भोपाल। ताल तो भोपाल ताल बाकी सब तलैया, रानी तो कमलापति बाकी सब गधे गधययां, यह कहावत तो सुनी ही होगी. तो आइए दर्शन कराते हैं उसी रानी के महल की यानी कमलापति महल की.
रानी कमलापति का महल भोपाल के बड़े तालाब और छोटे तलाब के बीच में बना हुआ है. कमलापति के महल का निर्माण 1989 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया था, इस महल से दोनों झीलों का खूबसूरत मंजर साफ तौर पर देखा जा सकता है. ये महल लखोरी ईटों और मिट्टी से बना हुआ है. वहीं महल के नीचे के हिस्से में भारी भरकम पत्थरों का आधार तैयार किया गया है, ताकी झील के पानी में महल धंस न जाए.
इस महल की कुछ मंजिलें पानी में डूबने के कारण दिखाई नहीं देती हैं, बताया जाता है कि प्राचीन काल में महल को रोशन करने के लिए खिड़कियों और रोशनदानों में मशालें जलाकर रखी जाती थी. इसका प्रतिबिंब बड़े तालाब में जहाज की तरह दिखता था, जिसके बाद इस महल को जहाज महल भी कहा जाता है.