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कमलनाथ ने शिवराज को लिखा पत्र, OBC आरक्षण की सुनवाई में सरकार का पक्ष मजबूती से रखने का अनुरोध - OBC reservation hearing in high court

पूर्व सीएम कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है, जहां 20 जुलाई को होने वाली ओबीसी आरक्षण की सुनवाई में मजबूती से सरकार का पक्ष रखने का अनुरोध किया गया है.

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पूर्व सीएम कमलनाथ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
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Published : Jul 18, 2020, 4:29 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कमलनाथ सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए गए आरक्षण को लेकर 20 जुलाई को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में समर्थन कर प्रभावी पक्ष रखने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या करीब 53 फीसदी है. उस आधार पर पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कांग्रेस सरकार ने किया था, लेकिन कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि संविधान में किसी भी अनुच्छेद में आरक्षण की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है, इसलिए आगामी समय में उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई में प्रभावी ढंग से पक्ष रखा जाए.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखे पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि, 'आपको विदित है कि मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 86 प्रतिशत है. अकेले पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 53 प्रतिशत है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की तरक्की सहित उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक कार्य किए थे.

इसी क्रम में कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश लोक सेवा सूची अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम में वर्ष 2019 में संशोधन कर पिछड़ा वर्ग के लिए शासकीय सेवाओं में आरक्षण का 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था. साथ ही इंटरव्यू और पदोन्नति समितियों से भी अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को रखना आवश्यक किया था.

कमलनाथ ने अपने पत्र में लिखा है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा संशोधन अधिनियम 2019 से प्रदत्त आरक्षण के विरुद्ध उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाएं दायर की थी, जो विचाराधीन हैं. जल्द ही भविष्य में उनकी सुनवाई होना संभावित है. इन याचिकाओं में मुख्य आरक्षण की कुल प्रतिशत को आधार बनाया गया है, जबकि भारत के संविधान के किसी अनुच्छेद में आरक्षण की कोई सीमा निर्धारित नहीं है.

इसलिए इस आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया जाना पूरी तह से संवैधानिक है. उच्च न्यायालय के सामने विचाराधीन याचिकाओं में शासन की ओर से समुचित और प्रभावी पक्ष समर्थन किया जाना अति आवश्यक है, ताकि पिछड़े वर्ग को एक बड़े हुए आरक्षण का समुचित लाभ मिल सकें. उन्होंने अनुरोध किया है कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए बड़े हुए आरक्षण की व्यवस्था सुचारू रूप से लागू हो. इसके लिए उच्च न्यायालय में शासन की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में मजबूती से प्रभावी पैरवी कराना सुनिश्चित करें.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कमलनाथ सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए गए आरक्षण को लेकर 20 जुलाई को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में समर्थन कर प्रभावी पक्ष रखने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या करीब 53 फीसदी है. उस आधार पर पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कांग्रेस सरकार ने किया था, लेकिन कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि संविधान में किसी भी अनुच्छेद में आरक्षण की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है, इसलिए आगामी समय में उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई में प्रभावी ढंग से पक्ष रखा जाए.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखे पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि, 'आपको विदित है कि मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 86 प्रतिशत है. अकेले पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 53 प्रतिशत है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की तरक्की सहित उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक कार्य किए थे.

इसी क्रम में कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश लोक सेवा सूची अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम में वर्ष 2019 में संशोधन कर पिछड़ा वर्ग के लिए शासकीय सेवाओं में आरक्षण का 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था. साथ ही इंटरव्यू और पदोन्नति समितियों से भी अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को रखना आवश्यक किया था.

कमलनाथ ने अपने पत्र में लिखा है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा संशोधन अधिनियम 2019 से प्रदत्त आरक्षण के विरुद्ध उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाएं दायर की थी, जो विचाराधीन हैं. जल्द ही भविष्य में उनकी सुनवाई होना संभावित है. इन याचिकाओं में मुख्य आरक्षण की कुल प्रतिशत को आधार बनाया गया है, जबकि भारत के संविधान के किसी अनुच्छेद में आरक्षण की कोई सीमा निर्धारित नहीं है.

इसलिए इस आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया जाना पूरी तह से संवैधानिक है. उच्च न्यायालय के सामने विचाराधीन याचिकाओं में शासन की ओर से समुचित और प्रभावी पक्ष समर्थन किया जाना अति आवश्यक है, ताकि पिछड़े वर्ग को एक बड़े हुए आरक्षण का समुचित लाभ मिल सकें. उन्होंने अनुरोध किया है कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए बड़े हुए आरक्षण की व्यवस्था सुचारू रूप से लागू हो. इसके लिए उच्च न्यायालय में शासन की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में मजबूती से प्रभावी पैरवी कराना सुनिश्चित करें.

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