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सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध है मध्यप्रदेश, सरकार संरक्षण के लिए कर रही काम: डॉ विजय लक्ष्मी साधो

प्रदेश की संस्कृति को लेकर विजयलक्ष्मी साधौ ने कहां कि पिछली सरकार में संस्कृति भगवा रंग में रंग गई थी.

Madhya Pradesh is a state which is full of culture
मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने कहासंस्कृति भगवा रंग में रंग गई थी पिछली सरकार में
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Published : Feb 6, 2020, 9:50 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस हर क्षेत्र में बदलाव कर रही है. राज्य के संस्कृति विभाग में भी यह कवायद चल रही है. संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ का कहना है कि संस्कृति जोड़ने का काम करती है तोड़ने का नहीं, इसलिए राज्य में अब भगवा पर नहीं, बल्कि कल्चर (संस्कृति) पर जोर दिया जाएगा. यही कारण है कि वर्तमान सरकार सभी संस्कृतियों को बढ़ावा दे रही है.

संस्कृति से भरा हुआ है मध्यप्रदेश

संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि बीजेपी के राज में संस्कृति विभाग को पूरी तरह भगवाकरण करने की कोशिश की गई, कुछ समिति धार्मिक आयोजनों से आगे नहीं निकली, जिसके कारण भारत की संस्कृति पीछे छूट गई. मध्यप्रदेश वह राज्य है जहां विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है. यहां कई जनजातियां है और उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. उनकी संस्कृति, संस्कार, जीवनशैली, समस्याओं का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है.

मध्यप्रदेश विविध संस्कृतियों का प्रदेश है, जो देश के मध्य में स्थित है. जनजातियों के अलावा यहां महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब सहित अन्य संस्कृति से नाता रखने वाले लोग भी रहते हैं. इसके साथ ही यहां बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़ आदि संस्कृतियां भी हैं, लिहाजा सभी संस्कृतियों का प्रचार-प्रसार और विस्तार हो, हर वर्ग इसे जानें, इसके लिए प्रयास जारी है और विभाग इस दिशा में काम भी कर रहा है."

सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्धि का जिक्र

सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्धि का ज्रिक करते हुए विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि "राज्य सांस्कृतिक और साहित्य के तौर पर समृद्ध है. यहां बड़े-बड़े लेखक और साहित्यकार हुए हैं और वर्तमान में भी कला और संस्कृति से जु़ड़े लोगों को मंच देने की कोशिश हो रही है, साथ ही युवा प्रतिभाओं को अवसर मिले, इसके लिए भी प्रयास जारी हैं.

पिछले सरकार के काल की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि 'भाजपा ने लता मंगेशकर सम्मान को लेकर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को ही बंद कर दिया था, अब उसे शुरू किया जा रहा है. अब सात दिन की संगीत प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.

वोट बैंक के जरिए संस्कृति को बढ़ाना मकसद नहीं

सरकारें जब भी कोई कदम बढ़ाती हैं, तो उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाने लगता है, इस सवाल पर डॉ. साधौ ने कहा कि "इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह सभी समाज और वर्गों की संस्कृति की बात है. मध्य प्रदेश की संस्कृति का विस्तार हो यही प्रयास है. इसके पीछे हमारा मकसद वोटबैंक नहीं है, बल्कि कोशिश यही है कि राज्य का वातावरण स्वच्छंद

हो, सभी संस्कृतियां बढ़ें और फले-फूलें। यह किसी खास वर्ग के लिए थोड़े है, पिछले दिनों मराठी महोत्सव हुआ, प्रकाश पर्व आयोजित किया गया."

आईफा अवॉर्ड समारोह बड़ी उपलब्धि

राज्य में मार्च माह में होने वाले आईफा अवॉर्ड समारोह को उन्होंने बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, "इस आयोजन से राज्य को देश और दुनिया में नई पहचान मिलेगी, साथ ही व्यावसायिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। देश के भीतर यह आईफा का दूसरा आयोजन है। मध्य प्रदेश में आईफा का होना बड़ी उपलब्धि है."

