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दुकान नहीं खोलने को लेकर शराब कारोबारियों ने दिया शपथ पत्र, कहा- सरकार की शर्तें मंजूर नहीं

सरकार और शराब ठेकेदारों की खींचतान चरम पर पहुंच चुकी है. शराब ठेकेदारों ने दुकान न खोलने को लेकर अब शपथ पत्र भी दे दिया है. पढ़िए पूरी खबर....

State liquor contractors gave affidavit for not opening shop
भोपाल:प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने दुकान न खोलने को लेकर दिया शपथ पत्र
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Published : Jun 6, 2020, 2:34 PM IST

भोपाल। प्रदेश सरकार और शराब ठेकेदारों की खींचतान लगातार बढ़ती चली जा रही है. शराब ठेकेदार सरकार की शर्तों पर दुकान खोलने को तैयार नहीं हैं. यहां तक कि हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश के बाद भोपाल के 2 बड़े शराब ठेकेदारों ने दुकान न खोलने को लेकर शपथ पत्र भी दे दिया है. इसके बाद शासन अपने स्तर पर कोई भी निर्णय ले सकता है. इसके अलावा प्रदेश के भी कई ठेकेदारों ने इसी प्रकार का शपथ पत्र आबकारी विभाग में भेज दिया है. साथ ही अपनी जमा की गई राशि भी वापस मांगी है. शपथ पत्र के दौरान उन्होंने साफ कर दिया है कि वह सरकार की शर्तों पर दुकान नहीं चलाना चाहते हैं.

State liquor contractors gave affidavit for not opening shop
भोपाल:प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने दुकान न खोलने को लेकर दिया शपथ पत्र

सरकार के पास री टेंडर या खुद आबकारी विभाग के द्वारा शराब दुकानें खुलवाने का एक विकल्प बचा हुआ है. दरअसल हाई कोर्ट की तरफ से शराब दुकान संचालन को लेकर दी गई समय सीमा सोमवार को खत्म हो रही है. इस दौरान भोपाल के एक भी ठेकेदार ने दुकान संचालन करने के लिए विभाग को पत्र नहीं सौंपा है. गुरुवार को ठेके सरेंडर कर दिए गए थे.

हाईकोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिए थे कि जो शराब ठेकेदार सरकार की नई नीति के अनुसार ठेका जारी रखना चाहते हैं वे 3 दिन में शपथ पत्र पेश करें. चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने इस दौरान कहा था कि सरकार ऐसा ना करने वाले ठेकेदारों को आवंटित शराब दुकानों की फिर से नीलामी के लिए स्वतंत्र होगी. याचिका के अंतिम दिन निर्णय तक फिर से नीलामी के चलते रिकवरी ना की जाए. कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 जून तय करते हुए कहा है कि इस बीच ठेकेदारों पर कार्रवाई ना की जाए.

वहीं शुक्रवार को इंदौर, देवास, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना के ठेकेदारों ने भी ठेके सरेंडर कर दिए हैं. इस दौरान ठेकेदारों ने साफ कर दिया है कि इस समय ठेके संचालित करना पूरी तरह से घाटे का सौदा साबित हो रहा है. ठेकेदार लाइसेंस फीस कम करने की मांग कर रहे हैं, जिसे सरकार नहीं मान रही है. शराब ठेकेदारों का मानना है कि जिस तरह की विषम परिस्थितियां इस समय देश और प्रदेश में बनी हुई है ऐसे में शराब ठेकेदारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसे लेकर वे सरकार से कुछ छूट चाहते हैं ताकि शराब ठेकेदारों को भी राहत मिल सके, लेकिन सरकार किसी भी तरह की रियायत नहीं दे रही है. यही वजह है कि शराब कारोबारियों के बीच और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है.

दो दिन पहले ही प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत करते हुए यह साफ कर दिया था कि सरकार किसी के भी दबाव में आने वाली नहीं है. यहां तक कि उन्होंने दूसरे विकल्पों पर विचार करने की बात भी कही थी. अब सरकार का रुख क्या होगा यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा, लेकिन यह निश्चित है कि सरकार को शराब कारोबार से करोड़ों के राजस्व का नुकसान जरूर उठाना पड़ेगा. वहीं दूसरी ओर एक बार फिर से इन शराब की दुकानों के लिए सरकार को टेंडर बुलाने होंगे.

