भोपाल। कोरोना से जिंदगी की जंग हारने वाले कांग्रेस विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले के दिग्गज कांग्रेस नेता रहे हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली. उन्होंने पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर मंत्री तक का सफर तय किया. वे पांच बार विधायक के तौर पर चुने गए. कमलनाथ सरकार में वे वाणिज्यिक मंत्री भी बनाए गए थे.
विरासत में मिली राजनीति
बृजेन्द्र सिंह राठौर को राजनीति विरासत में मिली. उनके पिता अमर सिंह राठौर स्वतंत्रता संग्राम सैनानी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे. बृजेन्द्र सिंह राठौर के राजनैतिक सफर की शुरुआत 1982 में जिला युवक कांग्रेस के महामंत्री के रूप में हुई. 1983-84 में जनपद अध्यक्ष और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के वे संचालक रहे. 1986 में तेंदूपत्ता संघ और मध्यप्रदेश अपेक्स बैंक संघ के संचालक और जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
1993 में पहली बार 10वीं विधानसभा के सदस्य
वर्ष 1992 में बृजेन्द्र सिंह राठौर जिला कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष बने. राठौर वर्ष 1993 में पहली बार 10वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. बृजेन्द्र सिंह राठौर विधायक क्लब मध्यप्रदेश परिवहन विभाग की सलाहकार समिति और सागर विश्वविद्यालय के काउंसलिंग सदस्य भी रहे.
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बिंदूवार समझें राजनीतिक सफर
- 1998 में दूसरी बार 11वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
- 2003 में बृजेन्द्र सिंह राठौर तीसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
- 2008 में चौथी बार 13वीं विधानसभा के सदस्य भी रहे.
- 2013 का चुनाव वे दिवंगत बीजेपी विधायक सुनील नायक की पत्नी अनीता नायक से चुनाव हार गए थे.
- 2018 में वे पांचवी बार पृथ्वीपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. कमलनाथ सरकार में उन्हें वाणिज्यिक कर मंत्री बनाया गया था.