भोपाल। कांग्रेस सरकार बनाने में कर्मचारियों का अहम योगदान रहा है. कर्मचारियों को रिझाने के लिए कांग्रेस ने कई वचन भी दिए थे. हालांकि इन वचनों को निभाने में कमलनाथ सरकार नाकाम रही. ताजा मामला महंगाई भत्ता का है, जिसको लेकर कर्मचारियों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है.
दरअसल प्रदेश में कांग्रेस ने वादा किया था कि कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता दिया जायेगा, लेकिन 1 जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को 5 फीसदी महंगाई भत्ता देने का ऐलान किया, जिसकी घोषणा तो हो गई थी, लेकिन कर्मचारियों को नहीं दे पाई. चौथे श्रेणी के कर्मचारियों को करीब 1000, तीसरे श्रेणी के कर्मचारियों को 2000, दूसरे श्रेणी के कर्मचारियों को 3000-4000 और प्रथम श्रेणी के कर्मचारियों को 4000 रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कर्मचारियों की नाराजगी यह भी है कि जब भी महंगाई भत्ता का मामला कैबिनेट में रखने की तैयारी की जाती है, तो सरकार वित्तीय संकट का बहाना बनाकर टाल देती है, जबकि हाल ही में सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों की स्वेच्छानुदान की राशि करोड़ों रुपए बढ़ा दी थी. इस पर कर्मचारियों का कहना है कि सरकार जनमूझकर वित्तीय संकट का बहाना बना रही है.
कर्मचारी संघ के महासचिव लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि हम सरकार से अनुरोध करते है कि कर्मचारियों को जल्द से जल्द 5 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाए. इस मामले में कर्मचारी संगठनों की बैठक होने जा रही है, अगर सरकार मांगों को नहीं मानती है, तो कर्मचारी संघ आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.
इस मामले में कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि जब इस प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी, तब कर्मचारियों का 114 महीने का 8614 करोड़ रुपये और पेंशनर्स का 33 माह हजम कर चुकी थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने केंद्र की तिथि के अनुसार ही महंगाई भत्ता दिया है. 5-6 महीने की अवधि में एरियर कर्मचारी के जनरल प्रोविडेंट फंड अकाउंट (जीपीएफ) में डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति मालूम है. कर्मचारियों को जल्द डीए मिलेगा.