भोपाल। उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार उग्र प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कानून लाने जा रही है. इस एक्ट को लागू होने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा. इस ट्रिब्यूनल में आईजी और सचिव रैंक के रिटायर्ड अफसर सदस्य और अध्यक्ष रिटायर्ड जज होंगे. जल्द ही इस कानून को कैबिनेट में लाया जाएगा. सरकार की कोशिश शीतकालीन सत्र में इसे सदन से पास कराने की है. उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही इस तरह का कानून ला चुकी है.
यह होंगे कानून में प्रावधान
प्रदर्शन या आंदोलन कई बार उग्र रूप धारण कर लेते हैं. ऐसे में सावर्जनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन अब ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान निवारण एवं नुकसान की वसूली अधिनियम 2021 लाने जा रही है. इसमें सावर्जनित और निजी संपत्ति को होने वाली नुकसान की भरपाई प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले और आंदोलनकारियों से वसूला जाएगा.
इस कानून के तहत नुकसान होने पर फोटोग्राफ और वीडियो के आधार पर नुकसान की रिपोर्ट क्लेम कमिश्नर मौका मुआयना कर रिपोर्ट तैयार करेगा. इसके बाद यह रिपोर्ट एक्ट लागू कराने के लिए गठित होने वाली ट्रिब्यूनल को सौंपी जाएगी. ट्रिब्यूनल रिकवरी के आदेश जारी करेगा. इसमें ट्रिब्यूनल के आदेश को मजबूती देने के लिए प्रावधान किया जा रहा है कि आदेश को सिर्फ हाईकोर्ट तक ही चैलेंज किया जा सकेगा. वसूली देने में आनाकानी होने पर संबंधित लोगों की संपत्ति नीलामी की कार्रवाई की जा सकेगी.
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तीन माह में होगी नुकसान की भरपाई
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कानून लाया जा रहा है. इसमें एक ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा. इस ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट के अधिकार होंगे. इसमें रिटायर्ड डीजी, आईजी, सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी होंगे. सरकारी संपत्ति के नुकसान की जानकारी कलेक्टर और निजी नुकसान की जानकारी प्रभावित व्यक्ति देगा.
यह भू राजस्व अधिकार में जिस तरह के अधिकार होते हैं, उसी तरह के अधिकार ट्रिब्यूनल को होंगे. प्रकरण का निराकरण 3 माह में कराकर नुकसान की भरपाई की जाएगी. इसकी अपील हाईकोर्ट तक ही की जा सकेगी. दंगाईयों को बख्शा नहीं जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देश
उधर वरिष्ठ वकील जगदीश छाबानी के मुताबिक आंदोलन, बंद और हड़ताल के दौरान हंगामें की वजह से सार्वजनिक और निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मई 2007 में दो समितियां गठित की थी. समितियों से कहा था कि वे सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम 1984 को और प्रभावी बनाने के लिए सिफारशें दें. समितियों की सलाह पर साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के एक मामले में कई दिशा-निर्देश दिए थें.
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इसमें उक्त कानून के तहत मामला दायर करने के लिए साक्ष्य संबंधी जरूरतों को बदलने की बात कहीं गई थी. साथ ही कहा था कि सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी आरोपी की होगी और ऐसे मामलों में दंगाईयों से नुकसान की वसूली की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को और अधिकार देने पुलिस एक्ट 1861 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 में प्रावधान करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद केन्द्र की मोदी सरकार ने 2016 में सार्वजनिक संपित्त की क्षति की रोकथाम अधिनियम 1984 में संशोधन के लिए सिफारिशें आमंत्रित की थी.
उत्तर प्रदेश में लागू हो चुका कानून
1 मार्च 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक 2021 विधानसभा से पास कर चुकी है. इसमें प्रदेश में आंदोलनकारियों को सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाए जाने पर एक साल कारावास या पांच हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसी तरह अप्रेल 2021 में हरियाणा सरकार भी एक्ट बना चुकी है. इसमें रैली, हड़ताल और प्रदर्शन सभी को शामिल किया गया है.
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अभी कानून, लेकिन धाराएं जमानती
हालांकि ऐसा नहीं है कि अभी ऐसे मामले में अभी कोई कानून न हो. अभी यदि कोई लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत कार्रवाई की जाती है. इसमें कम से कम छह माह और अधिकतम 5 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. यदि कोई आग से विस्फोट का उपयोग करता है तो ऐसे मामले में 1 साल से लेकर दस साल तक के कारावास की सजा के प्रावधान है. हालांकि ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर 29.8 फीसदी ही रही है.