भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार मंत्रिमंडल में भोपाल से ओबीसी महिला वर्ग के बड़े चेहरे के रूप में कृष्णा गौर को जगह मिली है. मंत्री बनीं कृष्णा गौर ने कहा कि बड़ी जिम्मेदारी मिली है. पार्टी ने मुझे जिस लायक समझा. अब मेरी जिम्मेदारी है कि उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरूं. मंत्री कृष्णा गौर से बात की हमारे संवाददाता बृजेन्द्र पटेरिया ने.
बड़ी जिम्मेदारी, पार्टी ने छोटे कार्यकर्ता का ख्याल रखा: एक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हुए पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है. उससे साफ है कि पार्टी छोटे कार्यकर्ता का भी ख्याल रखती है और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देती है. महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक विकास के लिए बीजेपी लगातार काम कर रही है. आजादी के बाद कई दलों ने महिला आरक्षण की बात तो की, लेकिन उन्हें अधिकार नहीं दिया, लेकिन बीजेपी सरकार ने यह करके दिखाया. देश की आधी आबादी अपना पूरा समर्थन करती है.
कृष्णा गौर ने कहा कि संतुलित मंत्रिमंडल का गठन हुआ है. मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश का विकास करेंगे. लोकसभा चुनाव को कितना बड़ी चुनौती मानती है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की सभी 29 में से 29 लोकसभा सीटें जीतकर देंगे.
साढ़े तीन साल बाद भोपाल से 2 मंत्री: मोहन सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार में भोपाल के 2 विधायक विश्वास सारंग और कृष्णा गौर को मंत्री पद से नवाजा गया है. साढ़े तीन साल बाद भोपाल से 2 मंत्री बनाए गए हैं. हालांकि मंत्री पद की रेस में भोपाल हुजूर विधानसभा से रामेश्वर शर्मा और विष्णु खत्री भी दावेदारी कर रहे थे. मोहन सरकार में भोपाल से कृष्णा गौर को ओबीसी और सामान्य श्रेणी के मतदाताओं को साधने के लिए जगह दी गई है. कृष्णा गौर पार्टी के ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.
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उधर विश्वास सारंग कायस्थ समाज से आते हैं. जो प्रदेश के एक मात्र कायस्थ विधायक हैं. कृष्णा गौर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू हैं. बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया था, लेकिन जून 2016 में 75 के फार्मूले के चलते उन्हें हटा दिया गया था. इसके बाद से अब 7 साल बद उनकी बहू को मंत्रीमंडल में जगह मिली है.