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साल 2019 में इन राजनीतिक हस्तियों ने दुनिया को कहा अलविदा - साल 2019

साल 2019 कई मायनों में बेहद खास रहा, तो कुछ वजह से दिल को दुखाने वाला भी रहा. इस साल देश की कई ऐसी शख्सियत ने दुनिया को अलविदा कहा, जिनका जाना हर किसी के लिए दुखदायी था,आइए जानते हैं ऐसी कौन सी हस्तियां रहीं, जो अब हमारे बीच नहीं हैं.

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ये हस्तियां नहीं है हम हमारे बीच
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Published : Dec 31, 2019, 9:42 AM IST

Updated : Dec 31, 2019, 10:05 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए साल 2019 कभी खुशी, कभी गम देने वाला साल रहा. प्रदेश के दो प्रमुख राजनीतिक दल ने जहां कहीं उपलब्धियां हासिल की. तो वहीं राजनीति में कुछ दुख के पल भी सामने आए. जब साल 2019 में मशहूर राजनीतिक हस्तियों के निधन की खबर आई. जिन खबरों ने अंचभित और गमगीन कर दिया. साल 2019 में कई दिग्गज हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया, आइए जानते हैं उन हस्तियों के बारे में जो दुनिया से रुखसत हो गए.

इन हस्तियों ने कहा गुड बाय

सुषमा स्वराज का निधन
भाजपा की राष्ट्रीय नेता सुषमा स्वराज का मध्यप्रदेश से जुड़ाव तब हुआ. जब वो विदिशा संसदीय सीट से 2009 में सांसद चुनी गई और लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष बनीं. 2014 में वो दोबारा विदिशा सीट से सांसद चुनी गईं और मोदी सरकार की विदेश मंत्री बनी. अपने दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य कारणों के चलते वो कम सक्रिय रही और 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ा. लंबी बीमारी के चलते 6 अगस्त 2019 में सुषमा स्वराज ने दुनिया को अलविदा कह दिया. अपनी मोहक मुस्कान और ओजपूर्ण भाषण कला के कारण वो काफी लोकप्रिय नेता रहीं.

पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का निधन
मध्यप्रदेश की राजनीति में बुलडोजर मैन से मशहूर बाबूलाल गौर अपने हंसमुख स्वभाव और मजाकिया लहजे के लिए जाने जाते थे. भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहें बाबूलाल गौर ने लगातार 10 विधानसभा चुनाव जीतने का भी रिकार्ड बनाया. बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा उन्होंने मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला और भाजपा की सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे. लेकिन 21 अगस्त 2019 को भोपाल की एक निजी अस्पताल में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का निधन
मध्यप्रदेश की राजनीति के संत कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने भी 2019 में दुनिया को अलविदा कह दिया. एमपी के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी ने अपना राजनीतिक सफर 1955 में देवास की हाटपिपलिया नगर पालिका के अध्यक्ष के तौर पर शुरू किया. 1962 में उन्होंने पहली बार बागली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार सात बार इसी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बने. 1980 से लेकर 1984 तक एमपी बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे. 24 नवंबर 2019 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

बनवारी लाल शर्मा का निधन
साल 2019 के आखिरी महीने दिसंबर में एमपी कांग्रेस ही नहीं बल्कि कमलनाथ सरकार के लिए भी दुख की खबर आई. 21 दिसंबर को मुरैना के जोरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो गया. बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण जौरा विधानसभा सीट खाली हो गई है. कांग्रेस के विधायकों की संख्या 115 से घटकर 114 पहुंच गई है. बनवारी लाल शर्मा 2018 में बसपा के उम्मीदवार को हराकर जोरा सीट से चुनाव जीता था। 2013 में बनवारी लाल शर्मा भाजपा के सूबेदार सिंह से पराजित हो गए थे.

मेहरबान सिंह रावत का निधन
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुरैना जिले के सबलगढ़ से तीन बार विधायक रहे मेहरबान सिंह रावत में भी 13 अगस्त 2019 को दुनिया को अलविदा कह दिया मेहरबान सिंह रावत कैंसर से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.

