भोपाल। प्रदेश में धान मिलिंग की क्षमता बढ़ाने मिलिंग की बड़ी इकाईयां स्थापित की जाएगी. धान की लाभदाई प्रजातियां लगाने और धान में टूटन कम आए, इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित भी किया जायेगा. धान के अलावा अन्य लाभदायी फसलें लेने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा. खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान मिलिंग पर मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य शासन के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है. धान मिलिंग दरों के संबंध में अंतिम निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया जाएगा.
कैबिनेट ने दी खरीफ की फसलों पर MSP की मंजूरी
लगातार बढ़ रहा प्रदेश में धान उत्पादन
प्रदेश में धान उत्पादन में हर साल वृद्धि हो रही है. वर्ष 2020-21 में कुल 37.26 लाख मैट्रिक टन धान उपार्जित किया गया. जबकि वर्ष 2017-18 में यह मात्रा केवल 16.60 मैट्रिक टन थी. प्रदेश में कुल 804 मिलर्स हैं. जिनमें 396 मिलों की मिलिंग क्षमता 4 मैट्रिक टन प्रति घंटा 392 मिलर्स की मिलिंग क्षमता 4 से 8 मैट्रिक टन प्रतिघंटा है. मात्र 16 इकाईयों की मिलिंग क्षमता 8 मैट्रिक टन प्रति घंटा से अधिक है.
प्रदेश की वर्तमान मिलिंग क्षमता 35 हजार मैट्रिक टन प्रतिदिन है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, ने निर्देश दिए कि प्रदेश में अधिक क्षमता की राइस मिलें स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए.
बैठक में मिलिंग को लेकर सुझाए गए विकल्प
मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा धान की मिलिंग के संबंध में विभिन्न विकल्प प्रस्तुत किए गए. मिलर संघों द्वारा प्रस्तुत चावल परिदान के प्रस्तावों, अन्य धान उत्पादक राज्यों की मिलिंग संबंधी नीति और प्रक्रिया पर भी विचार-विमर्श हुआ. बैठक में मंत्रिमंडलीय उप समिति द्वारा चावल परिदान के प्रस्तावित अनुपात, मिलिंग की प्रोत्साहन राशि और अपग्रेडेशन की राशि के संबंध में विकल्प प्रस्तुत किए गए.
बैठक में ये रहे उपस्थित
मंत्रालय में आयोजित बैठक में वित्त एवं वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहू लाल सिंह, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल, आयुष राज्य मंत्री राम किशोर कांवरे उपस्थित थे. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति फैज अहमद किदवई ने भी बैठक में भाग लिया.