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पेपरलेस होगी MP विधानसभा, जानिए कितने करोड़ बचाने की तैयारी में है शिवराज सरकार

मध्यप्रदेश विधानसभा भी जल्द ही पेपरलेस हो जाएगी, इससे शिवराज सरकार के हर साल 54 करोड़ रुपये बचेंगे. फिलहाल इसके लिए एमपी सरकार ने केंद्र में प्रस्ताव भेज दिया है, लेकिन अभी तक बजट की स्वीकृति नहीं मिली है. (Madhya Pradesh Assembly)

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Published : Dec 4, 2022, 7:49 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा भी पेपरलेस की तरफ कदम बढ़ा रही है, लेकिन सरकार के खजाने से उसे 70 करोड़ चाहिए. फिलहाल राशि नहीं मिलने से पेपरलेस विधानसभा का सपना अभी अधर में लटक गया है, वहीं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की मंशा है कि, दूसरे राज्यों की तरह मप्र विधानसभा भी पेपरलेस हो जाए, लेकिन सरकार से फिलहाल बजट की स्वीकृति नहीं मिली है, जिसके चलते इस बार का शीतकालीन सत्र भी पेपर वाला होगा.

सरकार के पास भेजा गया प्रस्ताव: विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि, 70 करोड़ की राशि की जरूरत है, जो की दो किश्तों में मांगी गई है. हमने दूसरे राज्यों के पेपरलेस विधानसभाओं का अध्ययन भी कर लिया है, हम पूरे तैयार हैं. अब जब सरकार राशि देगी हम पेपरलेस की तरफ बढ़ जायेंगे.

क्या है ई-असेंबली: पेपरलेस (Madhya Pradesh Assembly) असेंबली या ई-असेंबली एक अवधारणा है, जिसमें असेंबली के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक साधन शामिल हैं. यह संपूर्ण कानून बनाने की प्रक्रिया के स्वचालन, निर्णयों और दस्तावेजों की ट्रैकिंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है. नेवा को लागू करने का खर्च केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 90:10 के बंटवारे के आधार पर दिया जाता है, मध्यप्रदेश को बजट नहीं मिला है, नहीं तो ई-विधान सिस्टम से विधानसभा पेपरलेस हो जाती.

समझिए क्या है ई विधान: ई-विधान सिस्टम का मकसद देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर लाना है, सभी विधानसभाओं के बाद इसे संसद और सभी विधान परिषदों में भी लागू करने की योजना है. मौजूदा रिपोर्ट्स के मुताबिक ई-विधान सिस्टम का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है.

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MP विधायकों को हाईटेक बनाने की कोशिश: मध्य प्रदेश में विधायकों को हाईटेक बनाने के लिए शिवराज सरकार ने पिछले बजट से पहले सभी को लैपटॉप खरीदने के लिए 50 हजार रुपये का अनुदान दिया था और विधानसभा में डिजिटल बजट पेश किया गया था.

ऑनलाइन सवालों में विधायको की रुचि नहीं: विधानसभा सचिवालय ने सभी विधायकों को सवाल से लेकर ध्यानाकर्षण, शून्यकाल की सूचनाएं, याचिकाएं, स्थगन प्रस्ताव तक ऑनलाइन पूछने की सुविधा दी है, लेकिन प्रदेश के विधायकों की ऑनलाइन सवाल पूछने में रुचि ज्यादा नहीं है. इस माह होने वाले शीतकालीन सत्र के लिए भी इस बार ऑनलाइन सिर्फ 783 सवाल ही पूछे गए है, जबकि ऑफलाइन सवालों की संख्या 849 है.

इस दिन से शुरू होगा एमपी का विधानसभा सत्र: मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस बार 19 दिसंबर से 23 दिसंबर के बीच होने जा रहा है.29 नवंबर तक इस सत्र के लिए सवाल पूछने की अंतिम तारीख थी, आखिरी दिन तक 58 सवाल ऑनलाइन पूछे गए, जिसमें ऑफलाइन 68 सवाल पूछे गए.

क्या कहते हैं नेता प्रतिपक्ष: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का कहना है कि, "शिवराज सरकार सिर्फ अपनी ब्रांडिंग में पैसा पानी की तरह बहा रही हैं, विधानसभा को पेपरलेस नही करना चाहती सरकार, जहां तक बजट का सवाल है तो मध्यप्रदेश सरकार को तो बहुत कम राशि देनी है. पेपरलेस विधानसभा होने से जानकारी जनता को पता चलेगी, इसलिए शिवराज सरकार इस तरफ कदम नहीं बढ़ा रही है."

MP Assembly Session भाजपा-कांग्रेस की कश्मकश में फंसा विधानसभा उपाध्यक्ष का चयन, ढाई साल से खाली पड़ा है पद

हर साल बचेंगे 54 करोड़ रुपए: विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि, "ई विधान व्यवस्था लागू होने के बाद दैनिक कार्यसूची, प्रश्नोत्तरी, बिल समेत सब कुछ डिजिटल होगा, इसके बाद पेपर पर कुछ नहीं होगा, इससे विधानसभा के 54 करोड़ रुपये हर साल बचेंगे और 28 करोड़ रुपए के A4 साइज के कागज बचेंगे. इससे हमारा 70 प्रतिशत खर्च कम होगा. हर विधायक की सीट के सामने कम्प्यूटर सिस्टम लगाया जाएगा, जिसमें पूरी जानकारी सिंगल क्लिक से मिलेगी. यानि पूरी विधानसभा हाईटेक और डिजिटल होगी."

विधानसभा का प्रस्ताव तैयार: विधानसभा अध्‍यक्ष ने बताया कि देश की सभी विधानसभाएं एक ही पोर्टल से जुड़ जाएंगी तो जितने भी एजेंडे, नोटिस, प्रश्‍न और उनके उत्‍तर होंगे वे सब एक स्थान पर ही होंगे. इस संबंध में प्रस्ताव तैयार हो गया है.

