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मध्य प्रदेश लोकायुक्त की गंभीर स्थिति, विशेष न्यायालयों में अक्टूबर 2019 तक 921 प्रकरण लंबित - मध्य प्रदेश लंबित प्रकरण

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के प्रकरणों को लेकर बड़ी ही गंभीर स्थिति है. आलम यह है कि साल 2003 से लेकर अक्टूबर 2019 तक प्रदेश के विशेष न्यायालय में 921 प्रकरण लंबित हैं.

Lots of pending cases in Madhya Pradesh Lokayukta
मध्य प्रदेश लोकायुक्त में लंबित ढेरों प्रकरण
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Published : Aug 24, 2020, 9:54 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के प्रकरणों को लेकर बड़ी ही गंभीर स्थिति है. मध्य प्रदेश लोकायुक्त के विशेष न्यायालयों में अब तक कुल 921 प्रकरण लंबित हैं, तो वहीं 246 मामलों में अभिमत की स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है. इसके अलावा विभागीय जांच के भी करीब 170 मामले लंबित हैं, जिन पर जांच जारी है. जिसमें पुलिस, स्कूल शिक्षा, पीएचई, राजस्व, कृषि विभाग समेत जल संसाधन विभाग के मामले शामिल हैं.

मध्य प्रदेश लोकायुक्त में लंबित ढेरों प्रकरण

चौंकाने वाली बात तो यह है कि अभिमत की स्वीकृति के लंबित मामले पिछले 3 महीने से लेकर 20 साल तक पुराने हैं. जिसमें भोपाल विशेष न्यायालय में ही 181 प्रकरण लंबित है. तो वहीं 246 प्रकरण ऐसे हैं जिन्हें अभिमत की स्वीकृति का इंतजार है.

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त उप लोकायुक्त संगठन के साथ-साथ विशेष पुलिस स्थापना भी मौजूद हैं. विशेष पुलिस स्थापना के अंतर्गत आने वाले मामलों में साल 2004 से लेकर जुलाई 2020 तक कुल 1545 आरोपियों को अधिकतम 10 वर्ष की सजा और जुर्माने से दंडित किया गया है.

इनमें प्रदेश के सबसे विवादित रिटायर्ड आईएएस अफसर रमेश थेटे के करीब 22 प्रकरण शामिल हैं. इसके अलावा आगर जिला उज्जैन के तत्कालीन तहसीलदार नित्यानंद पांडे के खिलाफ भी करीब एक दर्जन प्रकरण लंबित है. जिनमें अभिमत की स्वीकृति नहीं मिल रही है. तो वहीं तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी दमोह आर के मिश्रा के भी कई प्रकरण लंबित हैं.

मध्य प्रदेश लोकायुक्त संगठन की स्थापना के लिए साल 1981 में लोकायुक्त उप लोकायुक्त एक्ट बनाया गया था. जिसके बाद फरवरी 1982 में मध्य प्रदेश में लोकायुक्त संगठन का गठन किया गया. इससे पहले स्टेट विजिलेंस कमीशन का गठन किया गया था. लेकिन स्टेट विजिलेंस कमीशन राज्य सरकार के अधीन आता था.

लिहाजा एक अलग संगठन बनाने की मांग उठी और लोकायुक्त का गठन किया गया. जिसकी अपनी एक बॉडी नियम और प्रक्रियाएं हैं. इसके अलावा विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त का एक महत्वपूर्ण अंग. इसके गठन के पीछे उद्देश्य था कि लोक प्रशासन से संबंधित अपराधों के अनुसंधान के लिए एक विशेष पुलिस बल उपलब्ध हो सके.

वर्तमान में मध्य प्रदेश लोकायुक्त के पद पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के रिटायर्ड न्यायमूर्ति नरेश कुमार गुप्ता है तो वहीं उप लोकायुक्त के पद पर रिटायर्ड जज यूसी माहेश्वरी हैं. लोकायुक्त और उप लोकायुक्त रोजाना अपने दफ्तर में शिकायतों को लेकर मुलाकात करते हैं और शिकायतों को अग्रिम कार्यवाही के लिए विशेष स्थापना पुलिस को भेजते हैं. साथ ही संगठन की वार्षिक रिपोर्ट मध्य प्रदेश गवर्नर को सौंपी जाती है.

