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प्यारे मियां यौन शोषण मामला: पुलिस ने पीड़िता का सीधे कराया अंतिम संस्कार, मां करती रही घर पर इंतजार

भोपाल में यूपी के हाथरस गैंगरेप के बाद जबरन पीड़िता के अंतिम संस्कार कराने जैसी स्थिति देखने को मिली है. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में फरियादी की मौत के बाद पुलिस की निगरानी में अंतिम संस्कार किया गया. परिजनों का आरोप है कि वह बच्ची का शव घर ले जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने बच्ची का शव ना देकर जबरदस्ती अंतिम संस्कार कर दिया.

The last rites of the victim under police supervision
पीड़ित का पुलिस निगरानी में हुआ अंतिम संस्कार
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Published : Jan 22, 2021, 10:44 AM IST

Updated : Jan 22, 2021, 12:02 PM IST

भोपाल। प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में बुधवार को एक नाबालिग की मौत हो गई थी. जिसके बाद यूपी के हाथरस गैंगरेप जैसी स्थिति देखने को मिली. पीड़िता के मौत के बाद गुरुवार को पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां पुलिस की निगरानी में विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में पीड़िता ही फरियादी भी थी. पीड़िता के परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार कर रहे थे. लेकिन पुलिस उन्हें शव सौंपना ही नहीं चाहती थी. पीड़िता की मां ने बताया कि वह अपनी बेटी के शव का घर पर इंतजार करती रही और पुलिस ने सीधे अंतिम संस्कार विश्राम घाट पर करा दिया. सवाल यह है कि आखिर ऐसा करने के पीछे क्या जल्दबाजी थी?

पीड़िता की मां का आरोप


नाबालिग की मां का आरोप है कि बच्ची की मौत के बाद पीड़िता के चाचा और पिता ने शव घर ले जाने की जिद की. लेकिन पुलिस ने शव देने से इंकार कर दिया. बच्ची का शव सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गए. पीड़िता की मां का यह भी कहना है कि हम बच्ची का अंतिम संस्कार अपने रीति-रिवाज के साथ करना चाहते थे. लेकिन पुलिस ने मुझसे और बच्ची के पिता से जबरदस्ती साइन कराकर गाड़ी में लेकर शव विश्राम घाट ले गए. जहां मेरी बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

The last rites of the victim under police supervision
पीड़ित का पुलिस निगरानी में हुआ अंतिम संस्कार

'पुलिस की दलील, अशांति की थी आशंका'


इस मामले में एएसपी रामस्नेही मिश्रा का कहना कि, बच्ची की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है. इसलिए पुलिस का दायित्व बनता है कि पूरे मामले में निगरानी रखे. उनका कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर की स्थित बनी रहे, इसमें कोई खलल ना पड़े लिहाजा आम जनता के संवेदनशील मामले को देखते हुए पुलिस की निगरानी में अंतिम संस्कार किया गया.

क्या है पूरा मामला ?

पिछले 6 महीने से 5 फरियादी बालिका गृह में रह रही हैं. उनमें से एक नाबालिग ने 4 दिन पहले नींद की गोलियां खा ली थी. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. नाबालिग की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर उसके परिजन भी अस्पताल पहुंचे, उन्होंने बाल गृह पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. नाबालिग की मां का कहना है कि अगर उनकी बेटी ने कोई नशीला पदार्थ खाया था तो ये आया कहां से? बाल गृह में बाहर से आखिर नींद की गोलियां कैसे पहुंची जबकि ये सामान्य लोगों तक को मेडिकल शॉप्स पर आसानी से उपलब्ध नहीं. बच्ची जहां एक चॉकलेट नहीं जा सकती थी. वहां इस तरह की लापरवाही कैसे हुई?

पढ़ें :प्यारे मियां यौन शोषण मामला: नाबालिग की मौत, दो दिन पहले खाया था जहर

वार्डन और नाबालिग की मां के बीच हुआ था झगड़ा

इधर ये बात भी सामने आई है कि कुछ दिन पहले बाल गृह की अधीक्षिका और नाबालिग की मां के बीच झगड़ा हुआ था. ऐसा कहा जा रहा है कि इस दौरान मारपीट तक हो गई थी. पुलिस ने मामला शांत कराया था. बताया जा रहा है कि नाबालिग की मां उसे घर ले जाना चाहती थी, लेकिन वार्डन ने परमिशन नहीं दी.

एक और पीड़िता की बिगड़ी थी तबीयत

इस केस जुड़ी एक और पीड़िता की तबीयत खराब हुई थी. जिसे जेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. हालांकि अब बताया जा रहा है कि उसकी हालत में सुधार है और उसे वापस बाल गृह पहुंचा दिया गया है.

कलेक्टर ने दिए थे जांच के आदेश

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर अविनाश लवानिया ने मंगलवार को न्यायायिक जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद बुधवार को अपर मजिस्ट्रेट माया अवस्थी ने जांच शुरू कर दी. इस कड़ी में नेहरू नगर स्थित बालिका गृह में जांच दल भी पहुंचा था. मामले की मजिस्ट्रियल जांच के लिए अधिकारी माया अवस्थी नियुक्त की गई हैं.

