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चुनाव परिणामों से MP Congress में हताशा, नेता बोले- सीधी लड़ाई लड़नी होगी

पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में निराशा का माहौल है. जिस तरह के चुनाव परिणाम आए, उससे कांग्रेसजनों में चिंता की लकीरें साफतौर पर दिखाई देने लगी हैं. चुनाव परिणामों के रुझान के बाद भोपाल स्थित पीसीसी दफ्तर में सन्नाटे का माहौल रहा. मध्यप्रदेश कांग्रेस का मानना है कि अब आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सड़कों पर भाजपा और संघ की विचारधारा से सीधी लड़ाई लड़नी होगी. ( Madhya pradesh congress dispressd on election result)

Mpcc office bhopal
मध्यप्रदेश कांग्रेस का दफ्तर
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Published : Mar 10, 2022, 3:49 PM IST

भोपाल। असंतोष और गुटबाजी के चलते मध्यप्रदेश कांग्रेस को आने वाले समय में ऑक्सीजन की जरूरत महसूस होने लगी है. उत्तराखंड , पंजाब और गोवा में कांग्रेस को सकारात्मक परिणामों की उम्मीद थी, लेकिन इन तीनों राज्यों में भी कांग्रेस की दयनीय स्थिति ने मध्यप्रदेश कांग्रेस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है.

पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की जोड़ी मध्यप्रदेश में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने के लिए लगातार संघर्षरत है, लेकिन पूरे देश के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस की हालत खस्ता है.

इस प्रकार के परिणाम के बारे में नहीं सोचा था

कांग्रेस के महामंत्री केके मिश्रा का कहना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम जो आए हैं, वह अपेक्षित नहीं थे. इन चुनाव परिणामों ने साफतौर पर संकेत दे दिया है कि कांग्रेस को मध्यप्रदेश में बीजेपी और संघ की विचारधारा से दो-दो हाथ करने होंगे. पूरी ताकत के साथ हमें इनसे लड़ना होगा. लोकतंत्र बचाने के लिए अब इनसे सीधी लड़ाई ही एक विकल्प बचा है.

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केके मिश्रा बोले- कांग्रेस में मनमुटाव से इंकार नहीं

कांग्रेस के महामंत्री केके मिश्रा ने माना कि कांग्रेस के नेताओं के बीच मनमुटाव तो जमाने से चला आ रहा है. हम लोगों में मनभेद नहीं हैं. हम सभी को मतभेद भुलाकर इस विचारधारा के खिलाफ सड़कों पर उतरना होगा. मिश्रा का कहना है कि चुनाव आते हैं और चले जाते हैं लेकिन यदि लोकतंत्र जिंदा नहीं रहेगा तो देश भी नहीं बच पाएगा. ऐसे में अभी से कांग्रेसजनों को एकजुटता के साथ सड़कों पर संघर्ष करना होगा.

कांग्रेस नेताओं की मनमर्जी बनी परेशानी का सबब

विधानसभा के बजट सत्र के शुरू होने के साथ ही कांग्रेस में भी असंतोष और गुटबाजी के नजारे सामने आने लगे हैं. बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार करने के ट्वीट के बाद पूर्व मंत्री एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी अलग-थलग पड़ गए हैं. जीतू पटवारी ने बिना संगठन और नेता प्रतिपक्ष को बताए ट्वीट के जरिए राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर दिया था. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष और संगठन ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया. वहीं एक अन्य घटना में उत्कृष्ट विधायकों के पुरस्कार वितरण समारोह में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ का नाम नदारद रहने से कांग्रेस विधायक दल ने इस पूरे कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था लेकिन अनजाने में ही सही कांग्रेस के दो विधायक जयवर्धन सिंह और झूमा सोलंकी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने पुरस्कार भी लिए. इन दोनों घटनाओं ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

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कमलनाथ और दिग्विजय ने भी किए थे चुनावी दौरे

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड राज्य में अपने चुनावी दौरे किए थे लेकिन चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को पूरी तरह से नकार दिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस के ये दो बुजुर्ग नेता आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे.

( Madhya pradesh congress dispressd on election result)

भोपाल। असंतोष और गुटबाजी के चलते मध्यप्रदेश कांग्रेस को आने वाले समय में ऑक्सीजन की जरूरत महसूस होने लगी है. उत्तराखंड , पंजाब और गोवा में कांग्रेस को सकारात्मक परिणामों की उम्मीद थी, लेकिन इन तीनों राज्यों में भी कांग्रेस की दयनीय स्थिति ने मध्यप्रदेश कांग्रेस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है.

पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की जोड़ी मध्यप्रदेश में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने के लिए लगातार संघर्षरत है, लेकिन पूरे देश के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस की हालत खस्ता है.

इस प्रकार के परिणाम के बारे में नहीं सोचा था

कांग्रेस के महामंत्री केके मिश्रा का कहना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम जो आए हैं, वह अपेक्षित नहीं थे. इन चुनाव परिणामों ने साफतौर पर संकेत दे दिया है कि कांग्रेस को मध्यप्रदेश में बीजेपी और संघ की विचारधारा से दो-दो हाथ करने होंगे. पूरी ताकत के साथ हमें इनसे लड़ना होगा. लोकतंत्र बचाने के लिए अब इनसे सीधी लड़ाई ही एक विकल्प बचा है.

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केके मिश्रा बोले- कांग्रेस में मनमुटाव से इंकार नहीं

कांग्रेस के महामंत्री केके मिश्रा ने माना कि कांग्रेस के नेताओं के बीच मनमुटाव तो जमाने से चला आ रहा है. हम लोगों में मनभेद नहीं हैं. हम सभी को मतभेद भुलाकर इस विचारधारा के खिलाफ सड़कों पर उतरना होगा. मिश्रा का कहना है कि चुनाव आते हैं और चले जाते हैं लेकिन यदि लोकतंत्र जिंदा नहीं रहेगा तो देश भी नहीं बच पाएगा. ऐसे में अभी से कांग्रेसजनों को एकजुटता के साथ सड़कों पर संघर्ष करना होगा.

कांग्रेस नेताओं की मनमर्जी बनी परेशानी का सबब

विधानसभा के बजट सत्र के शुरू होने के साथ ही कांग्रेस में भी असंतोष और गुटबाजी के नजारे सामने आने लगे हैं. बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार करने के ट्वीट के बाद पूर्व मंत्री एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी अलग-थलग पड़ गए हैं. जीतू पटवारी ने बिना संगठन और नेता प्रतिपक्ष को बताए ट्वीट के जरिए राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर दिया था. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष और संगठन ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया. वहीं एक अन्य घटना में उत्कृष्ट विधायकों के पुरस्कार वितरण समारोह में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ का नाम नदारद रहने से कांग्रेस विधायक दल ने इस पूरे कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था लेकिन अनजाने में ही सही कांग्रेस के दो विधायक जयवर्धन सिंह और झूमा सोलंकी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने पुरस्कार भी लिए. इन दोनों घटनाओं ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

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कमलनाथ और दिग्विजय ने भी किए थे चुनावी दौरे

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड राज्य में अपने चुनावी दौरे किए थे लेकिन चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को पूरी तरह से नकार दिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस के ये दो बुजुर्ग नेता आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे.

( Madhya pradesh congress dispressd on election result)

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