विशेष न्यायालयों में लंबित प्रकरण- (31 अक्टूबर 2019 तक)

  • विशेष न्यायालय भोपाल- 181 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय उज्जैन- 40 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय जबलपुर- 10 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय ग्वालियर- 34 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय इंदौर- 86 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय रीवा- 38 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय सागर- 41 प्रकरण
  1. 19 जुलाई 2020 तक विभागीय जांच के 170 प्रकरण लंबित
  2. अभिमत की स्वीकृति के लिए 246 प्रकरण लंबित
  3. अप्रैल 2004 से लेकर 20 जुलाई 2020 तक 1545 आरोपियों को हुई सजा

भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के प्रकरणों को लेकर बड़ी ही गंभीर स्थिति है. मध्य प्रदेश लोकायुक्त के विशेष न्यायालयों में अब तक कुल 921 प्रकरण लंबित हैं, तो वहीं 246 मामलों में अभिमत की स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है. इसके अलावा विभागीय जांच के भी करीब 170 मामले लंबित हैं, जिन पर जांच जारी है. जिसमें पुलिस, स्कूल शिक्षा, पीएचई, राजस्व, कृषि विभाग समेत जल संसाधन विभाग के मामले शामिल हैं.

मध्य प्रदेश लोकायुक्त में लंबित ढेरों प्रकरण

चौंकाने वाली बात तो यह है कि अभिमत की स्वीकृति के लंबित मामले पिछले 3 महीने से लेकर 20 साल तक पुराने हैं. जिसमें भोपाल विशेष न्यायालय में ही 181 प्रकरण लंबित है. तो वहीं 246 प्रकरण ऐसे हैं जिन्हें अभिमत की स्वीकृति का इंतजार है.

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त उप लोकायुक्त संगठन के साथ-साथ विशेष पुलिस स्थापना भी मौजूद हैं. विशेष पुलिस स्थापना के अंतर्गत आने वाले मामलों में साल 2004 से लेकर जुलाई 2020 तक कुल 1545 आरोपियों को अधिकतम 10 वर्ष की सजा और जुर्माने से दंडित किया गया है.

इनमें प्रदेश के सबसे विवादित रिटायर्ड आईएएस अफसर रमेश थेटे के करीब 22 प्रकरण शामिल हैं. इसके अलावा आगर जिला उज्जैन के तत्कालीन तहसीलदार नित्यानंद पांडे के खिलाफ भी करीब एक दर्जन प्रकरण लंबित है. जिनमें अभिमत की स्वीकृति नहीं मिल रही है. तो वहीं तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी दमोह आर के मिश्रा के भी कई प्रकरण लंबित हैं.

मध्य प्रदेश लोकायुक्त संगठन की स्थापना के लिए साल 1981 में लोकायुक्त उप लोकायुक्त एक्ट बनाया गया था. जिसके बाद फरवरी 1982 में मध्य प्रदेश में लोकायुक्त संगठन का गठन किया गया. इससे पहले स्टेट विजिलेंस कमीशन का गठन किया गया था. लेकिन स्टेट विजिलेंस कमीशन राज्य सरकार के अधीन आता था.

लिहाजा एक अलग संगठन बनाने की मांग उठी और लोकायुक्त का गठन किया गया. जिसकी अपनी एक बॉडी नियम और प्रक्रियाएं हैं. इसके अलावा विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त का एक महत्वपूर्ण अंग. इसके गठन के पीछे उद्देश्य था कि लोक प्रशासन से संबंधित अपराधों के अनुसंधान के लिए एक विशेष पुलिस बल उपलब्ध हो सके.

वर्तमान में मध्य प्रदेश लोकायुक्त के पद पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के रिटायर्ड न्यायमूर्ति नरेश कुमार गुप्ता है तो वहीं उप लोकायुक्त के पद पर रिटायर्ड जज यूसी माहेश्वरी हैं. लोकायुक्त और उप लोकायुक्त रोजाना अपने दफ्तर में शिकायतों को लेकर मुलाकात करते हैं और शिकायतों को अग्रिम कार्यवाही के लिए विशेष स्थापना पुलिस को भेजते हैं. साथ ही संगठन की वार्षिक रिपोर्ट मध्य प्रदेश गवर्नर को सौंपी जाती है.

विशेष न्यायालयों में लंबित प्रकरण- (31 अक्टूबर 2019 तक)

  • विशेष न्यायालय भोपाल- 181 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय उज्जैन- 40 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय जबलपुर- 10 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय ग्वालियर- 34 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय इंदौर- 86 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय रीवा- 38 प्रकरण
  • विशेष न्यायालय सागर- 41 प्रकरण
  1. 19 जुलाई 2020 तक विभागीय जांच के 170 प्रकरण लंबित
  2. अभिमत की स्वीकृति के लिए 246 प्रकरण लंबित
  3. अप्रैल 2004 से लेकर 20 जुलाई 2020 तक 1545 आरोपियों को हुई सजा
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