भोपाल। मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस हर क्षेत्र में बदलाव कर रही है. राज्य के संस्कृति विभाग में भी यह कवायद चल रही है. संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ का कहना है कि संस्कृति जोड़ने का काम करती है तोड़ने का नहीं, इसलिए राज्य में अब भगवा पर नहीं, बल्कि कल्चर (संस्कृति) पर जोर दिया जाएगा. यही कारण है कि वर्तमान सरकार सभी संस्कृतियों को बढ़ावा दे रही है.

संस्कृति से भरा हुआ है मध्यप्रदेश

संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि बीजेपी के राज में संस्कृति विभाग को पूरी तरह भगवाकरण करने की कोशिश की गई, कुछ समिति धार्मिक आयोजनों से आगे नहीं निकली, जिसके कारण भारत की संस्कृति पीछे छूट गई. मध्यप्रदेश वह राज्य है जहां विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है. यहां कई जनजातियां है और उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. उनकी संस्कृति, संस्कार, जीवनशैली, समस्याओं का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है.

मध्यप्रदेश विविध संस्कृतियों का प्रदेश है, जो देश के मध्य में स्थित है. जनजातियों के अलावा यहां महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब सहित अन्य संस्कृति से नाता रखने वाले लोग भी रहते हैं. इसके साथ ही यहां बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़ आदि संस्कृतियां भी हैं, लिहाजा सभी संस्कृतियों का प्रचार-प्रसार और विस्तार हो, हर वर्ग इसे जानें, इसके लिए प्रयास जारी है और विभाग इस दिशा में काम भी कर रहा है."

सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्धि का जिक्र

सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्धि का ज्रिक करते हुए विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि "राज्य सांस्कृतिक और साहित्य के तौर पर समृद्ध है. यहां बड़े-बड़े लेखक और साहित्यकार हुए हैं और वर्तमान में भी कला और संस्कृति से जु़ड़े लोगों को मंच देने की कोशिश हो रही है, साथ ही युवा प्रतिभाओं को अवसर मिले, इसके लिए भी प्रयास जारी हैं.

पिछले सरकार के काल की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि 'भाजपा ने लता मंगेशकर सम्मान को लेकर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को ही बंद कर दिया था, अब उसे शुरू किया जा रहा है. अब सात दिन की संगीत प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.

वोट बैंक के जरिए संस्कृति को बढ़ाना मकसद नहीं

सरकारें जब भी कोई कदम बढ़ाती हैं, तो उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाने लगता है, इस सवाल पर डॉ. साधौ ने कहा कि "इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह सभी समाज और वर्गों की संस्कृति की बात है. मध्य प्रदेश की संस्कृति का विस्तार हो यही प्रयास है. इसके पीछे हमारा मकसद वोटबैंक नहीं है, बल्कि कोशिश यही है कि राज्य का वातावरण स्वच्छंद

हो, सभी संस्कृतियां बढ़ें और फले-फूलें। यह किसी खास वर्ग के लिए थोड़े है, पिछले दिनों मराठी महोत्सव हुआ, प्रकाश पर्व आयोजित किया गया."

आईफा अवॉर्ड समारोह बड़ी उपलब्धि

राज्य में मार्च माह में होने वाले आईफा अवॉर्ड समारोह को उन्होंने बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, "इस आयोजन से राज्य को देश और दुनिया में नई पहचान मिलेगी, साथ ही व्यावसायिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। देश के भीतर यह आईफा का दूसरा आयोजन है। मध्य प्रदेश में आईफा का होना बड़ी उपलब्धि है."

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भोपाल: मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस हर क्षेत्र में बदलाव कर रही है. राज्य के संस्कृति विभाग में भी यह कवायद चल रही है. संस्कृति मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ का कहना है कि संस्कृति जोड़ने का काम करती है तोड़ने का नहीं, इसलिए राज्य में अब भगवा पर नहीं, बल्कि कल्चर (संस्कृति) पर जोर दिया जाएगा, और यही कारण है कि वर्तमान सरकार सभी संस्कृतियों को बढ़ावा दे रही है.