अभी बच्चियों की गवाही बाकी है

आरोपी प्यारे मियां के खिलाफ नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण के कई मामले दर्ज हैं. प्यारे मियां फिलहाल जेल में है. यह मामला जिला कोर्ट में चल रहा है. अभी बच्चियों की गवाही कोर्ट में होना है. हालांकि कोर्ट में सुनवाई नहीं होने के कारण लंबे समय से बच्चियां बाल गृह में ही रह रहीं हैं.

भोपाल। प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में बुधवार को एक नाबालिग की मौत हो गई थी. जिसके बाद यूपी के हाथरस गैंगरेप जैसी स्थिति देखने को मिली. पीड़िता के मौत के बाद गुरुवार को पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां पुलिस की निगरानी में विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में पीड़िता ही फरियादी भी थी. पीड़िता के परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार कर रहे थे. लेकिन पुलिस उन्हें शव सौंपना ही नहीं चाहती थी. पीड़िता की मां ने बताया कि वह अपनी बेटी के शव का घर पर इंतजार करती रही और पुलिस ने सीधे अंतिम संस्कार विश्राम घाट पर करा दिया. सवाल यह है कि आखिर ऐसा करने के पीछे क्या जल्दबाजी थी?

पीड़िता की मां का आरोप


नाबालिग की मां का आरोप है कि बच्ची की मौत के बाद पीड़िता के चाचा और पिता ने शव घर ले जाने की जिद की. लेकिन पुलिस ने शव देने से इंकार कर दिया. बच्ची का शव सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गए. पीड़िता की मां का यह भी कहना है कि हम बच्ची का अंतिम संस्कार अपने रीति-रिवाज के साथ करना चाहते थे. लेकिन पुलिस ने मुझसे और बच्ची के पिता से जबरदस्ती साइन कराकर गाड़ी में लेकर शव विश्राम घाट ले गए. जहां मेरी बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

The last rites of the victim under police supervision
पीड़ित का पुलिस निगरानी में हुआ अंतिम संस्कार

'पुलिस की दलील, अशांति की थी आशंका'


इस मामले में एएसपी रामस्नेही मिश्रा का कहना कि, बच्ची की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है. इसलिए पुलिस का दायित्व बनता है कि पूरे मामले में निगरानी रखे. उनका कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर की स्थित बनी रहे, इसमें कोई खलल ना पड़े लिहाजा आम जनता के संवेदनशील मामले को देखते हुए पुलिस की निगरानी में अंतिम संस्कार किया गया.

क्या है पूरा मामला ?

पिछले 6 महीने से 5 फरियादी बालिका गृह में रह रही हैं. उनमें से एक नाबालिग ने 4 दिन पहले नींद की गोलियां खा ली थी. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. नाबालिग की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर उसके परिजन भी अस्पताल पहुंचे, उन्होंने बाल गृह पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. नाबालिग की मां का कहना है कि अगर उनकी बेटी ने कोई नशीला पदार्थ खाया था तो ये आया कहां से? बाल गृह में बाहर से आखिर नींद की गोलियां कैसे पहुंची जबकि ये सामान्य लोगों तक को मेडिकल शॉप्स पर आसानी से उपलब्ध नहीं. बच्ची जहां एक चॉकलेट नहीं जा सकती थी. वहां इस तरह की लापरवाही कैसे हुई?

पढ़ें :प्यारे मियां यौन शोषण मामला: नाबालिग की मौत, दो दिन पहले खाया था जहर

वार्डन और नाबालिग की मां के बीच हुआ था झगड़ा

इधर ये बात भी सामने आई है कि कुछ दिन पहले बाल गृह की अधीक्षिका और नाबालिग की मां के बीच झगड़ा हुआ था. ऐसा कहा जा रहा है कि इस दौरान मारपीट तक हो गई थी. पुलिस ने मामला शांत कराया था. बताया जा रहा है कि नाबालिग की मां उसे घर ले जाना चाहती थी, लेकिन वार्डन ने परमिशन नहीं दी.

एक और पीड़िता की बिगड़ी थी तबीयत

इस केस जुड़ी एक और पीड़िता की तबीयत खराब हुई थी. जिसे जेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. हालांकि अब बताया जा रहा है कि उसकी हालत में सुधार है और उसे वापस बाल गृह पहुंचा दिया गया है.

कलेक्टर ने दिए थे जांच के आदेश

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर अविनाश लवानिया ने मंगलवार को न्यायायिक जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद बुधवार को अपर मजिस्ट्रेट माया अवस्थी ने जांच शुरू कर दी. इस कड़ी में नेहरू नगर स्थित बालिका गृह में जांच दल भी पहुंचा था. मामले की मजिस्ट्रियल जांच के लिए अधिकारी माया अवस्थी नियुक्त की गई हैं.

अभी बच्चियों की गवाही बाकी है

आरोपी प्यारे मियां के खिलाफ नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण के कई मामले दर्ज हैं. प्यारे मियां फिलहाल जेल में है. यह मामला जिला कोर्ट में चल रहा है. अभी बच्चियों की गवाही कोर्ट में होना है. हालांकि कोर्ट में सुनवाई नहीं होने के कारण लंबे समय से बच्चियां बाल गृह में ही रह रहीं हैं.

Last Updated : Jan 22, 2021, 12:02 PM IST
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