जितेंद्र सिंह बुंदेला का निधन
बुंदेलखंड के भाजपा के कद्दावर नेता जितेंद्र सिंह बुंदेला का 3 फरवरी 2019 को निधन हो गया. जितेंद्र सिंह बुंदेला लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के दौरान उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली. जितेन्द्र सिंह बुंदेला 2003 में विधायक चुने गए. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो संसदीय सीट से सांसद भी बनें. जब उनका निधन हुआ, तब वह छतरपुर जिला के भाजपा जिलाध्यक्ष थे.

विमला वर्मा का निधन
राजनीति में अपने सामाजिक कार्यों के चलते दीदी के नाम से मशहूर विमला वर्मा ने 16 मई 2019 को दुनिया को अलविदा कह दिया. विमला वर्मा कांग्रेस की राजनीति में एक सम्मानित महिला राजनेता के तौर पर जानी जाती थीं. 1967 से लेकर 1990 तक उन्होंने विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. एमपी सरकार में स्वास्थ्य, सिंचाई और ऊर्जा जैसे विभागों की मंत्री भी रहीं. 1991 और 1998 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद भी चुनी गईं.

शिवनारायण मीणा का निधन
गुना की चाचौड़ा सीट से 4 बार विधायक और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता शिवनारायण मीणा का 12 जून 2019 को रुद्रप्रयाग में निधन हो गया. शिवनारायण मीणा चार धाम की यात्रा करने निकले थे और बद्रीनाथ यात्रा पूरी करने के बाद रूद्रप्रयाग की एक धर्मशाला में रुके हुए थे. जहां उनका हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया.

सुंदरलाल तिवारी का निधन
संसद में सवर्ण आरक्षण की सबसे पहले मांग करने वाले विंध्य प्रदेश के जाने-माने नेता सुंदरलाल तिवारी ने 2019 में दुनिया को अलविदा कह दिया. सुंदरलाल तिवारी 1999 में रीवा संसदीय सीट से सांसद चुने गए थें और उन्होंने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा 29 अगस्त 2001 को संसद में उठाया था. 2013 में सुंदरलाल तिवारी मप्र विधानसभा में गुड़ विधानसभा से विधायक भी चुने गए. 11 मार्च 2019 को हार्ट अटैक से निधन हो गया.

कल्पना परूलेकर का निधन
एमपी की राजनीति में अपनी सादगी और तेजतर्रार स्वभाव के लिए जाने जाने वाली कल्पना परुलेकर अब हमारे बीच नहीं रहीं. लंबी बीमारी के चलते 2 जनवरी 2019 को उनका निधन हो गया. कल्पना परुलकर उज्जैन के महिदपुर विधानसभा क्षेत्र से 2003 और 2013 में विधायक चुनी गईं. जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करने और अपने तेज तर्रार सुबह हों के कारण वह हमेशा चर्चा में रहती थीं.

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए साल 2019 कभी खुशी, कभी गम देने वाला साल रहा. प्रदेश के दो प्रमुख राजनीतिक दल ने जहां कहीं उपलब्धियां हासिल की. तो वहीं राजनीति में कुछ दुख के पल भी सामने आए. जब साल 2019 में मशहूर राजनीतिक हस्तियों के निधन की खबर आई. जिन खबरों ने अंचभित और गमगीन कर दिया. साल 2019 में कई दिग्गज हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया, आइए जानते हैं उन हस्तियों के बारे में जो दुनिया से रुखसत हो गए.

इन हस्तियों ने कहा गुड बाय

सुषमा स्वराज का निधन
भाजपा की राष्ट्रीय नेता सुषमा स्वराज का मध्यप्रदेश से जुड़ाव तब हुआ. जब वो विदिशा संसदीय सीट से 2009 में सांसद चुनी गई और लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष बनीं. 2014 में वो दोबारा विदिशा सीट से सांसद चुनी गईं और मोदी सरकार की विदेश मंत्री बनी. अपने दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य कारणों के चलते वो कम सक्रिय रही और 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ा. लंबी बीमारी के चलते 6 अगस्त 2019 में सुषमा स्वराज ने दुनिया को अलविदा कह दिया. अपनी मोहक मुस्कान और ओजपूर्ण भाषण कला के कारण वो काफी लोकप्रिय नेता रहीं.

पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का निधन
मध्यप्रदेश की राजनीति में बुलडोजर मैन से मशहूर बाबूलाल गौर अपने हंसमुख स्वभाव और मजाकिया लहजे के लिए जाने जाते थे. भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहें बाबूलाल गौर ने लगातार 10 विधानसभा चुनाव जीतने का भी रिकार्ड बनाया. बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा उन्होंने मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला और भाजपा की सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे. लेकिन 21 अगस्त 2019 को भोपाल की एक निजी अस्पताल में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का निधन
मध्यप्रदेश की राजनीति के संत कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने भी 2019 में दुनिया को अलविदा कह दिया. एमपी के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी ने अपना राजनीतिक सफर 1955 में देवास की हाटपिपलिया नगर पालिका के अध्यक्ष के तौर पर शुरू किया. 1962 में उन्होंने पहली बार बागली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार सात बार इसी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बने. 1980 से लेकर 1984 तक एमपी बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे. 24 नवंबर 2019 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

बनवारी लाल शर्मा का निधन
साल 2019 के आखिरी महीने दिसंबर में एमपी कांग्रेस ही नहीं बल्कि कमलनाथ सरकार के लिए भी दुख की खबर आई. 21 दिसंबर को मुरैना के जोरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो गया. बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण जौरा विधानसभा सीट खाली हो गई है. कांग्रेस के विधायकों की संख्या 115 से घटकर 114 पहुंच गई है. बनवारी लाल शर्मा 2018 में बसपा के उम्मीदवार को हराकर जोरा सीट से चुनाव जीता था। 2013 में बनवारी लाल शर्मा भाजपा के सूबेदार सिंह से पराजित हो गए थे.

मेहरबान सिंह रावत का निधन
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुरैना जिले के सबलगढ़ से तीन बार विधायक रहे मेहरबान सिंह रावत में भी 13 अगस्त 2019 को दुनिया को अलविदा कह दिया मेहरबान सिंह रावत कैंसर से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.

जितेंद्र सिंह बुंदेला का निधन
बुंदेलखंड के भाजपा के कद्दावर नेता जितेंद्र सिंह बुंदेला का 3 फरवरी 2019 को निधन हो गया. जितेंद्र सिंह बुंदेला लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के दौरान उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली. जितेन्द्र सिंह बुंदेला 2003 में विधायक चुने गए. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो संसदीय सीट से सांसद भी बनें. जब उनका निधन हुआ, तब वह छतरपुर जिला के भाजपा जिलाध्यक्ष थे.

विमला वर्मा का निधन
राजनीति में अपने सामाजिक कार्यों के चलते दीदी के नाम से मशहूर विमला वर्मा ने 16 मई 2019 को दुनिया को अलविदा कह दिया. विमला वर्मा कांग्रेस की राजनीति में एक सम्मानित महिला राजनेता के तौर पर जानी जाती थीं. 1967 से लेकर 1990 तक उन्होंने विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. एमपी सरकार में स्वास्थ्य, सिंचाई और ऊर्जा जैसे विभागों की मंत्री भी रहीं. 1991 और 1998 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद भी चुनी गईं.

शिवनारायण मीणा का निधन
गुना की चाचौड़ा सीट से 4 बार विधायक और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता शिवनारायण मीणा का 12 जून 2019 को रुद्रप्रयाग में निधन हो गया. शिवनारायण मीणा चार धाम की यात्रा करने निकले थे और बद्रीनाथ यात्रा पूरी करने के बाद रूद्रप्रयाग की एक धर्मशाला में रुके हुए थे. जहां उनका हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया.

