भोपाल। मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस के भीतर फिर से आग सुलगने लगी है. कोई खुले तौर पर तो कोई मौन रहकर अपने तरह से विरोध भी जताने लगा है. राज्य में पंचायत चुनाव तो गैर दलीय आधार पर होना है मगर नगरीय निकाय के चुनाव दलीय आधार पर होने वाले हैं. महापौर पद का चुनाव सीधे मतदाता करने वाले हैं और नगर पंचायत व नगर परिषद में अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षदों के जरिए होगा. कांग्रेस में इन दिनों उम्मीदवारी को लेकर सर्वे करा रही है तो दूसरी ओर विभिन्न क्षेत्रीय नेताओं से चर्चाओं का दौर जारी है। प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने नौ जून केा नेताओं की एक बैठक भी बुलाई है.
अंदरुनी दंगल तेज: इसी बीच पार्टी ने मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया क्योंकि मीडिया विभाग के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. यह जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता के के मिश्रा को सौंपी गई है, इसके अलावा उपाध्यक्ष और प्रवक्ताओं की भी नियुक्ति की गई है. इसके बाद से पार्टी के अंदर उथल-पुथल तेज हो गई है. प्रदेश के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष बनाए गए भूपेंद्र गुप्ता का एक ट्वीट इन दिनों चर्चा में है जिसमें उन्होंने लिखा है, जीवन भी कितना अजीब है जुड़े हैं उन्हें छोड़ दिया जाता है जो सीधे हैं उन्हें ठोक दिया जाता है. (kamalnath vs digvijay singh) (urban panchayat elections in Madhya Pradesh)
कांग्रेस को एकजुट करना संभव?: इतना ही नहीं मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष बनाए गए एक नेता ने तो आप पार्टी के दफ्तर ही आना छोड़ दिया है. इस बात की भी सियासी गलियारे में खूब चर्चा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है और नेताओं में खुशी और नाराजगी चलती रहती है. फिलहाल कांग्रेसी एकजुट होने की कोशिश कर रही है क्योंकि आगामी समय में होने वाले चुनाव विधानसभा के चुनाव के लिए सेमी फाइनल हैं. इन चुनावों की जीत आगे की आधारशिला रखेगी. (Lobbying in MP Congress) (madhya pradesh congress groupism)
गांव में सड़क न होने का अनोखा विरोध, नामांकन करने बैलगाड़ी से पहुंचा पंच पद का प्रत्याशी
जानकारों का मत: राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का मानना है कि कांग्रेस आपसी गुटबाजी के कारण ही राज्य में लगातार कमजोर हो रही है. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़े गए तो जीत मिली, अब एक बार फिर ऐसा समय आया है जब कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े तो उसकी इस स्थिति में बदलाव आ सकता है, मगर नगरीय निकाय चुनाव के पहले ही जो बातें पार्टी के गलियारों से बाहर आ रही हैं वे कांग्रेस को कमजोर करने वाली ही है. (Lobbying in MP Congress) (madhya pradesh congress groupism)