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'किताब घर' योजना ने एक साल में तोड़ा दम, पिछले साल इकट्ठा की गई थी 1 लाख किताबें

भोपाल में पिछले साल चलाई गई किताब घर योजना इस साल दम तोड़ते हुए नजर आ रही है. निगम का दावा है कि पिछले साल एकत्र की गई 1 लाख पुस्तकों को जरूरतमंदों को बांटा गया था लेकिन पिछले हकीकत में पिछले साल की कई किताबें एक पुस्तकालय में धूल खा रही है.

'Kitab Ghar' scheme could not be successful this year
'किताब घर' योजना ने एक साल में तोड़ा दम
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Published : Jul 8, 2021, 3:36 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 3:52 PM IST

भोपाल। साल 2020 में भोपाल नगर निगम के द्वारा शुरू की गई किताब घर योजना इस साल दम तोड़ते हुए नजर आ रही है. इस साल इस योजना में कोई खास काम नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से जरूरतमंद बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई है. दावा किया जाता है कि पिछले साल इसी योजना के तहत 1 लाख किताबें जरूरतमंदों तक पहुंचाई गई थी. सवाल यह उठता है कि अगर यह योजना पिछले साल इतनी ही सफल थी तो इस साल इस योजना का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया गया?

साल 2020 में चलाई थी किताब घर योजना

साल 2020 में भोपाल नगर निगम ने फोर-आर यानी रिसायकल, रिड्यूज, रीयूज और रिफ्यूज के तहत किताब घर नाम से योजना की शुरुआत की थी. योजना के तहत जो किताबें लोग कचरे में फेंक देते थे, नगर निगम ने उन किताबों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए नगर निगम ने शहर के सभी 85 वार्ड कार्यालय और 19 जोन कार्यालयों में किताब घर की स्थापना की थी. नगर निगम की इस पहल के पिछले साल सकारात्मक परिणाम मिले थे और बड़ी संख्या में निगम के पास किताबें पहुंची थी.

Books kept in Narendra Dev Library
नरेन्द्र देव पुस्तकालय में रखी इकट्ठा की गई किताबें

इस साल योजना पर नहीं हुआ काम

2020 में चले इस अभियान में अधिक से अधिक संख्या में किताबें जमा कराने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया था. इस साल 2021 में इस पर कोई विशेष कार्य नहीं किया जा रहा. भोपाल में केवल 10 नंबर मार्केट के पास जोन कार्यलय में एक अतिरिक्त काउंटर बनाया गया है, जहां लोग पुरानी किताबें दे सकते है और ले भी सकते है. पिछले साल एकत्र किताबो को निगम की आचार्य नरेन्द्र देव पुस्तकालय में बंडल बना कर रख दिया है, इस कोविड महामारी में यदि यह योजना चालू रहती तो काफी जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें मिल सकती थी.

पिछले साल एकत्र की गई थी 1 लाख पुस्तकें

नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि पिछले साल निगम ने किताब घर योजना चला कर राजस्व अमले और लोगों की सहायता से लगभग 1 लाख पुस्तकें और कापियां एकत्रित की थी. उनमें एमपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड के अलग-अलग विषयों की अलग-अलग पुस्तकें थी. उन किताबों को एक जगह एकत्र करके अलग-अलग छांटा गया था. इन किताबों में बड़ी संख्या में साहित्यिक पुस्तकें भी थी जिन्हें नगर निगम के 7 पुस्तकालयों में पहुंचा दिया गया था.

जरूरतमंदों तक पहुंचाई गई किताबें

नगर निगम के पुस्तकाल में पहुंचाई किताबें

नगर निगम के अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि नगर निगम के अम्बेडकर पुस्तकालय में लगभग 11 हजार पुस्तकें है. 5 नंबर पुस्तकालय यानी शीतल दास पुस्तकालय को नए तरीके से बनाया जा रहा है. यह पुस्तकालय बनने के बाद यहां 15 हजार पुस्तकें रखी जाएगी और एक साथ 150 से 200 लोग बैठ कर पढ़ाई कर सकेंगे.

बच्चों में बीमारी की पहचान के लिए एक माह तक चलेगा दस्तक अभियान

पुराने सिलेबस की किताबें है अनुपयोगी

प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि स्कूलों में उपयोग में आने वाली किताबों में सबसे बड़ी समस्या, हर साल सिलेबस में बदलाव होना है. सिलेबस बदलने के कारण पुरानी किताबें अनुपयोगी साबित हो रही है. प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि पुरानी हो चुकी किताबें नगर निगम ने सुरक्षित रखी है, उनका कैसे प्रयोग करना है इस संबंध में नीति बनाई जा रही है.