सुंदरलाल तिवारी का निधन
संसद में सवर्ण आरक्षण की सबसे पहले मांग करने वाले विंध्य प्रदेश के जाने-माने नेता सुंदरलाल तिवारी ने 2019 में दुनिया को अलविदा कह दिया. सुंदरलाल तिवारी 1999 में रीवा संसदीय सीट से सांसद चुने गए थें और उन्होंने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा 29 अगस्त 2001 को संसद में उठाया था. 2013 में सुंदरलाल तिवारी मप्र विधानसभा में गुड़ विधानसभा से विधायक भी चुने गए. 11 मार्च 2019 को हार्ट अटैक से निधन हो गया.

कल्पना परूलेकर का निधन
एमपी की राजनीति में अपनी सादगी और तेजतर्रार स्वभाव के लिए जाने जाने वाली कल्पना परुलेकर अब हमारे बीच नहीं रहीं. लंबी बीमारी के चलते 2 जनवरी 2019 को उनका निधन हो गया. कल्पना परुलकर उज्जैन के महिदपुर विधानसभा क्षेत्र से 2003 और 2013 में विधायक चुनी गईं. जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करने और अपने तेज तर्रार सुबह हों के कारण वह हमेशा चर्चा में रहती थीं.

Intro:भोपाल। मप्र की राजनीति के लिए साल 2019 कभी खुशी कभी गम देने वाला साल रहा। प्रदेश के दो प्रमुख राजनीतिक दल ने जहां कहीं उपलब्धियां हासिल की।तो कुछ दुख के पल भी सामने आए। साल 2019 में मशहूर राजनीतिक हस्तियों के निधन की खबरों ने जहां लोगों को स्तब्ध किया तो उनके संस्मरण भी याद दिलाएं। जहां तक बात करें प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस की, तो जाते-जाते साल 2019 में मौजूदा विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन कांग्रेस के लिए शोक की लहर का कारण बना। दूसरी तरफ देश की सत्ता पर काबिज भाजपा के मप्र से जुड़े नेता सुषमा स्वराज और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और कैलाश जोशी के निधन की खबरों ने लोगों को गमगीन कर दिया।


Body:- सुषमा स्वराज - भाजपा की राष्ट्रीय नेता सुषमा स्वराज का मप्र से जुड़ाव तब हुआ। जब वह विदिशा संसदीय सीट से 2009 में सांसद चुनी गई और लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष बनी। 2014 में वह दोबारा विदिशा सीट से सांसद चुनी गई और मोदी सरकार की विदेश मंत्री बनी। अपने दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य कारणों के कारण वह कम सक्रिय रही और 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ा। लंबी बीमारी के चलते 6 अगस्त 2019 में सुषमा स्वराज ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अपनी मोहक मुस्कान और ओजपूर्ण भाषण कला के कारण वह काफी लोकप्रिय नेता रही।

- बाबूलाल गौर - मप्र की राजनीति में बुलडोजर के नाम से मशहूर बाबूलाल गौर अपने हंसमुख स्वभाव और मजाकिया लहजे के लिए जाने जाते थे। भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहे बाबूलाल गौर ने लगातार 10 विधानसभा चुनाव जीतने का भी रिकार्ड बनाया। 89 साल की उम्र में भी बाबूलाल गौर 11 वीं बार 2018 विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकते नजर आए, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हालांकि उनकी बहू को टिकट दिए जाने पर उनकी नाराजगी दूर हो गई। बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मप्र के मुख्यमंत्री भी रहे। इसके अलावा उन्होंने मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला और भाजपा की सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। 21 अगस्त 2019 को भोपाल की एक निजी अस्पताल में उनका बीमारी के चलते निधन हो गया।

- कैलाश जोशी - मप्र की राजनीति के संत कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने भी 2019 में दुनिया को अलविदा कह दिया। मप्र के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी ने अपना राजनीतिक सफर 1955 में देवास की हाटपिपलिया नगर पालिका के अध्यक्ष के तौर पर शुरू किया। 1962 में उन्होंने पहली बार बागली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार सात बार इसी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया।1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बने। 1980 से लेकर 1984 तक मप्र बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे। 24 नवंबर 2019 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

