भोपाल। 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में आई कमलनाथ सरकार फिलहाल फूंक-फूंककर कदम रख रही है. कमलनाथ सरकार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेशवासियों से किया गया एक और वादा जल्द पूरा करने की तैयारी में जुटी हुई है. इसके तहत प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों को सदन में अपनी संपत्ति का खुलासा करना होगा. इसके लिए विधानसभा में संसदीय कार्य विभाग संकल्प पत्र प्रस्तुत करेगा.
इस मामले में विभागीय मंत्री गोविंद सिंह ने अधिकारियों को मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि सब कुछ अगर सही ढंग से चला, तो निश्चित रूप से विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ही संकल्प पत्र पेश किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक सरकार ने वचन पत्र में यह वादा किया था कि जनप्रतिनिधियों के लिए साल में एक बार संपत्ति को सार्वजनिक करना जरूरी होगा.
तैयार मसौदे पर नहीं बन पाई थी सहमति
इसके मद्देनजर सरकार ने वचन पत्र से जुड़े गैर आर्थिक मुद्दों को जल्द से जल्द पूरा करने की रणनीति बनाई है. मुख्य सचिव सुधी रंजन मोहंती ने सभी विभागों को इस पर तेजी से काम करने के निर्देश भी दिए हैं. संसदीय कार्य विभाग को जनप्रतिनिधियों द्वारा सालाना संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की व्यवस्था बनानी थी. विभाग ने इसके लिए पहले विधेयक का मसौदा तैयार किया था, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई, जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार ने इसे लेकर कानून बनाया है.
संसदीय कार्य मंत्री ने दिए जरूरी निर्देश
बताया जा रहा है कि इसे लेकर अब संकल्प पत्र लाने की तैयारी की गई है, जिसमें सरकार चाहेगी कि विधानसभा के सभी सदस्य सदन में सालाना संपत्ति का ब्योरा पटल पर रखने का काम करें. इसे अनिवार्य और ऐच्छिक करने का निर्णय मुख्यमंत्री कमलनाथ करेंगे. संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि संकल्प को लेकर नियम-कायदों का परीक्षण किया जाए और उसके हिसाब से ही इस संकल्प पत्र को बनाया जाए, ताकि किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो.
बीजेपी सरकार ने की थी शुरूआत
बताया जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों ने भी विधानसभा के दिसंबर में प्रस्तावित शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत करने की संभावना को देखते हुए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2010 में मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा विधानसभा में बजट सत्र के दौरान संपत्ति का ब्यौरा सदन के पटल पर रखने की शुरुआत की थी. साल 2013 तक यह सिलसिला चलता रहा, लेकिन प्रदेश में एक बार फिर सत्ता में आने के बाद इसे लेकर गंभीरता पूरी तरह से खत्म हो गई.
शिवराज सरकार में मंत्रियों की हुई थी आलोचना
साल 2015 में वित्त मंत्री जयंत मलैया और वर्ष 2017 में कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने ही संपत्ति का ब्योरा पटल पर रखा था. इसे लेकर उस समय कैबिनेट मंत्रियों की आलोचना भी हुई थी. अब सत्ता परिवर्तन हो जाने के बाद कांग्रेस शिवराज के शुरू किए इस अभियान को नए सिरे से लाने की कवायद में जुट गई है. कांग्रेस का यह संकल्प कितना सफल होगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.