एकत्र की गई पुस्तकें खा रही है धूल

नगर निगम की योजना के तहत कॉपियां एकत्र कर बचे हुए पेजों से नई कॉपियां बनाकर भी बच्चों में वितरित करना थी. इस योजना पर भी फिलहाल निगम काम नहीं कर पाया है. यह सभी एकत्रित कॉपियां और किताबें नरेन्द्र देव पुस्तकालय में एक कोने में पड़ी धूल खा रही है.

भोपाल। साल 2020 में भोपाल नगर निगम के द्वारा शुरू की गई किताब घर योजना इस साल दम तोड़ते हुए नजर आ रही है. इस साल इस योजना में कोई खास काम नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से जरूरतमंद बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई है. दावा किया जाता है कि पिछले साल इसी योजना के तहत 1 लाख किताबें जरूरतमंदों तक पहुंचाई गई थी. सवाल यह उठता है कि अगर यह योजना पिछले साल इतनी ही सफल थी तो इस साल इस योजना का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया गया?

साल 2020 में चलाई थी किताब घर योजना

साल 2020 में भोपाल नगर निगम ने फोर-आर यानी रिसायकल, रिड्यूज, रीयूज और रिफ्यूज के तहत किताब घर नाम से योजना की शुरुआत की थी. योजना के तहत जो किताबें लोग कचरे में फेंक देते थे, नगर निगम ने उन किताबों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए नगर निगम ने शहर के सभी 85 वार्ड कार्यालय और 19 जोन कार्यालयों में किताब घर की स्थापना की थी. नगर निगम की इस पहल के पिछले साल सकारात्मक परिणाम मिले थे और बड़ी संख्या में निगम के पास किताबें पहुंची थी.

Books kept in Narendra Dev Library
नरेन्द्र देव पुस्तकालय में रखी इकट्ठा की गई किताबें

इस साल योजना पर नहीं हुआ काम

2020 में चले इस अभियान में अधिक से अधिक संख्या में किताबें जमा कराने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया था. इस साल 2021 में इस पर कोई विशेष कार्य नहीं किया जा रहा. भोपाल में केवल 10 नंबर मार्केट के पास जोन कार्यलय में एक अतिरिक्त काउंटर बनाया गया है, जहां लोग पुरानी किताबें दे सकते है और ले भी सकते है. पिछले साल एकत्र किताबो को निगम की आचार्य नरेन्द्र देव पुस्तकालय में बंडल बना कर रख दिया है, इस कोविड महामारी में यदि यह योजना चालू रहती तो काफी जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें मिल सकती थी.

पिछले साल एकत्र की गई थी 1 लाख पुस्तकें

नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि पिछले साल निगम ने किताब घर योजना चला कर राजस्व अमले और लोगों की सहायता से लगभग 1 लाख पुस्तकें और कापियां एकत्रित की थी. उनमें एमपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड के अलग-अलग विषयों की अलग-अलग पुस्तकें थी. उन किताबों को एक जगह एकत्र करके अलग-अलग छांटा गया था. इन किताबों में बड़ी संख्या में साहित्यिक पुस्तकें भी थी जिन्हें नगर निगम के 7 पुस्तकालयों में पहुंचा दिया गया था.

जरूरतमंदों तक पहुंचाई गई किताबें

नगर निगम के पुस्तकाल में पहुंचाई किताबें

नगर निगम के अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि नगर निगम के अम्बेडकर पुस्तकालय में लगभग 11 हजार पुस्तकें है. 5 नंबर पुस्तकालय यानी शीतल दास पुस्तकालय को नए तरीके से बनाया जा रहा है. यह पुस्तकालय बनने के बाद यहां 15 हजार पुस्तकें रखी जाएगी और एक साथ 150 से 200 लोग बैठ कर पढ़ाई कर सकेंगे.

बच्चों में बीमारी की पहचान के लिए एक माह तक चलेगा दस्तक अभियान

पुराने सिलेबस की किताबें है अनुपयोगी

प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि स्कूलों में उपयोग में आने वाली किताबों में सबसे बड़ी समस्या, हर साल सिलेबस में बदलाव होना है. सिलेबस बदलने के कारण पुरानी किताबें अनुपयोगी साबित हो रही है. प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि पुरानी हो चुकी किताबें नगर निगम ने सुरक्षित रखी है, उनका कैसे प्रयोग करना है इस संबंध में नीति बनाई जा रही है.

एकत्र की गई पुस्तकें खा रही है धूल

नगर निगम की योजना के तहत कॉपियां एकत्र कर बचे हुए पेजों से नई कॉपियां बनाकर भी बच्चों में वितरित करना थी. इस योजना पर भी फिलहाल निगम काम नहीं कर पाया है. यह सभी एकत्रित कॉपियां और किताबें नरेन्द्र देव पुस्तकालय में एक कोने में पड़ी धूल खा रही है.

Last Updated : Jul 8, 2021, 3:52 PM IST
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