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मोक्ष पाने के लिए जहां होती है मरने की चाहत, वहां जारी है जिंदा रहने की जद्दोजहद

कोरोना महामारी से निपटने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी तमाम दावे कर रहे हैं, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी की ही बात करें तो मरीज और तीमारदारों की शिकायतें कम होने की बजाय बढ़ती दिख रही हैं.

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Published : Apr 29, 2021, 5:14 PM IST

वाराणसी/भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी कोरोना के कहर से कराह रहा है. कोरोना से लोगों की हो रही मौतों का आलम यह है कि प्रशासन को गंगा किनारे अतिरिक्त श्मशान घाट बनाने पड़े. इसके बावजूद शवों की लाइनें लग रही हैं. हालात देख यकीन नहीं होता कि वाराणसी का वही मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट है, जहां की जलती चिताओं का नजारा देखने विश्व भर से पर्यटक आते हैं और लोगों के मन में यहीं मरने की ख्वाहिश होती है. लोगों के मन में रहता है कि यहां मौत न हो तो कम से कम अंतिम संस्कार यहीं हो, यह तमन्ना तो हिंदू धर्म में सभी की होती है. आज उन्हीं घाटों पर वर्षों से रह रहे लोग कहते हैं कि एक दिन में इतनी चिताएं जलते हुए उन्होंने आजतक नहीं देखी.

चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत

जिले के कलेक्टर भरोसा दे तो रहे हैं कि हम हालात सुधारने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के लिए भटकते परिजन और तड़पते मरीजों की हालत देख उनके भरोसे से भी डर लगने लगा है. क्योंकि अगले ही क्षण जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा यह भी कहते हैं कि वर्तमान में 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में हो पा रही है. ऐसे में आधुनिक क्योटो (जापान की राजधानी) बनने की राह पर चला ऐतिहासिक शहर बनारस पिछले 6 वर्षों में लोगों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने की स्थिति में भी पहुंचा है, इसका जवाब कोरोना के बेकाबू होते आंकड़े और गंगा किनारे जलती चिताएं दे रही हैं. जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यहां के अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों तक का मुआयना किया, जहां के दृश्यों को देख कलेजा पसीज जाए. वाराणसी में कोरोना के कुल मामले 63 हजार 237 हो चुके हैं, जिनमें 44 हजार लोग ठीक चुके हैं, साथ ही सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 529 लोग जान गंवा चुके हैं, लेकिन श्मशान घाट का नजारा देख सरकारी आंकड़ों पर यकीन आसानी से नहीं होता.

Reality of medical facilities
मरीज को भर्ती के लिए ले जाते परिजन

हर दिन जल रही हैं सैकड़ों लाशें, लोग अपनी बारी का कर रहे इंतजार

वाराणसी में सरकारी आंकड़ों की बात करें तो हर दिन लगभग 10 मौतें होती हैं, लेकिन मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर जलने वाली चिताओं की बात कर लें तो हर दिन सैकड़ों की संख्या में यहां दाह संस्कार किये जा रहे हैं. आलम यह है कि शव जलाते-जलाते विद्युत शवदाह ग्रह की चिमनिया पिघल गईं हैं. दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भी कमी पड़ रही है. अब वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर कोरोना संक्रमित मरीजों का दाह संस्कार नहीं किया जा रहा है, फिर भी शवों की कतार लगी हुई है. हालांकि, मोक्ष प्राप्ति की लालसा में यहां अन्य जिलों के भी शव लाए जाते हैं.

Reality of medical facilities
मरीज को ऑक्सीजन देते परिजन

कंधे के लिए पैसों की मांग

वर्तमान में हरिश्चंद्र घाट पर लगने वाले शवों की कतार को रोकने के लिए प्रशासन ने सामने घाट पर अस्थाई शवदाह केंद्र भी बनाया है. यहां पर हर दिन लोगों की भीड़ जुटी रहती है. दाह संस्कार करने आए लोगों का कहना है कि हमें शवदाह करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसके साथ ही यहां के लोगों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है. यदि कोई कोरोना मरीज है तो स्थिति और भी बदतर है, ऐसी स्थिति में एक तो दाह संस्कार के लिए मनमानी रकम वसूली जा रही है, दूसरा यदि कंधा देने वाले नहीं हैं तो कंधा देने के लिए भी पैसे की मांग की जा रही है.

