ऐसे शुरू हुआ लेटर वॉर-
मध्यप्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच राज्यपाल लालजी टंडन ने सबसे पहले 14 मार्च को पत्र लिखकर कमलनाथ सरकार से 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही. राज्यपाल ने पत्र लिखकर अपने अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट करवाने की बात कही. जिससे कयास लगाए जाने लगे कि कमलनाथ सरकार बजट सत्र के पहले दिन ही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवा सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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राज्यपाल लाल जी टंडन के पत्र के जवाब में सीएम कमलनाथ ने 16 मार्च को एक जवाबी पत्र लिखा. इसमें उन्होंने लिखा कि "आपका पत्र 14 तारीख को मध्य रात्रि में मिला था. मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं 13 मार्च को जब आपसे मिला था तब मैने बताया था कि बीजेपी ने कांग्रेस के कुछ विधायकों को बंधक बनाया हुआ है और ऐसे में फ्लोर टेस्ट करवाना उचित नहीं होगा." उन्होंने लिखा कि एक बार बंधक विधायकों को आ जाने दीजिए फिर फ्लोर टेस्ट करा लिया जाएगा.
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सीएम कमलनाथ के 16 मार्च को लिखे पत्र के जवाब में राज्यपाल लालजी टंडन इसी दिन सीएम के नाम एक और पत्र लिखा. इसमें उन्होंने लिखा कि "मेरे 14 मार्च को लिखे पत्र का उत्तर मिला है, मुझे खेद है कि पत्र की भाव/भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है." वहीं उन्होंने पत्र में यह भी मांग की कि 17 मार्च को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाए, नहीं तो माना जाएगा कि आपके पास बहुमत नहीं है.
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राज्यपाल के 16 मार्च के इस पत्र के जवाब में सीएम कमलनाथ ने एक और पत्र लिखा. इसमें उन्होंने लिखा कि "आपका पत्र पढ़कर मैं दुखी हूं. मुझ पर संसदीय मर्यादा ना निभाने का आरोप लगाया गया है. मेरे व्यवहार से आपको दुख पहुंचा हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं". पत्र में सीएम ने लिखा कि एक बार 16 बंधक विधायकों को आ जाने दीजिए, फ्लोर टेस्ट करा लिया जाएगा. वहीं उन्होंने कहा कि मैंने फ्लोर टेस्ट से सम्बंधित सारी जानकारी विधानसभा अध्यक्ष को भी दे दी है.
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लेटर 'वॉर' में विधानसभा अध्यक्ष भी कूदे
मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने भी राज्यपाल लालजी टंडन को एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने लिखा कि "इन विधायकों के इस्तीफे मुझे किसी दूसरे दल के व्यक्ति द्वारा प्राप्त हुए, ना कि उनके परिजनों या किसी अधिकृत व्यक्ति द्वारा. वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर जो उनके बयान आ रहे हैं, उसके अनुसार ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि वो दबाव में तो नहीं हैं. इसलिए उन 16 विधायकों की वापसी सुनिश्चित की जाए."
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राज्यपाल ने विधानसभा स्पीकर के लिए एक जवाबी पत्र लिखा. इसमें उन्होंने लिखा कि पिछले आठ दिनों से आप जिस पीड़ा से गुजर रहे होंगे, उसका मुझे भी अंदाजा हो रहा है. यहां तक माननीय सदस्यों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के संबंध में प्रश्न हैं. उसमें आपके द्वारा 22 में से छह माननीय सदस्यों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के निष्पक्ष, साहस पूर्ण और शीघ्र किए गए निराकरण की भी मैं प्रसन्नता करता हूं.
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