भोपाल। प्रदेश सरकार और शराब ठेकेदारों की खींचतान लगातार बढ़ती चली जा रही है. शराब ठेकेदार सरकार की शर्तों पर दुकान खोलने को तैयार नहीं हैं. यहां तक कि हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश के बाद भोपाल के 2 बड़े शराब ठेकेदारों ने दुकान न खोलने को लेकर शपथ पत्र भी दे दिया है. इसके बाद शासन अपने स्तर पर कोई भी निर्णय ले सकता है. इसके अलावा प्रदेश के भी कई ठेकेदारों ने इसी प्रकार का शपथ पत्र आबकारी विभाग में भेज दिया है. साथ ही अपनी जमा की गई राशि भी वापस मांगी है. शपथ पत्र के दौरान उन्होंने साफ कर दिया है कि वह सरकार की शर्तों पर दुकान नहीं चलाना चाहते हैं.

State liquor contractors gave affidavit for not opening shop
भोपाल:प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने दुकान न खोलने को लेकर दिया शपथ पत्र

सरकार के पास री टेंडर या खुद आबकारी विभाग के द्वारा शराब दुकानें खुलवाने का एक विकल्प बचा हुआ है. दरअसल हाई कोर्ट की तरफ से शराब दुकान संचालन को लेकर दी गई समय सीमा सोमवार को खत्म हो रही है. इस दौरान भोपाल के एक भी ठेकेदार ने दुकान संचालन करने के लिए विभाग को पत्र नहीं सौंपा है. गुरुवार को ठेके सरेंडर कर दिए गए थे.

हाईकोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिए थे कि जो शराब ठेकेदार सरकार की नई नीति के अनुसार ठेका जारी रखना चाहते हैं वे 3 दिन में शपथ पत्र पेश करें. चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने इस दौरान कहा था कि सरकार ऐसा ना करने वाले ठेकेदारों को आवंटित शराब दुकानों की फिर से नीलामी के लिए स्वतंत्र होगी. याचिका के अंतिम दिन निर्णय तक फिर से नीलामी के चलते रिकवरी ना की जाए. कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 जून तय करते हुए कहा है कि इस बीच ठेकेदारों पर कार्रवाई ना की जाए.

वहीं शुक्रवार को इंदौर, देवास, टीकमगढ़, भिंड, मुरैना के ठेकेदारों ने भी ठेके सरेंडर कर दिए हैं. इस दौरान ठेकेदारों ने साफ कर दिया है कि इस समय ठेके संचालित करना पूरी तरह से घाटे का सौदा साबित हो रहा है. ठेकेदार लाइसेंस फीस कम करने की मांग कर रहे हैं, जिसे सरकार नहीं मान रही है. शराब ठेकेदारों का मानना है कि जिस तरह की विषम परिस्थितियां इस समय देश और प्रदेश में बनी हुई है ऐसे में शराब ठेकेदारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसे लेकर वे सरकार से कुछ छूट चाहते हैं ताकि शराब ठेकेदारों को भी राहत मिल सके, लेकिन सरकार किसी भी तरह की रियायत नहीं दे रही है. यही वजह है कि शराब कारोबारियों के बीच और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है.

दो दिन पहले ही प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत करते हुए यह साफ कर दिया था कि सरकार किसी के भी दबाव में आने वाली नहीं है. यहां तक कि उन्होंने दूसरे विकल्पों पर विचार करने की बात भी कही थी. अब सरकार का रुख क्या होगा यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा, लेकिन यह निश्चित है कि सरकार को शराब कारोबार से करोड़ों के राजस्व का नुकसान जरूर उठाना पड़ेगा. वहीं दूसरी ओर एक बार फिर से इन शराब की दुकानों के लिए सरकार को टेंडर बुलाने होंगे.

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