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दिल्ली के बाद भोपाल में भी किसान कर रहे आंदोलन, कहा- मध्य प्रदेश में 'बंद' को सफल बना कर दिखाएंगे

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Published : Dec 7, 2020, 3:54 PM IST

दिल्ली में नए कृषि कानून के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मध्यप्रदेश के किसान भी रविवार से धरने पर बैठे हुए हैं. किसानों का कहना है कि 8 दिसंबर को वे मध्य प्रदेश में भारत बंद को सफल बना कर दिखाएंगे.

farmer movement
किसान आंदोलन

भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में मध्य प्रदेश के किसान भी आगे आ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश ईकाई ने प्रदेश की राजधानी भोपाल में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. रविवार से किसान शहर के नीलम पार्क में धरने पर बैठे हैं. अब प्रदेश के किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

भारत बंद में जुटाया सब को

भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि भारत बंद के लिए हमने सोमवार को धरने में बैठे लोगों की संख्या कम कर दी है. भारत बंद के लिए सभी कार्यकर्ता और यूनियन को जुटा दिया है. हमारे जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष किसानों को नए कृषि कानूनों के बारे में समझा रहे हैं. वे बता रहे हैं कि कानून में क्या है और क्या नहीं हैं.

farmer movement
भोपाल में धरने पर बैठे किसान

मध्य प्रदेश में भारत बंद को सफल बना कर दिखाएंगे

उन्होंने बताया कि अब तक बीजेपी ने जो किसानों के बीच भ्रम फैला रखा था. वे कह रहे हैं कि कानून किसानों के हित में हैं. इसके लिए हमारे जिला अध्यक्षों को तैयार किया गया है कि वह काले कानून की गड़बड़ियां लोगों को समझाएं. ये हमारा दायित्व है. विज्ञापन और कई माध्यमों के जरिए जो भ्रम फैलाया जा रहा है, उससे दूर रखने के लिए भारत बंद के प्रचार-प्रसार में कार्यकर्ताओं को जुटा दिया है. कल यानि मंगलवार को भी हम संख्या बल कम रखेंगे, सिर्फ बंद पर हमारा ध्यान है. मुख्यमंत्री का जो बयान आया है कि मध्य प्रदेश का किसान इन कानूनों से खुश है, तो उसका जवाब हम मध्य प्रदेश बंद को सफल बना कर दिखाएंगे.

पढ़ें- दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में आए एमपी के किसान, कानून को रद्द करने की मांग

आंदोलन को कमजोर करने किसानों को बता रहे हैं आतंकी

भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर ये बोल रहे हैं कि वहां खालिस्तानी आ गए हैं. हमारे पास भी बोल देंगे कि आतंकवादी आ गए. 2017 में हमने आंदोलन किया था, तो कहते थे कि असामाजिक तत्व आ गए, अफीम बेचने वाले और डोडा चूरा बेचने वाले आ गए. तरह-तरह की बातें कर रहे थें. फिर उनके पास एक-एक करोड़ रुपए देने गए. आज ये कुछ बातें कर रहे हैं, कल और कुछ बातें करेंगे. हम भी नजर रख रहे हैं कि हमारे आंदोलन में कहीं किसी तस्कर को बिठा देंगे और फिर तस्वीर जारी कर दें कि देखो आंदोलन में कौन आ गए, इनको डेढ़ करोड़ किसान नहीं दिख रहे हैं.

जो इनके खिलाफ गया, देशद्रोही और कांग्रेसी हो गया

अनिल यादव ने कहा कि सरकार चंद कॉरपोरेट जगत के लोगों से घिरी हुई है. पांच दौर की वार्ता हो चुकी है. लेकिन उनको समझ नहीं आ रहा है कि किसान संगठन के लोग क्या मांग रख रहे हैं? किसान ठंड में ठिठुर रहा है, उन्होंने आंसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन किसान डटा रहा. आप ने लाठीचार्ज किया, लेकिन किसान भूखा-प्यासा सोया हुआ है. किसान अपनी फसल खराब कर रहा है, इतना शौक किसी को नहीं होता है.

पढ़ें- शिवराज सरकार के सामने 5 बड़ी चुनौतियां, आखिर कैसे निपटेगी सरकार

केंद्र सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गरीब की एक फसल बारिश में चौपट हो गई है, दूसरी फसल भी चौपट हो रही है. किसान स्वाभिमानी हैं, आपसे निवेदन कर सकता है. रविवार को हम घुटनों के बल चले थे. जो इनके खिलाफ हो गया, वह देशद्रोही हो गया. जो इनके खिलाफ गया, वह कांग्रेसी हो गया. यहां बीजेपी के कार्यकर्ता भी बैठे हुए हैं. मैं भी बीजेपी से निकला हुआ हूं. राजनीति छोड़िए, हमें जो चाहिए उस पर ध्यान दीजिए. हमने स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग की, तो कोरोना काल में यह काला कानून लेकर आ गए.

पढ़ें- ट्रेनों पर भी पड़ा किसान आंदोलन का असर, नांदेड़-अमृतसर एक्सप्रेस आंशिक निरस्त

देश की 80 फीसदी जनता सड़क पर दिखेगी

पांच दौर की वार्ता हो गई है, अगर 9 दिसंबर को भी सरकार नहीं मानती है तो मध्य प्रदेश के किसानों का रुख आपने देखा है और आंदोलन बढ़ता जाएगा. अन्य राज्यों में भी आंदोलन तेज होगा. देश की 80 फीसदी जनता जब सड़क पर दिखेगी, तो ये सरकार क्या, बड़ी-बड़ी सरकारों को मानना पड़ेगा.

भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में मध्य प्रदेश के किसान भी आगे आ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश ईकाई ने प्रदेश की राजधानी भोपाल में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. रविवार से किसान शहर के नीलम पार्क में धरने पर बैठे हैं. अब प्रदेश के किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.

भारत बंद में जुटाया सब को

भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि भारत बंद के लिए हमने सोमवार को धरने में बैठे लोगों की संख्या कम कर दी है. भारत बंद के लिए सभी कार्यकर्ता और यूनियन को जुटा दिया है. हमारे जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष किसानों को नए कृषि कानूनों के बारे में समझा रहे हैं. वे बता रहे हैं कि कानून में क्या है और क्या नहीं हैं.

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भोपाल में धरने पर बैठे किसान

मध्य प्रदेश में भारत बंद को सफल बना कर दिखाएंगे

उन्होंने बताया कि अब तक बीजेपी ने जो किसानों के बीच भ्रम फैला रखा था. वे कह रहे हैं कि कानून किसानों के हित में हैं. इसके लिए हमारे जिला अध्यक्षों को तैयार किया गया है कि वह काले कानून की गड़बड़ियां लोगों को समझाएं. ये हमारा दायित्व है. विज्ञापन और कई माध्यमों के जरिए जो भ्रम फैलाया जा रहा है, उससे दूर रखने के लिए भारत बंद के प्रचार-प्रसार में कार्यकर्ताओं को जुटा दिया है. कल यानि मंगलवार को भी हम संख्या बल कम रखेंगे, सिर्फ बंद पर हमारा ध्यान है. मुख्यमंत्री का जो बयान आया है कि मध्य प्रदेश का किसान इन कानूनों से खुश है, तो उसका जवाब हम मध्य प्रदेश बंद को सफल बना कर दिखाएंगे.

पढ़ें- दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में आए एमपी के किसान, कानून को रद्द करने की मांग

आंदोलन को कमजोर करने किसानों को बता रहे हैं आतंकी

भारतीय किसान यूनियन की मध्य प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर ये बोल रहे हैं कि वहां खालिस्तानी आ गए हैं. हमारे पास भी बोल देंगे कि आतंकवादी आ गए. 2017 में हमने आंदोलन किया था, तो कहते थे कि असामाजिक तत्व आ गए, अफीम बेचने वाले और डोडा चूरा बेचने वाले आ गए. तरह-तरह की बातें कर रहे थें. फिर उनके पास एक-एक करोड़ रुपए देने गए. आज ये कुछ बातें कर रहे हैं, कल और कुछ बातें करेंगे. हम भी नजर रख रहे हैं कि हमारे आंदोलन में कहीं किसी तस्कर को बिठा देंगे और फिर तस्वीर जारी कर दें कि देखो आंदोलन में कौन आ गए, इनको डेढ़ करोड़ किसान नहीं दिख रहे हैं.

जो इनके खिलाफ गया, देशद्रोही और कांग्रेसी हो गया

अनिल यादव ने कहा कि सरकार चंद कॉरपोरेट जगत के लोगों से घिरी हुई है. पांच दौर की वार्ता हो चुकी है. लेकिन उनको समझ नहीं आ रहा है कि किसान संगठन के लोग क्या मांग रख रहे हैं? किसान ठंड में ठिठुर रहा है, उन्होंने आंसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन किसान डटा रहा. आप ने लाठीचार्ज किया, लेकिन किसान भूखा-प्यासा सोया हुआ है. किसान अपनी फसल खराब कर रहा है, इतना शौक किसी को नहीं होता है.

पढ़ें- शिवराज सरकार के सामने 5 बड़ी चुनौतियां, आखिर कैसे निपटेगी सरकार

केंद्र सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गरीब की एक फसल बारिश में चौपट हो गई है, दूसरी फसल भी चौपट हो रही है. किसान स्वाभिमानी हैं, आपसे निवेदन कर सकता है. रविवार को हम घुटनों के बल चले थे. जो इनके खिलाफ हो गया, वह देशद्रोही हो गया. जो इनके खिलाफ गया, वह कांग्रेसी हो गया. यहां बीजेपी के कार्यकर्ता भी बैठे हुए हैं. मैं भी बीजेपी से निकला हुआ हूं. राजनीति छोड़िए, हमें जो चाहिए उस पर ध्यान दीजिए. हमने स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग की, तो कोरोना काल में यह काला कानून लेकर आ गए.

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देश की 80 फीसदी जनता सड़क पर दिखेगी

पांच दौर की वार्ता हो गई है, अगर 9 दिसंबर को भी सरकार नहीं मानती है तो मध्य प्रदेश के किसानों का रुख आपने देखा है और आंदोलन बढ़ता जाएगा. अन्य राज्यों में भी आंदोलन तेज होगा. देश की 80 फीसदी जनता जब सड़क पर दिखेगी, तो ये सरकार क्या, बड़ी-बड़ी सरकारों को मानना पड़ेगा.

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