Reality of medical facilities
जलती चिताएं

दीनदयाल अस्पताल में तीमारदारों की परेशानी
यह हाल तो धार्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी के श्मशानों का है. वाराणसी के अस्पतालों की स्थिति तो इससे भी बदतर है. वाराणसी में आस-पास के जिलों से भी अपने परिजनों का इलाज कराने अस्पताल पहुंचतें हैं. ऐसे में यहां तीमारदारों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराने और डॉक्टर को दिखाने में काफी मशक्कत हो रही है. लंबे इंतजार के बाद तो नंबर आ रहा है. उस पर भी डॉक्टर भर्ती करने से मना कर दे रहे हैं. ऐसे में हम अपने मरीज को लेकर जाएं तो जाएं कहां.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

अभी भी है ऑक्सीजन की किल्लत

ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आईं डॉक्टर श्रद्धा सिंह कहती हैं कि वर्तमान में ऑक्सीजन की बहुत कमी है. उन्होंने बताया कि मेरी मां की तबीयत काफी खराब रहती है. मुझे कभी भी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए मैं एहतियात के तौर पर यहां सिलेंडर भरवाने आई हूं. मुझे यहां ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. अभी भी ऑक्सीजन की दिक्कत है, जिसकी वजह से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज काफी परेशान हैं.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

अधिकारी नहीं कर रहे कोई मदद
सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी त्रिपाठी बताते हैं कि 10 दिनों से मैं हर दिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में रहता हूं. जब वाराणसी में बने कोविड कमांड सेंटर पर फोन करके वेंटिलेटर,ऑक्सीजन के लिए बात करता हूं तो वहां से सिर्फ आश्वासन मिलता है. उसके बाद मरीज की किसी प्रकार से कोई मदद नहीं मिलती. यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि हर दिन यही स्थिति है. व्यवस्था सुधारने के लिए भले ही जिला प्रशासन ने हर जगह नोडल व सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी हो लेकिन इसका प्रभाव बिल्कुल उलट पड़ रहा है. सभी अधिकारी अपना फोन बंद करके पड़े हुए हैं. मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. कोई मदद करने वाला नहीं है.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी

मंडलीय चिकित्सालय के प्रभारी सीएमएस डॉ. हरिचरण ने बताया कि वर्तमान समय में मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल में ओपीडी का संचालन किया जा रहा है. हमारे यहां कोरोना टेस्ट कराया जाता है. यदि मरीज संक्रमित आता है तो उसे कोविड अस्पताल में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में अस्पताल में 125 होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. यहां पर गंभीर मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही वैक्सीनेशन का काम भी जोरों पर चल रहा है. इससे लोगों को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सके. यहां ऑक्सीजन की कमी ना हो इसलिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बढ़ाई गई है. साथ ही आगामी दिनों में अस्पताल परिसर में जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट में स्थापित हो जाएगा.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

47 अस्पताल,1700 बेड की है व्यवस्था

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि बीते 10 दिनों में 800 बेड से संख्या बढ़ाकर 1700 कर दी गई है. वर्तमान में सभी बेडों पर मरीज हैं. जिले में कुल 46 कोविड अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 39 निजी चिकित्सालय हैं, जबकि 7 सरकारी अस्पताल हैं. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में इन बेडों की संख्या और बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही अगले हफ्ते से वाराणसी के बीएचयू एमपी थिएटर मैदान में अस्थाई अस्पताल भी बनकर तैयार हो जाएगा. यहां 850 बेड होंगे. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में जब ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ेगा तो अन्य निजी अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में तब्दील किया जाएगा, जिससे बेडों की संख्या और बढ़ेगी और हमारे पास कुल 2000 बेड हो जाएंगे.

Reality of medical facilities
अस्पताल का परिसर

लगभग 40 प्रतिशत हो रही है ऑक्सीजन की पूर्ति

जिलाधिकारी ने बताया कि 75 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं. इससे लगभग 150 बेड को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी. इसके साथ ही प्रशासन ने 600 नए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं जो सर्कुलेशन में दिए गए हैं. इसके साथ ही मिर्जापुर ऑक्सीजन प्लांट से 200 सिलेंडर लिए गए ,हैं जिसे पब्लिक में देकर ऑक्सीजन की रोटेशन बढ़ाई जा रही है. उन्होंने बताया कि जनपद में 2-3 ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत होने जा रही है. जिससे ऑक्सीजन से होने वाली बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा और वर्तमान में जो 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में की जा रही है. वह आगामी दिनों में 100 प्रतिशत हो जाएगी.

