रामीण सेवा की जानकारी समेत कई जानकारियां रहेगी.

सॉफ्टवेयर रखेगा डॉक्टरों का पूरा हिसाब


2001 से लेकर अब तक के रिकॉर्ड को किया जा रहा इकट्ठा
सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी देते हुए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के डिप्टी रजिस्ट्रार पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि हम साल 2001 से लेकर अब तक के रिकॉर्डस इकट्ठा कर रहे है. रिकॉर्डस में कितने डॉक्टर्स ने अपना बॉड पूरा किया, कितनों ने ग्रामीण सेवा दी और बॉड पूरा न करने पर कितने डॉक्टर्स ने जुर्माना नहीं भरा है, इसके लिए काउन्सिल ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन से पूरी जानकारी मंगवाई है. जिसके बाद रिकॉर्डस को सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा.


डॉक्टर्स का किया जा सकता है पंजीयन निरस्त
आगे उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के बनने से सभी डॉक्टर्स की जानकरी होंगी और यदि किसी भी डॉक्टर ने शर्तों के मुताबिक काम नहीं किया होगा तो उसका पंजीयन निरस्त किया जाएगा. बता दें कि बॉड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस भेजकर एक मौका दिया जाएगा कि वह जुर्माना भरें या फिर ग्रामीण क्षेत्र में जाकर अपनी सेवा दें. यदि इसके बाद भी डॉक्टर ऐसा नहीं करते है तो उनका पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा.


हाई पावर कमेटी का किया जाएगा गठन
बॉड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले मामलों की जांच के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित की गई है. साथ ही सभी डीन को 16 जनवरी तक सीएमई को रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा गया है. बता दें कि साल 2002 में सरकार ने ग्रामीण सेवा बॉड का नियम लागू किया था पर कड़ी निगरानी नहीं होने के कारण कम ही डॉक्टर इस बॉड को पूरा करते है.

Intro:भोपाल- अक्सर यह देखा जाता है कि अपनी डिग्री चाहे वह ग्रेजुएशन की हो या पोस्ट ग्रेजुएशन की हो उसे पूरा करने के बाद मेडिकल के छात्र ग्रामीण सेवा नहीं देते या देते भी है तो उस बांड के तहत पूरी नहीं करते जो उन्होंने भरा होता है ,इसके कारण सरकार के इस नियम का उल्लंघन होता है कि मेडिकल छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना जरूरी है। पर अब इस समस्या के समाधान के लिए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल एक सॉफ्टवेयर तैयार करने जा रहा है जिसमें मेडिकल के छात्रों की उपस्थिति, उनकी ग्रामीण सेवा की जानकारी समेत कई जानकारियां रहेगी।


Body:सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी देते हुए मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के डिप्टी रजिस्ट्रार पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि हम साल 2001 से लेकर अब तक की जानकारी इकट्ठा कर रहे है कि कितने डॉक्टर्स ने अपना बांड पूरा किया,कितनों ने ग्रामीण सेवा दी या नहीं दी और बांड पूरा न करने पर कितने डॉक्टर्स ने जुर्माना नहीं भरा है। इसके लिए कॉउन्सिल ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन से पूरी जानकारी मंगवाई है जिसे सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर के बनने से हमारे पास सभी डॉक्टर्स की जानकरी होंगी और यदि किसी भी डॉक्टर ने शर्तों के मुताबिक काम नहीं किया होगा तो उसका पंजीयन निरस्त किया जाएगा।


Conclusion:बांड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस भेजकर एक मौका दिया जाएगा कि वह जुर्माना भरें या फिर ग्रामीण क्षेत्र में जाकर अपनी सेवा दें। यदि इसके बाद भी डॉक्टर ऐसा नहीं करते है तो उनका पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा। बांड की शर्तों का उल्लंघन करने वाले मामलों की जांच के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित की गई है। साथ ही सभी डीन को 16 जनवरी तक सीएमई को रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा गया है। बता दें कि साल 2002 में सरकार ने ग्रामीण सेवा बांड का नियम लागू किया था पर कड़ी निगरानी नहीं होने के कारण कम ही डॉक्टर इस बांड को पूरा करते है। बाइट- पुरूषोतम शर्मा डिप्टी रजिस्ट्रार, मध्य प्रदेश मेडिकल कॉउन्सिल नोट- अपडेटेड पैकेज।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.