संस्कृति मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि "बीते डेढ़ दशक में भाजपा के शासनकाल में संस्कृति विभाग का पूरी तरह भगवाकरण करने की कोशिश की गई, बात मंडलियों, कुछ सीमित धार्मिक आयोजनों से आगे नहीं निकली। इसके चलते संस्कृति कहीं पीछे छूट गई. मध्य प्रदेश वह राज्य है, जो विविधता से भरा हुआ है. 



राज्य की विविधता का जिक्र करते हुए विजय लक्ष्मी साधौ  ने कहा, "राज्य में कई जनजातियां हैं, उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, उनकी संस्कृति, संस्कार, जीवनशैली, समस्याओं आदि का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है. जनजातीय संस्कृति को लेकर सरकार की कोशिश की झलक स्थापना दिवस एक नवंबर, 2019 को सभी ने देखी. यह आयोजन गोंड जनजाति के लिए समर्पित रहा, ताकि लोग आदिवासी संस्कृति को जानें."



संस्कृति विभाग में भाजपा के डेढ़ दशक के शासनकाल के दौरान कार्यशैली का हवाला देते हुए उन्होंने बताया, "पहले यहां पूरी तरह भगवा संस्कृति फैली हुई थी, आयोजन भी इसी के इर्द-गिर्द हुआ करते थे, जबकि हमारा राज्य विविध संस्कृतियों का प्रदेश है, देश के मध्य में स्थित है. जनजातियों के अलावा यहां महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब सहित अन्य संस्कृति से नाता रखने वाले लोग भी रहते हैं. इसके साथ ही यहां बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमांड आदि संस्कृतियां हैं, लिहाजा सभी संस्कृतियों का प्रचार-प्रसार और विस्तार हो। हर वर्ग इसे जाने इसके लिए प्रयास जारी हैं और विभाग इस दिशा में काम भी कर रहा है."



राज्य की सांस्कृतिक और साहित्यिक समृद्घि का ज्रिक करते हुए विजय लक्ष्मी साधौ  ने कहा, "राज्य सांस्कृतिक और साहित्य के तौर पर समृद्घ है. यहां बड़े-बड़े लेखक और साहित्यकार हुए हैं और वर्तमान में हैं. कला और संस्कृति से जु़ड़े लोगों को मंच देने की कोशिश हो रही है, साथ ही युवा प्रतिभाओं को अवसर मिले, इसके लिए भी प्रयास जारी हैं. इसी के चलते भारत भवन में लगातार साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियां चलती रहती हैं."



पिछले सरकार के काल की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया, "भाजपा ने लता मंगेशकर सम्मान को लेकर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को ही बंद कर दिया गया था. अब उसे शुरू किया जा रहा है. अब सात दिन की संगीत प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है."



सरकारें जब भी कोई कदम बढ़ाती हैं तो उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाने लगता है, वोट बैंक की बात होती है. इस सवाल पर डॉ. साधौ ने कहा, "इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह सभी समाज और वगरें की संस्कृति की बात है. मध्य प्रदेश की संस्कृति का विस्तार हो यही प्रयास है. इसके पीछे हमारा मकसद वोटबैंक नहीं है, बल्कि कोशिश यही है कि राज्य का वातावरण स्वच्छंद हो, सभी संस्कृतियां बढ़ें और फले-फूलें। यह किसी खास वर्ग के लिए थोड़े है, पिछले दिनों मराठी महोत्सव हुआ, प्रकाश पर्व आयोजित किया गया."



राज्य में मार्च माह में होने वाले आईफा अवॉर्ड समारोह को उन्होंने बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, "इस आयोजन से राज्य को देश और दुनिया में नई पहचान मिलेगी, साथ ही व्यावसायिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। देश के भीतर यह आईफा का दूसरा आयोजन है। मध्य प्रदेश में आईफा का होना बड़ी उपलब्धि है."

 


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