भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लाल परेड ग्राउंड भोपाल में 1 नवम्बर 2020 तक में गोंड कला वर्ष मनाये जाने की घोषणा की है. मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजाति गोंड की समृद्ध कलात्मक विशेषताओं और परम्पराओं को देश-दुनिया के सामने लाकर प्रचारित किया जायेगा. इस अवधि में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से गोंड कलाओं को प्रदर्शित और मंचित किया जायेगा. साथ ही पूरे साल देश-विदेश के श्रेष्ठ संग्रहालयों में भी विशिष्ट गोंड कलाओं के शिविर लगाये जाएंगे
मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देशों के बाद संस्कृति विभाग ने रूपरेखा तैयार कर ली है. इसे शीघ्र ही अंतिम रूप दिया जा रहा है. विभाग के जनजातीय संग्रहालय भोपाल द्वारा पूरे वर्ष का कैलेंडर तैयार किया जा रहा है. जिसमें विभिन्न गतिविधियों का समावेश रहेगा.
गोंड कला वर्ष में प्रमुख रूप से प्रदेश के जनजातीय बहुल इलाकों में संचालित आश्रम स्कूलों में चित्र शिविर लगाये जाएंगे. तैयार चित्रों को स्कूल परिसर और छात्रावास में संयोजित किया जाएगा. इस गतिविधि से बच्चों को चित्रों की प्रतीकात्मकता, जनजातीय कथाओं के अंकन की शैली और कला परम्परा के लिये प्रेरणा मिलेगी. मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों पर गोंड कलाओं पर आधारित आकल्पन भी किये जाएंगे. देश और प्रदेश के साथ ही दुनिया के श्रेष्ठ कला संग्रहालयों में भी मध्यप्रदेश की विशिष्ट धरोहर गोंड जनजाति के प्रमुख कलारूपों के प्रदर्शनी-सह-शिविर गोंड कला वर्ष में लगाना प्रस्तावित है. इससे देश-विदेश के पर्यटक और आमजन गोंड जनजाति की सांस्कृतिक परम्पराओं से परिचित हो सकेंगे.
मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी जनजाति गोंड है, जो बैतूल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, बालाघाट, शहडोल, मंडला, सागर, दमोह आदि जिलों में गोंड जनजाति के लोग निवास करते है. प्राचीन समय में मध्यप्रदेश के विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रंखला के जंगलों में नर्मदा नदी के उदृगम अमरकंटक से लेकर भड़ौच (गुजरात) तक नदी के मार्ग में गोंड जनजाति की कोई न कोई शाखा निवास करती रही है. ऐतिहासिक जानकारी के मुताबकि, यहां कभी बड़ा भू-भाग गोंडवाना कहलाता था. गोंड समुदाय में नृत्य, संगीत, चित्र और शिल्प की भी पुरानी और समृद्ध परम्परा है. जिसमें घरों की सज्जा की एक खास शैली प्रचलित है. इसके अलावा गोंड जीवन में आभूषण और अलंकरण की केन्द्रीय भूमिका है. गोंड कला वर्ष में इस जनजाति की इन्हीं अद्भुत, समृद्ध और बहुरंगी कला विशेषताओं को और अधिक समृद्ध, संरक्षित और रेखांकित करने के लिये बहुआयामी प्रयास किये जाएंगे.