Reality of medical facilities
परिजनों की लंबी

तारों में दौड़ती मौत! बिजली लाइन से लोगों को हाई 'टेंशन'

600 हैं वेंटिलेटर बेड

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी जनपद में 1700 में से कुल 600 बेड आरक्षित हैं. इनमें वेंटीलेटर के बेड लगभग 150 हैं और बाकी सभी मिलाकर के 450 हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन के 1100 बेड हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि अस्थाई कोविड अस्पताल बनने के बाद 250 बेड त्वरित रूप से बढ़ जाएंगे. इससे मरीजों को सहूलियत होगी क्योंकि वाराणसी में ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों से लोग आते हैं. इनको इन वेंटीलेटर के बेड पर भर्ती किया जाता है. इन बेड को खाली होने में समय लगता है इसलिए मरीजों को थोड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

Reality of medical facilities
मेडिकल स्टाफ

95 लाख से ज्यादा लोगों की हो चुकी है जांच

वाराणसी जनपद में अब तक 95,65,631 लोगों की कोरोना जांच कराई गई है. इसमें 8,69,851 लोग निगेटिव पाए गए हैं. अब जिले में कुल 61,424 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं. जिनमें से 42,098 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. साथ ही इस महामारी से 519 लोगों की जान जा चुकी है. वर्तमान में जिले में एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 18,807 है.

इसे भी पढ़ेंः UP में अब शुक्रवार रात से मंगलवार सुबह तक रहेगा लॉकडाउन

2,71,637 लोगों को लग चुका है टीका

लोगों को महामारी से सुरक्षित रखने के लिए प्रतिदिन जनपद में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत हर दिन लगभग 5000 लोगों का टीकाकरण किया जाता है. इसी के तहत अब तक जिले में 2,71,607 लाभार्थियों ने टीकाकरण कराया है. इसमें 40,690 हेल्थ वर्कर,43100 फ्रंट लाइन वर्कर, 1,87,847 45 वर्ष के ऊपर के लाभार्थी शामिल हैं.

वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग की तैयारी एक नजर में-

  • 46 अस्पताल, 1700 बेड की है व्यवस्था.
  • बीते 10 दिनों में 800 बेड से संख्या बढ़ाकर 1700 कर दी गई है.
  • जिले में कुल 46 कोविड अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 39 निजी चिकित्सालय हैं, जबकि 7 सरकारी अस्पताल हैं.
  • आने वाले रविवार तक बेडों की संख्या और बढ़ाई जाएगी. इनमें 200 ऑक्सीजन युक्त बेड मंडलीय अस्पताल में और 120 ऑक्सीजन युक्त बैठ जिला अस्पताल में शुरू होंगे.
  • अगले हफ्ते से वाराणसी के बीएचयू एमपी थिएटर मैदान में अस्थाई अस्पताल भी बनकर तैयार हो जाएगा. यहां 850 बेड होंगे.
  • जिसके बाद वाराणसी में दो हजार से ज्यादा बेड मरीजों के भर्ती के लिए उपलब्ध होंगे.
  • 40 प्रतिशत हो रही है ऑक्सीजन की आपूर्ति.
  • वर्तमान समय में कुल 4700 ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद है लेकिन जरूरत 8000 से ज्यादा की है.
  • 75 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं.
  • इससे लगभग 150 बेड को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी.
  • इसके साथ ही प्रशासन ने 600 नए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं जो सरकुलेशन में दिए गए हैं.
  • इसके साथ ही मिर्जापुर ऑक्सीजन प्लांट से 200 सिलेंडर लिए गए हैं.
  • जनपद में 2-3 ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत होने जा रही है. जिससे ऑक्सीजन से होने वाली बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा.
  • वर्तमान में जो 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में की जा रही है. वह आगामी दिनों में 100 प्रतिशत हो जाएगी.
  • 1700 में से कुल 600 बेड आरक्षित हैं.
  • इनमें वेंटीलेटर के बेड लगभग 150 है और बाकी सभी मिलाकर के 450 हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन के 1100 बेड

