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ताल महोत्सव के शुभारंभ पर कुमार विश्वास की कविताओं में डूबा शहर

भोपाल में आयोजित ताल महोत्सव में कवि कुमार विश्वास की कविताओं को सुनने के लिए कई दिग्गज नेता शामिल हुए.

कुमार विश्वास की कविताओं में डूबा शहर
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Published : Nov 7, 2019, 11:49 AM IST

भोपाल। शहर की कलियासोत मैदान पर 26 नवंबर तक चलने वाले ताल महोत्सव का शुभारंभ कवि कुमार विश्वास के हाथों हुआ. इस अवसर पर कविराज कुमार विश्वास ने देर रात तक अपनी कविता पाठ कर लोगों का जमकर मनोरंजन भी किया. इस दौरान मंत्री सुखदेव पांसे, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा और कई विधायक देर रात तक कुमार विश्वास को सुनने के लिए मंच के समक्ष बैठे रहे.

ताल महोत्सव के शुभारंभ पर कुमार विश्वास की कविताओं में डूबा शहर

वहीं कार्यक्रम के बीच में ही कवि कुमार विश्वास ने लोगों को शपथ दिलाई कि अयोध्या पर जो भी फैसला आएगा, सभी हिंदू-मुसलमान जाति-धर्म से ऊपर उठकर संविधान को सर्वोपरि मानते हुए उसे हर्षित मन से स्वीकार करेंगे. किसी भी पार्टी का कोई भी नेता कुछ भी कहे, उनकी बातों में कभी नहीं आएंगे.

इस कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर पधारे कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी, सुखदेव पांसे और पीसी शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं ने किसी भी तरह का संबोधन देने से मना कर दिया, क्योंकि जनता केवल कुमार विश्वास को सुनने के लिए आई थी, हालांकि इस मामले को लेकर भी कुमार विश्वास ने जमकर चुटकी ली.

कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविता से भोपाल को जोड़ते हुए सुनाया कि "नदी-पर्वत से उतरे तो मैं उसकी चाल लिखता हूं, तेरे होठों की लरजिश पर हर एक सुर ताल लिखता हूं, मेरी आंखों की सीपी में है तेरी दीद के आंसू, तू जानेमन मैं तेरे नाम यह भोपाल लिखता हूं".

भोपाल। शहर की कलियासोत मैदान पर 26 नवंबर तक चलने वाले ताल महोत्सव का शुभारंभ कवि कुमार विश्वास के हाथों हुआ. इस अवसर पर कविराज कुमार विश्वास ने देर रात तक अपनी कविता पाठ कर लोगों का जमकर मनोरंजन भी किया. इस दौरान मंत्री सुखदेव पांसे, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा और कई विधायक देर रात तक कुमार विश्वास को सुनने के लिए मंच के समक्ष बैठे रहे.

ताल महोत्सव के शुभारंभ पर कुमार विश्वास की कविताओं में डूबा शहर

वहीं कार्यक्रम के बीच में ही कवि कुमार विश्वास ने लोगों को शपथ दिलाई कि अयोध्या पर जो भी फैसला आएगा, सभी हिंदू-मुसलमान जाति-धर्म से ऊपर उठकर संविधान को सर्वोपरि मानते हुए उसे हर्षित मन से स्वीकार करेंगे. किसी भी पार्टी का कोई भी नेता कुछ भी कहे, उनकी बातों में कभी नहीं आएंगे.

इस कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर पधारे कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी, सुखदेव पांसे और पीसी शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं ने किसी भी तरह का संबोधन देने से मना कर दिया, क्योंकि जनता केवल कुमार विश्वास को सुनने के लिए आई थी, हालांकि इस मामले को लेकर भी कुमार विश्वास ने जमकर चुटकी ली.

कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविता से भोपाल को जोड़ते हुए सुनाया कि "नदी-पर्वत से उतरे तो मैं उसकी चाल लिखता हूं, तेरे होठों की लरजिश पर हर एक सुर ताल लिखता हूं, मेरी आंखों की सीपी में है तेरी दीद के आंसू, तू जानेमन मैं तेरे नाम यह भोपाल लिखता हूं".

Intro:ताल महोत्सव के शुभारंभ पर कुमार विश्वास की कविताओं में डूबा शहर, अयोध्या मामले पर शांति रखने की की अपील


भोपाल | शहर की कलियासोत मैदान पर 26 नवंबर तक चलने वाले ताल महोत्सव का शुभारंभ कवि कुमार विश्वास के हाथों से हुआ इस अवसर पर कविराज कुमार विश्वास ने देर रात तक अपनी कविता पाठ कर लोगों का जमकर मनोरंजन भी किया इस दौरान मंत्री सुखदेव पांसे जीतू पटवारी पीसी शर्मा और कई विधायक देर रात तक विश्वास को सुनने के लिए मंच के समक्ष बैठे रहे


Body:कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने जब हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना वह अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं पंक्तियों से इस कार्यक्रम का आगाज किया कुमार विश्वास को सुनने आए कविता रसिक देर रात तक तालियों की गड़गड़ाहट से उनका हौसला बढ़ाते रहें श्रोता इस तरह से उनके साथ लय में बह रहे थे कि वह किसी एक पंक्ति का एक शब्द बोलते और जनता पूरी लाइन ही गा देती .


