रतलाम: मध्य प्रदेश में अब खाद की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए नई समस्या खड़ी हो गई है. ट्रांसफार्मर खराब होने से परेशान किसान 3-3 दिनों से विद्युत वितरण कंपनी के ट्रांसफार्मर डिपो के चक्कर लगा रहे हैं. निजी साधनों या भाड़े के वाहन लेकर आए किसानों को ट्रांसफार्मर नहीं मिल पा रहा है. जिससे दूर-दूर से आए कई किसानों को रात भी यहीं गुजरना पड़ रहा है. किसानों ने आरोप लगाया है कि पैसों के लेनदेन के बिना नया ट्रांसफार्मर नहीं मिलता है. बड़ी जद्दोजहद और लंबी वेटिंग के बाद ट्रांसफार्मर मिलता भी है तो, कई बार खराब ट्रांसफार्मर किसानों को थमा दिए जाते हैं. इतना ही नहीं सिंचाई के विद्युत कनेक्शन वाले ट्रांसफार्मर के साथ-साथ गांव की विद्युत सप्लाई वाले ट्रांसफार्मर के लिए भी 2 दिनों से लोग यहां धरना दिए बैठे हैं.
ट्रांसफार्मर के लिए किसानों की लगी लंबी लाइन
रबी सीजन की फसलों की बुवाई के साथ ही सिंचाई का सीजन शुरू हो चुका है. एक तरफ जहां खाद की मारामारी चल रही है. किसानों को खाद के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी ओर अब खराब ट्रांसफार्मर बदलवाने के लिए भी किसानों को परेशान होना पड़ रहा है और लाइन लगाकर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि ट्रांसफार्मर से ऑयल चोरी और मेंटेनेंस के अभाव में ट्रांसफार्मर लगातार जल रहे हैं. जिसकी वजह से लगभग हर गांव से प्रतिदिन जले हुए ट्रांसफार्मर लेकर किसान ट्रांसफार्मर डिपो पहुंच रहे हैं.
ट्रांसफार्मर डिपो में रिश्वत लेने का आरोप
बीते दिनों ट्रांसफार्मर नहीं मिलने से नाराज किसान सीधे कलेक्ट्रेट में ही ट्रैक्टर पर ट्रांसफार्मर लाद कर पहुंच गए थे. चितावद गांव से आए किसानों ने आरोप लगाया कि चंबल कॉलोनी स्थित ट्रांसफार्मर डिपो के कर्मचारियों को ट्रांसफार्मर बदलवाने के लिए 500 से लेकर 5000 हजार रुपये तक की रिश्वत देनी पड़ रही है. फसल सूखने के डर से किसान स्वयं के खर्चे पर ट्रैक्टर ट्राली में ट्रांसफार्मर रखकर ला भी ही रहे हैं, लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इससे अब किसानों का सब्र टूटने लगा है और किसान इस मामले पर आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं.
'मेंटेनेंस के अभाव में खराब होते हैं ट्रांसफार्मर'
किसान नेता राजेश पुरोहित का कहना है कि "ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत विभाग द्वारा मेंटेनेंस के नाम पर कोई कार्य नहीं किया जाता है. विद्युत वितरण कंपनी किसानों से बिजली के बिल की वसूली तो कर ही रही है. लेकिन ट्रांसफार्मर खराब हो जाने पर किसानों की कोई सुनवाई नहीं होती है. हाई टेंशन बिजली के तार कई जगह जमीन छू रहे हैं. मेंटेनेंस नहीं होने और फॉल्ट की वजह से ट्रांसफार्मर खराब होते हैं. इसके बाद ट्रांसफार्मर सुधरवाने के लिए किसानों को ही सारी मेहनत करनी पड़ती है. यहां तक की रुपयों की अवैध मांग भी किसानों से की जा रही है."
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'बड़े ट्रांसफार्मर की है शॉर्टेज'
इस मामले को लेकर विद्युत विभाग के डीई शैलेंद्र गुप्ता का कहना है कि "बड़े ट्रांसफार्मर की शॉर्टेज है. छोटे ट्रांसफार्मर किसानों को तत्काल उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. किसान यदि निजी वाहनों से ट्रांसफार्मर लेकर आ रहे हैं तो, उन्हें भाड़ा दिए जाने का भी प्रावधान है."