वाराणसी/भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी कोरोना के कहर से कराह रहा है. कोरोना से लोगों की हो रही मौतों का आलम यह है कि प्रशासन को गंगा किनारे अतिरिक्त श्मशान घाट बनाने पड़े. इसके बावजूद शवों की लाइनें लग रही हैं. हालात देख यकीन नहीं होता कि वाराणसी का वही मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट है, जहां की जलती चिताओं का नजारा देखने विश्व भर से पर्यटक आते हैं और लोगों के मन में यहीं मरने की ख्वाहिश होती है. लोगों के मन में रहता है कि यहां मौत न हो तो कम से कम अंतिम संस्कार यहीं हो, यह तमन्ना तो हिंदू धर्म में सभी की होती है. आज उन्हीं घाटों पर वर्षों से रह रहे लोग कहते हैं कि एक दिन में इतनी चिताएं जलते हुए उन्होंने आजतक नहीं देखी.

चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत

जिले के कलेक्टर भरोसा दे तो रहे हैं कि हम हालात सुधारने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के लिए भटकते परिजन और तड़पते मरीजों की हालत देख उनके भरोसे से भी डर लगने लगा है. क्योंकि अगले ही क्षण जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा यह भी कहते हैं कि वर्तमान में 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में हो पा रही है. ऐसे में आधुनिक क्योटो (जापान की राजधानी) बनने की राह पर चला ऐतिहासिक शहर बनारस पिछले 6 वर्षों में लोगों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने की स्थिति में भी पहुंचा है, इसका जवाब कोरोना के बेकाबू होते आंकड़े और गंगा किनारे जलती चिताएं दे रही हैं. जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यहां के अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों तक का मुआयना किया, जहां के दृश्यों को देख कलेजा पसीज जाए. वाराणसी में कोरोना के कुल मामले 63 हजार 237 हो चुके हैं, जिनमें 44 हजार लोग ठीक चुके हैं, साथ ही सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 529 लोग जान गंवा चुके हैं, लेकिन श्मशान घाट का नजारा देख सरकारी आंकड़ों पर यकीन आसानी से नहीं होता.

Reality of medical facilities
मरीज को भर्ती के लिए ले जाते परिजन

हर दिन जल रही हैं सैकड़ों लाशें, लोग अपनी बारी का कर रहे इंतजार

वाराणसी में सरकारी आंकड़ों की बात करें तो हर दिन लगभग 10 मौतें होती हैं, लेकिन मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर जलने वाली चिताओं की बात कर लें तो हर दिन सैकड़ों की संख्या में यहां दाह संस्कार किये जा रहे हैं. आलम यह है कि शव जलाते-जलाते विद्युत शवदाह ग्रह की चिमनिया पिघल गईं हैं. दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भी कमी पड़ रही है. अब वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर कोरोना संक्रमित मरीजों का दाह संस्कार नहीं किया जा रहा है, फिर भी शवों की कतार लगी हुई है. हालांकि, मोक्ष प्राप्ति की लालसा में यहां अन्य जिलों के भी शव लाए जाते हैं.

Reality of medical facilities
मरीज को ऑक्सीजन देते परिजन

कंधे के लिए पैसों की मांग

वर्तमान में हरिश्चंद्र घाट पर लगने वाले शवों की कतार को रोकने के लिए प्रशासन ने सामने घाट पर अस्थाई शवदाह केंद्र भी बनाया है. यहां पर हर दिन लोगों की भीड़ जुटी रहती है. दाह संस्कार करने आए लोगों का कहना है कि हमें शवदाह करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसके साथ ही यहां के लोगों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है. यदि कोई कोरोना मरीज है तो स्थिति और भी बदतर है, ऐसी स्थिति में एक तो दाह संस्कार के लिए मनमानी रकम वसूली जा रही है, दूसरा यदि कंधा देने वाले नहीं हैं तो कंधा देने के लिए भी पैसे की मांग की जा रही है.