इस कार्यक्रम की रोचक वादियां देखने को मिली के कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर पधारे कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी सुखदेव पांसे और पीसी शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं ने किसी भी प्रकार का संबोधन देने से मना कर दिया क्योंकि जनता केवल कुमार विश्वास को सुनने के लिए आई थी हालांकि इस मामले को लेकर भी कुमार विश्वास ने जमकर चुटकी भी ली .


Conclusion:कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविता से भोपाल को जोड़ते हुए सुनाया की " नदी पर्वत से उतरे तो मैं उसकी चाल लिखता हूं , तेरे होठों की लरजिश पर हर एक सुर ताल लिखता हूं , मेरी आंखों की सीपी में है तेरी दीद के आंसू , तू जानेमन मैं तेरे नाम यह भोपाल लिखता हूं "


इसके बाद उन्होंने अपना सबसे पसंदीदा और चर्चित कविता पाठ किया " कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है , मगर धड़कन की बेचैनी को बस बादल समझता है " इस कविता पाठ पर वहां मौजूद हर एक श्रोता एक अलग ही मस्ती में झूमता नजर आ रहा था , क्योंकि कुमार विश्वास की यह सबसे प्रसिद्ध कविता है जो दुनिया भर में सराही गई है और इस कविता को सुनने के लिए आज भी हजारों की संख्या में लोग कुमार विश्वास के कार्यक्रम में पहुंचते हैं .


मंच पर मौजूद कवि कुमार विश्वास ने जितनी देर कविताओं का पाठ किया उससे कहीं ज्यादा समय उन्होंने रोचक टिप्पणियों को करके वहां मौजूद लोगों को जमकर हंसाने का काम भी किया उनकी टिप्पणियों के दायरे में कांग्रेस बीजेपी आम आदमी पार्टी के नेताओं से लेकर दिल्ली का प्रदूषण वकील और पुलिस के प्रदर्शन तक शामिल थे .

मुझे दिल्ली की वर्तमान परिस्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली में वकील न्याय मांग रहे हैं पुलिस सुरक्षा मांग रही है और जनता वहां पर ऑक्सीजन मांग रही है .


वहीं उन्होंने कहा कि आजकल कांग्रेस के यदि 5 विधायक एक साथ बाथरूम चले जाएं तो मुख्यमंत्री कमलनाथ बाहर कुर्सी डाल कर बैठ जाते हैं कि कहीं खिड़की से अमित शाह खींच कर ना ले जाए .


भाजपा वालों से पूछो कि क्या चल रहा है तो एक ही बात करते हैं चुनाव की तैयारी चल रही है मैंने कहा अब क्या उज़्बेकिस्तान में सरकार बनाओगे . वहीं उन्होंने काग्रेस पर भी चुटकी लेते हुए कहा कि 15 साल सत्ता से दूर रहे कांग्रेसी तो समझ गए कि कब भाषण देना है और कब नहीं देना इसीलिए एक भी नेता ने यहां भाषण नहीं दिया पिछला वाला लाडली लक्ष्मी पर बोलने के चक्कर में ही मारा गया .


कार्यक्रम के शुरू में अतिथियों और श्रोताओं को तालाब के संरक्षण की शपथ दिलाई गई . कुमार विश्वास ने कहा कि इस समय जल को बचाना बेहद जरूरी हो गया है पानी लगातार खत्म हो रहा है धरती का जलस्तर नीचे की तरफ जा रहा है यह दुनिया के लिए खतरे की घंटी है यही वजह है कि अब हमें जल को संरक्षित करना होगा क्योंकि जब हम आज संरक्षित करेंगे तभी आने वाला कल हमारा सुरक्षित होगा इसलिए जल संरक्षण के लिए हर एक व्यक्ति को ईमानदारी से अपनी भागीदारी को निभाना होगा .

वही कार्यक्रम के बीच में ही कवि कुमार विश्वास ने लोगों को शपथ दिलाई की अयोध्या पर जो भी फैसला आएगा सभी हिंदू मुसलमान जाति धर्म से ऊपर उठकर संविधान को सर्वोपरि मानते हुए उसे हर्षित मन से स्वीकार करेंगे किसी भी पार्टी का कोई भी नेता कुछ भी कहे उनकी बातों में कभी नहीं आएंगे . कुमार विश्वास ने कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए लोगों को बरगलाने का काम करते हैं लेकिन आज समय बदल गया है लोग समझदार है सारी चीजों को समझते हैं इसलिए किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं की बातों में कभी ना आए और अपने स्वयं के विवेक से काम ले माननीय न्यायालय के द्वारा 12 या 13 या 14 तारीख के अंदर अयोध्या को लेकर फैसला सुनाया जाएगा लेकिन फैसले को लेकर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है फैसला जो भी हो उसे हमेशा वर्ष स्वीकार करना है क्योंकि हम जिस देश में रहते हैं यहां पंत पंत के लोग हैं और हम सब मिलजुल कर रहने वाले लोगों में जाने जाते हैं इसलिए आपसी प्रेम और सौहार्द हमेशा बनाकर चलें .

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