भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र भले ही निरस्त हो गया है, लेकिन मानसून सत्र के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार को संपन्न होगी. चर्चा है कि कमलनाथ कांग्रेस के एक-एक विधायक से वन टू वन चर्चा करेंगे. कहा जा रहा है कि विधायकों के लगातार दलबदल को लेकर पार्टी सख्ती के मूड में है और जिन विधायकों के पाला बदलने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में चल रही है, उनको कांग्रेस सख्ती दिखा सकती है. हालांकि मध्यप्रदेश कांग्रेस ने दलबदल को लेकर किसी चर्चा से इनकार किया है. कांग्रेस का कहना है कि उपचुनाव के लिए विधायकों को जिम्मेदारी दी गई है. जिस की समीक्षा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ करेंगे.
सख्ती के मूड में कमलनाथ
पहले सिंधिया समर्थक 22 विधायकों की बगावत और पिछले हफ्ते बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी का कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद शुक्रवार को नेपानगर विधायक सुमित्रा कासड़ेकर भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गई. इन घटनाक्रम से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल न टूटे, इसके लिए कांग्रेस अब सख्ती दिखाने के मूड में है. खासकर राहुल गांधी द्वारा ये कहे जाने के बाद कि जिसको जाना है सो वो जा सकता है. अब कमलनाथ भी सख्ती दिखाने के मूड में हैं. सूत्रों की माने तो कमलनाथ विधायकों से होने वाली वन टू वन चर्चा में साफ तौर पर हिदायत दे सकते हैं कि अगर कोई बीजेपी के संपर्क में हैं तो वो पार्टी में रहकर पार्टी को नुकसान न पहुंचाए, जाना चाहता है तो चला जाए.
बैठक में उपचुनाव की समीक्षा
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस के जिन विधायकों को उपचुनाव के दृष्टिकोण से दायित्व सौंपा गया है और वो दौरे करके वापस भी आ गए हैं, विधायक दल की बैठक पहले से निश्चित थी तो इसमें अब उपचुनाव की समीक्षा की जाएगी, उन्होंने दौरे पर जाकर क्या किया. उनसे विधानसभा क्षेत्र के बारे में फीडबैक और इनपुट लिया जाएगा, इस बैठक में यही समीक्षा है. पार्टी अपने आप को चुस्त-दुरुस्त करना चाहती है. जहां जिसको जो दायित्व दिया गया है, उस बारे में पार्टी चर्चा करेगी.
कमलनाथ विधायकों से करेंगे चर्चा
विधायकों के दलबदल को लेकर कमलनाथ इस बैठक में विधायकों से वन टू वन चर्चा करने जा रहे हैं. इस पर भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि ये बैठक पहले से निश्चित थी. विधायकों के दल बदल से घबराहट की कोई बात नहीं है. ये लोग जो जा रहे हैं, ये दबाव और प्रलोभन में जा रहे हैं. प्रलोभन जीवन में हमेशा उपस्थित रहता है, इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. व्यक्तिगत लाभ और व्यक्तिगत हितों के लिए जो लोग लोकतंत्र का सौदा करने के लिए तैयार हैं, वो तो कभी भी कर सकते हैं, उसका इससे क्या संबंध है, लेकिन जो लोग राजनीति कर रहे हैं और परिपक्वता के साथ जो लोकतंत्र का हिस्सा हैं, वो लोग विमर्श कर समाधान निकालते हैं.