Reality of medical facilities
जलती चिताएं

दीनदयाल अस्पताल में तीमारदारों की परेशानी
यह हाल तो धार्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी के श्मशानों का है. वाराणसी के अस्पतालों की स्थिति तो इससे भी बदतर है. वाराणसी में आस-पास के जिलों से भी अपने परिजनों का इलाज कराने अस्पताल पहुंचतें हैं. ऐसे में यहां तीमारदारों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराने और डॉक्टर को दिखाने में काफी मशक्कत हो रही है. लंबे इंतजार के बाद तो नंबर आ रहा है. उस पर भी डॉक्टर भर्ती करने से मना कर दे रहे हैं. ऐसे में हम अपने मरीज को लेकर जाएं तो जाएं कहां.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

अभी भी है ऑक्सीजन की किल्लत

ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आईं डॉक्टर श्रद्धा सिंह कहती हैं कि वर्तमान में ऑक्सीजन की बहुत कमी है. उन्होंने बताया कि मेरी मां की तबीयत काफी खराब रहती है. मुझे कभी भी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए मैं एहतियात के तौर पर यहां सिलेंडर भरवाने आई हूं. मुझे यहां ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. अभी भी ऑक्सीजन की दिक्कत है, जिसकी वजह से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज काफी परेशान हैं.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

अधिकारी नहीं कर रहे कोई मदद
सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी त्रिपाठी बताते हैं कि 10 दिनों से मैं हर दिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में रहता हूं. जब वाराणसी में बने कोविड कमांड सेंटर पर फोन करके वेंटिलेटर,ऑक्सीजन के लिए बात करता हूं तो वहां से सिर्फ आश्वासन मिलता है. उसके बाद मरीज की किसी प्रकार से कोई मदद नहीं मिलती. यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि हर दिन यही स्थिति है. व्यवस्था सुधारने के लिए भले ही जिला प्रशासन ने हर जगह नोडल व सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी हो लेकिन इसका प्रभाव बिल्कुल उलट पड़ रहा है. सभी अधिकारी अपना फोन बंद करके पड़े हुए हैं. मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. कोई मदद करने वाला नहीं है.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी

मंडलीय चिकित्सालय के प्रभारी सीएमएस डॉ. हरिचरण ने बताया कि वर्तमान समय में मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल में ओपीडी का संचालन किया जा रहा है. हमारे यहां कोरोना टेस्ट कराया जाता है. यदि मरीज संक्रमित आता है तो उसे कोविड अस्पताल में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में अस्पताल में 125 होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. यहां पर गंभीर मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही वैक्सीनेशन का काम भी जोरों पर चल रहा है. इससे लोगों को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सके. यहां ऑक्सीजन की कमी ना हो इसलिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बढ़ाई गई है. साथ ही आगामी दिनों में अस्पताल परिसर में जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट में स्थापित हो जाएगा.

Reality of medical facilities
अस्पताल में बेड

47 अस्पताल,1700 बेड की है व्यवस्था

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि बीते 10 दिनों में 800 बेड से संख्या बढ़ाकर 1700 कर दी गई है. वर्तमान में सभी बेडों पर मरीज हैं. जिले में कुल 46 कोविड अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 39 निजी चिकित्सालय हैं, जबकि 7 सरकारी अस्पताल हैं. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में इन बेडों की संख्या और बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही अगले हफ्ते से वाराणसी के बीएचयू एमपी थिएटर मैदान में अस्थाई अस्पताल भी बनकर तैयार हो जाएगा. यहां 850 बेड होंगे. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में जब ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ेगा तो अन्य निजी अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में तब्दील किया जाएगा, जिससे बेडों की संख्या और बढ़ेगी और हमारे पास कुल 2000 बेड हो जाएंगे.

Reality of medical facilities
अस्पताल का परिसर

लगभग 40 प्रतिशत हो रही है ऑक्सीजन की पूर्ति

जिलाधिकारी ने बताया कि 75 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं. इससे लगभग 150 बेड को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी. इसके साथ ही प्रशासन ने 600 नए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं जो सर्कुलेशन में दिए गए हैं. इसके साथ ही मिर्जापुर ऑक्सीजन प्लांट से 200 सिलेंडर लिए गए ,हैं जिसे पब्लिक में देकर ऑक्सीजन की रोटेशन बढ़ाई जा रही है. उन्होंने बताया कि जनपद में 2-3 ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत होने जा रही है. जिससे ऑक्सीजन से होने वाली बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा और वर्तमान में जो 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में की जा रही है. वह आगामी दिनों में 100 प्रतिशत हो जाएगी.