ई-विधान का अध्ययन पूरा: ई विधान व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा की टीम केरल और कर्नाटक राज्य का दौरा कर आई है, इस दौरे में विधानसभा अध्यक्ष के साथ विधानसभा के प्रमुख सचिव ए. पी. सिंह और आईटी से संबिधित अधिकारियो ने ई-विधान का अध्ययन किया.

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा भी पेपरलेस की तरफ कदम बढ़ा रही है, लेकिन सरकार के खजाने से उसे 70 करोड़ चाहिए. फिलहाल राशि नहीं मिलने से पेपरलेस विधानसभा का सपना अभी अधर में लटक गया है, वहीं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की मंशा है कि, दूसरे राज्यों की तरह मप्र विधानसभा भी पेपरलेस हो जाए, लेकिन सरकार से फिलहाल बजट की स्वीकृति नहीं मिली है, जिसके चलते इस बार का शीतकालीन सत्र भी पेपर वाला होगा.

सरकार के पास भेजा गया प्रस्ताव: विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि, 70 करोड़ की राशि की जरूरत है, जो की दो किश्तों में मांगी गई है. हमने दूसरे राज्यों के पेपरलेस विधानसभाओं का अध्ययन भी कर लिया है, हम पूरे तैयार हैं. अब जब सरकार राशि देगी हम पेपरलेस की तरफ बढ़ जायेंगे.

क्या है ई-असेंबली: पेपरलेस (Madhya Pradesh Assembly) असेंबली या ई-असेंबली एक अवधारणा है, जिसमें असेंबली के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक साधन शामिल हैं. यह संपूर्ण कानून बनाने की प्रक्रिया के स्वचालन, निर्णयों और दस्तावेजों की ट्रैकिंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है. नेवा को लागू करने का खर्च केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 90:10 के बंटवारे के आधार पर दिया जाता है, मध्यप्रदेश को बजट नहीं मिला है, नहीं तो ई-विधान सिस्टम से विधानसभा पेपरलेस हो जाती.

समझिए क्या है ई विधान: ई-विधान सिस्टम का मकसद देश की सभी विधानसभाओं को एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर लाना है, सभी विधानसभाओं के बाद इसे संसद और सभी विधान परिषदों में भी लागू करने की योजना है. मौजूदा रिपोर्ट्स के मुताबिक ई-विधान सिस्टम का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है.

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ऑनलाइन सवालों में विधायको की रुचि नहीं: विधानसभा सचिवालय ने सभी विधायकों को सवाल से लेकर ध्यानाकर्षण, शून्यकाल की सूचनाएं, याचिकाएं, स्थगन प्रस्ताव तक ऑनलाइन पूछने की सुविधा दी है, लेकिन प्रदेश के विधायकों की ऑनलाइन सवाल पूछने में रुचि ज्यादा नहीं है. इस माह होने वाले शीतकालीन सत्र के लिए भी इस बार ऑनलाइन सिर्फ 783 सवाल ही पूछे गए है, जबकि ऑफलाइन सवालों की संख्या 849 है.

इस दिन से शुरू होगा एमपी का विधानसभा सत्र: मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस बार 19 दिसंबर से 23 दिसंबर के बीच होने जा रहा है.29 नवंबर तक इस सत्र के लिए सवाल पूछने की अंतिम तारीख थी, आखिरी दिन तक 58 सवाल ऑनलाइन पूछे गए, जिसमें ऑफलाइन 68 सवाल पूछे गए.

क्या कहते हैं नेता प्रतिपक्ष: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का कहना है कि, "शिवराज सरकार सिर्फ अपनी ब्रांडिंग में पैसा पानी की तरह बहा रही हैं, विधानसभा को पेपरलेस नही करना चाहती सरकार, जहां तक बजट का सवाल है तो मध्यप्रदेश सरकार को तो बहुत कम राशि देनी है. पेपरलेस विधानसभा होने से जानकारी जनता को पता चलेगी, इसलिए शिवराज सरकार इस तरफ कदम नहीं बढ़ा रही है."

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हर साल बचेंगे 54 करोड़ रुपए: विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि, "ई विधान व्यवस्था लागू होने के बाद दैनिक कार्यसूची, प्रश्नोत्तरी, बिल समेत सब कुछ डिजिटल होगा, इसके बाद पेपर पर कुछ नहीं होगा, इससे विधानसभा के 54 करोड़ रुपये हर साल बचेंगे और 28 करोड़ रुपए के A4 साइज के कागज बचेंगे. इससे हमारा 70 प्रतिशत खर्च कम होगा. हर विधायक की सीट के सामने कम्प्यूटर सिस्टम लगाया जाएगा, जिसमें पूरी जानकारी सिंगल क्लिक से मिलेगी. यानि पूरी विधानसभा हाईटेक और डिजिटल होगी."

विधानसभा का प्रस्ताव तैयार: विधानसभा अध्‍यक्ष ने बताया कि देश की सभी विधानसभाएं एक ही पोर्टल से जुड़ जाएंगी तो जितने भी एजेंडे, नोटिस, प्रश्‍न और उनके उत्‍तर होंगे वे सब एक स्थान पर ही होंगे. इस संबंध में प्रस्ताव तैयार हो गया है.

ई-विधान का अध्ययन पूरा: ई विधान व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा की टीम केरल और कर्नाटक राज्य का दौरा कर आई है, इस दौरे में विधानसभा अध्यक्ष के साथ विधानसभा के प्रमुख सचिव ए. पी. सिंह और आईटी से संबिधित अधिकारियो ने ई-विधान का अध्ययन किया.

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