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Kuno National Park: लगातार 2 चीतों की मौत वन विभाग की विफलता, वन्यजीव कार्यकर्ता का आरोप

कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए दो चीतों की मौत के बाद वन्यजीव कार्यकर्ता ने मध्यप्रदेश वन विभाग की टीम पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि वन्य जीव प्रबंधन टीम की विफलता के कारण एक महीने के अंदर ये दो घटना घटी हैं.

kuno national park two cheetahs died
कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों की मौत हो गई
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Published : Apr 25, 2023, 3:28 PM IST

भोपाल(एएनआई)। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रविवार को एक और चीते की मौत हो गई. जिसके बाद प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने यहां के प्रबंधन टीम पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि यहां दो चीतों की मौत राज्य वन विभाग की वन्यजीव प्रबंधन टीम की विफलता रही. बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में करीब 1 महीने में इस तरह की यह दूसरी घटना है. इससे पहले नामीबिया से लाए गए साशा नाम के चीते की 27 मार्च को मौत हो गई थी.

वन विभाग की विफलता: प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने सोमवार को कहा कि "चीतों की मौत दु:खद है. उम्मीद और प्रत्याशा थी कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते यहां पनपेंगे और उनकी गिनती बढ़ेगी. चीतों के आगमन से पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी भारी बढ़ावा मिलेगा. हालांकि वन विभाग की वन्य जीव प्रबंधन टीम की नाकामी के कारण चीते मर रहे हैं. कहा जाता है कि पहले चीते की मौत किडनी की समस्या के कारण हुई थी, मौत के कारणों का पता लगाने वाली कोई रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. वहीं दूसरे चीते को कोई स्पष्ट स्वास्थ्य समस्या नहीं थी."

चीता एक संवेदनशील जानवर: अजय दुबे ने कहा कि "चीतों की एक फिटनेस रिपोर्ट हर दिन जमा की जाती है और सीसीटीवी फुटेज की 24 घंटे निगरानी की जाती है. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के वन्यजीव विशेषज्ञ यहां हैं और हमारे वन्यजीव विशेषज्ञ ने भी दक्षिण अफ्रीका से प्रशिक्षण प्राप्त किया है. हालांकि, कूनो अभी भी चीतों की मौतों पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य सरकार को जांच शुरू करनी चाहिए और अगर कोई चूक हो तो उसकी पहचान करनी चाहिए." प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे का मानना है कि चीता एक बहुत ही संवेदनशील जानवर है और कहीं न कहीं वे तनाव महसूस कर रहे हैं. शायद, यह मानवीय हस्तक्षेप से जुड़ा है. उन्हें पता चला है कि कूनो नेशनल पार्क के अधिकारी लगातार दौरा अपने परिवारों के साथ कर रहे हैं और चीतों को देख रहे थे. चीता और आगंतुक के बीच न्यूनतम दूरी का पालन नहीं किया जा रहा है.

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चीतों का फिर से क्या होगा स्थानांतरण: चीते रात में शिकार नहीं करते, वे एक स्वस्थ वातावरण चाहते हैं, चीता की अप्राकृतिक मौत अफ्रीका में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले वन्यजीव अधिकारियों की विफलता का प्रतिनिधित्व करती है. ऐसा लगता है कि बहुत अधिक तनाव था और चीते इसे सहन नहीं कर सके. राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार से चीतों को किसी अन्य उपयुक्त आवास में स्थानांतरित करने का अनुरोध करने पर उन्होंने कहा कि "कुनो राष्ट्रीय उद्यान 720 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें 40 चीते रह सकते हैं, यह क्षेत्र छोटा नहीं है अधिकांश चीते हैं, बड़े-बड़े बाड़ों में बंद करके रखा है लेकिन अभी आजाद नहीं हुए. राज्य सरकार ने कहा है कि वह केंद्र से चीतों को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने का अनुरोध करेगी. 2021 में एनटीसीए की नोडल समिति की तकनीकी बैठक में यह निर्णय लिया गया कि चीतों को राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के दर्रा बाड़े में रखा जाएगा. तीन चीतों, एक नर, तीन मादा, को स्थानांतरित किया जाना था और दुबे ने दावा किया कि सभी इंतजाम किए गए थे."

(एएनआई)

भोपाल(एएनआई)। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रविवार को एक और चीते की मौत हो गई. जिसके बाद प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने यहां के प्रबंधन टीम पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि यहां दो चीतों की मौत राज्य वन विभाग की वन्यजीव प्रबंधन टीम की विफलता रही. बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में करीब 1 महीने में इस तरह की यह दूसरी घटना है. इससे पहले नामीबिया से लाए गए साशा नाम के चीते की 27 मार्च को मौत हो गई थी.

वन विभाग की विफलता: प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने सोमवार को कहा कि "चीतों की मौत दु:खद है. उम्मीद और प्रत्याशा थी कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते यहां पनपेंगे और उनकी गिनती बढ़ेगी. चीतों के आगमन से पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी भारी बढ़ावा मिलेगा. हालांकि वन विभाग की वन्य जीव प्रबंधन टीम की नाकामी के कारण चीते मर रहे हैं. कहा जाता है कि पहले चीते की मौत किडनी की समस्या के कारण हुई थी, मौत के कारणों का पता लगाने वाली कोई रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. वहीं दूसरे चीते को कोई स्पष्ट स्वास्थ्य समस्या नहीं थी."

चीता एक संवेदनशील जानवर: अजय दुबे ने कहा कि "चीतों की एक फिटनेस रिपोर्ट हर दिन जमा की जाती है और सीसीटीवी फुटेज की 24 घंटे निगरानी की जाती है. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के वन्यजीव विशेषज्ञ यहां हैं और हमारे वन्यजीव विशेषज्ञ ने भी दक्षिण अफ्रीका से प्रशिक्षण प्राप्त किया है. हालांकि, कूनो अभी भी चीतों की मौतों पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य सरकार को जांच शुरू करनी चाहिए और अगर कोई चूक हो तो उसकी पहचान करनी चाहिए." प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे का मानना है कि चीता एक बहुत ही संवेदनशील जानवर है और कहीं न कहीं वे तनाव महसूस कर रहे हैं. शायद, यह मानवीय हस्तक्षेप से जुड़ा है. उन्हें पता चला है कि कूनो नेशनल पार्क के अधिकारी लगातार दौरा अपने परिवारों के साथ कर रहे हैं और चीतों को देख रहे थे. चीता और आगंतुक के बीच न्यूनतम दूरी का पालन नहीं किया जा रहा है.

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(एएनआई)

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