- मेहरबान सिंह रावत - भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुरैना जिला के सबलगढ़ से तीन बार विधायक रहे मेहरबान सिंह रावत में भी 13 अगस्त 2019 को दुनिया को अलविदा कह दिया मेहरबान सिंह रावत कैंसर से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

- जितेंद्र सिंह बुंदेला - मप्र के बुंदेलखंड के भाजपा के कद्दावर नेता जितेंद्र सिंह बुंदेला का 3 फरवरी 2019 को निधन हो गया। जितेंद्र सिंह बुंदेला लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के दौरान उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। जितेन्द्र सिंह बुंदेला 2003 में विधायक चुने गए। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो संसदीय सीट से सांसद भी बने। जब उनका निधन हुआ, तब वह छतरपुर जिला के भाजपा जिलाध्यक्ष थे।


Conclusion:- विमला वर्मा - मप्र की राजनीति में अपने सामाजिक कार्यों के चलते दीदी के नाम से मशहूर विमला वर्मा ने 16 मई 2019 को दुनिया को अलविदा कह दिया। विमला वर्मा कांग्रेस की राजनीति में एक सम्मानित महिला राजनेता के तौर पर जानी जाती थी। 1967 से लेकर 1990 तक उन्होंने विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। वह मप्र सरकार में स्वास्थ्य, सिंचाई और ऊर्जा जैसे विभागों की मंत्री भी रहीं। 1991 और 1998 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद भी चुनी गई।

- बनवारी लाल शर्मा - साल 2019 के आखिरी महीने दिसंबर में ना सिर्फ मप्र कांग्रेस बल्कि मप्र की कमलनाथ सरकार के लिए भी दुख की खबर आई। दरअसल 21 दिसंबर को मुरैना के जोरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो गया। बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण जौरा विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। वही संख्या बल में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 115 से घटकर 114 पहुंच गई है। बनवारी लाल शर्मा 2018 में बसपा के उम्मीदवार को हराकर जोरा सीट से चुनाव जीता था। 2013 में बनवारी लाल शर्मा भाजपा के सूबेदार सिंह से पराजित हो गए थे।

-शिवनारायण मीणा - गुना की चाचौड़ा सीट से 4 बार विधायक और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता शिवनारायण मीणा का 12 जून 2019 को रुद्रप्रयाग में निधन हो गया। शिवनारायण मीणा चार धाम की यात्रा करने निकले थे और बद्रीनाथ यात्रा पूरी करने के बाद रूद्रप्रयाग की एक धर्मशाला में रुके हुए थे। जहां उनका हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया।

- सुंदरलाल तिवारी- संसद में सवर्ण आरक्षण की सबसे पहले मांग करने वाले विंध्य प्रदेश के जाने-माने नेता सुंदरलाल तिवारी ने 2019 में दुनिया को अलविदा कह दिया। सुंदरलाल तिवारी 1999 में रीवा संसदीय सीट से सांसद चुने गए थे और उन्होंने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा 29 अगस्त 2001 को संसद में उठाया था। 2013 में सुंदरलाल तिवारी मप्र विधानसभा में गुड़ विधानसभा से विधायक भी चुने गए। 11 मार्च 2019 को हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया।

- कल्पना परूलेकर - मप्र की राजनीति में अपनी सादगी और तेजतर्रार स्वभाव के लिए जाने जाने वाली कल्पना परुलेकर अब हमारे बीच नहीं रही हैं। लंबी बीमारी के चलते 2 जनवरी 2019 को उनका निधन हो गया.कल्पना परुलकर उज्जैन के महिदपुर विधानसभा क्षेत्र से 2003 और 2013 में विधायक चुनी गई। जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करने और अपने तेज तर्रार सुबह हों के कारण वह हमेशा चर्चा में रहती थी।
Last Updated : Dec 31, 2019, 10:05 AM IST
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