Reality of medical facilities
परिजनों की लंबी

तारों में दौड़ती मौत! बिजली लाइन से लोगों को हाई 'टेंशन'

600 हैं वेंटिलेटर बेड

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी जनपद में 1700 में से कुल 600 बेड आरक्षित हैं. इनमें वेंटीलेटर के बेड लगभग 150 हैं और बाकी सभी मिलाकर के 450 हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन के 1100 बेड हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि अस्थाई कोविड अस्पताल बनने के बाद 250 बेड त्वरित रूप से बढ़ जाएंगे. इससे मरीजों को सहूलियत होगी क्योंकि वाराणसी में ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों से लोग आते हैं. इनको इन वेंटीलेटर के बेड पर भर्ती किया जाता है. इन बेड को खाली होने में समय लगता है इसलिए मरीजों को थोड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

Reality of medical facilities
मेडिकल स्टाफ

95 लाख से ज्यादा लोगों की हो चुकी है जांच

वाराणसी जनपद में अब तक 95,65,631 लोगों की कोरोना जांच कराई गई है. इसमें 8,69,851 लोग निगेटिव पाए गए हैं. अब जिले में कुल 61,424 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं. जिनमें से 42,098 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. साथ ही इस महामारी से 519 लोगों की जान जा चुकी है. वर्तमान में जिले में एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 18,807 है.

इसे भी पढ़ेंः UP में अब शुक्रवार रात से मंगलवार सुबह तक रहेगा लॉकडाउन

2,71,637 लोगों को लग चुका है टीका

लोगों को महामारी से सुरक्षित रखने के लिए प्रतिदिन जनपद में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत हर दिन लगभग 5000 लोगों का टीकाकरण किया जाता है. इसी के तहत अब तक जिले में 2,71,607 लाभार्थियों ने टीकाकरण कराया है. इसमें 40,690 हेल्थ वर्कर,43100 फ्रंट लाइन वर्कर, 1,87,847 45 वर्ष के ऊपर के लाभार्थी शामिल हैं.

वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग की तैयारी एक नजर में-

  • 46 अस्पताल, 1700 बेड की है व्यवस्था.
  • बीते 10 दिनों में 800 बेड से संख्या बढ़ाकर 1700 कर दी गई है.
  • जिले में कुल 46 कोविड अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 39 निजी चिकित्सालय हैं, जबकि 7 सरकारी अस्पताल हैं.
  • आने वाले रविवार तक बेडों की संख्या और बढ़ाई जाएगी. इनमें 200 ऑक्सीजन युक्त बेड मंडलीय अस्पताल में और 120 ऑक्सीजन युक्त बैठ जिला अस्पताल में शुरू होंगे.
  • अगले हफ्ते से वाराणसी के बीएचयू एमपी थिएटर मैदान में अस्थाई अस्पताल भी बनकर तैयार हो जाएगा. यहां 850 बेड होंगे.
  • जिसके बाद वाराणसी में दो हजार से ज्यादा बेड मरीजों के भर्ती के लिए उपलब्ध होंगे.
  • 40 प्रतिशत हो रही है ऑक्सीजन की आपूर्ति.
  • वर्तमान समय में कुल 4700 ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद है लेकिन जरूरत 8000 से ज्यादा की है.
  • 75 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं.
  • इससे लगभग 150 बेड को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी.
  • इसके साथ ही प्रशासन ने 600 नए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं जो सरकुलेशन में दिए गए हैं.
  • इसके साथ ही मिर्जापुर ऑक्सीजन प्लांट से 200 सिलेंडर लिए गए हैं.
  • जनपद में 2-3 ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत होने जा रही है. जिससे ऑक्सीजन से होने वाली बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा.
  • वर्तमान में जो 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में की जा रही है. वह आगामी दिनों में 100 प्रतिशत हो जाएगी.
  • 1700 में से कुल 600 बेड आरक्षित हैं.
  • इनमें वेंटीलेटर के बेड लगभग 150 है और बाकी सभी मिलाकर के 450 हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन के 1100 बेड
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