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महंगाई भत्ता नहीं देने पर सरकार पर कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, आंदोलन की दी चेतावनी - कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल

6 महीने गुजर जाने के बाद भी कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता नहीं मिल पा रहा है, जिस पर कर्मचारियों ने नाराजगी जताई है और कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी है कि अगर मांग को पूरा नहीं किया जाता है, तो आंदोलन किया जायेगा.

Kamal Nath government not given dearness allowance
महंगाई भत्ते पर कमलनाथ सरकार नहीं कर पाई फैसला
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Published : Jan 21, 2020, 8:45 PM IST

भोपाल। कांग्रेस सरकार बनाने में कर्मचारियों का अहम योगदान रहा है. कर्मचारियों को रिझाने के लिए कांग्रेस ने कई वचन भी दिए थे. हालांकि इन वचनों को निभाने में कमलनाथ सरकार नाकाम रही. ताजा मामला महंगाई भत्ता का है, जिसको लेकर कर्मचारियों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है.

मंगाई भत्ते नहीं देने पर कर्मचारियों का फूटा गुस्सा


दरअसल प्रदेश में कांग्रेस ने वादा किया था कि कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता दिया जायेगा, लेकिन 1 जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को 5 फीसदी महंगाई भत्ता देने का ऐलान किया, जिसकी घोषणा तो हो गई थी, लेकिन कर्मचारियों को नहीं दे पाई. चौथे श्रेणी के कर्मचारियों को करीब 1000, तीसरे श्रेणी के कर्मचारियों को 2000, दूसरे श्रेणी के कर्मचारियों को 3000-4000 और प्रथम श्रेणी के कर्मचारियों को 4000 रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है.


कर्मचारियों की नाराजगी यह भी है कि जब भी महंगाई भत्ता का मामला कैबिनेट में रखने की तैयारी की जाती है, तो सरकार वित्तीय संकट का बहाना बनाकर टाल देती है, जबकि हाल ही में सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों की स्वेच्छानुदान की राशि करोड़ों रुपए बढ़ा दी थी. इस पर कर्मचारियों का कहना है कि सरकार जनमूझकर वित्तीय संकट का बहाना बना रही है.


कर्मचारी संघ के महासचिव लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि हम सरकार से अनुरोध करते है कि कर्मचारियों को जल्द से जल्द 5 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाए. इस मामले में कर्मचारी संगठनों की बैठक होने जा रही है, अगर सरकार मांगों को नहीं मानती है, तो कर्मचारी संघ आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.


इस मामले में कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि जब इस प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी, तब कर्मचारियों का 114 महीने का 8614 करोड़ रुपये और पेंशनर्स का 33 माह हजम कर चुकी थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने केंद्र की तिथि के अनुसार ही महंगाई भत्ता दिया है. 5-6 महीने की अवधि में एरियर कर्मचारी के जनरल प्रोविडेंट फंड अकाउंट (जीपीएफ) में डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति मालूम है. कर्मचारियों को जल्द डीए मिलेगा.

भोपाल। कांग्रेस सरकार बनाने में कर्मचारियों का अहम योगदान रहा है. कर्मचारियों को रिझाने के लिए कांग्रेस ने कई वचन भी दिए थे. हालांकि इन वचनों को निभाने में कमलनाथ सरकार नाकाम रही. ताजा मामला महंगाई भत्ता का है, जिसको लेकर कर्मचारियों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है.

मंगाई भत्ते नहीं देने पर कर्मचारियों का फूटा गुस्सा


दरअसल प्रदेश में कांग्रेस ने वादा किया था कि कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता दिया जायेगा, लेकिन 1 जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को 5 फीसदी महंगाई भत्ता देने का ऐलान किया, जिसकी घोषणा तो हो गई थी, लेकिन कर्मचारियों को नहीं दे पाई. चौथे श्रेणी के कर्मचारियों को करीब 1000, तीसरे श्रेणी के कर्मचारियों को 2000, दूसरे श्रेणी के कर्मचारियों को 3000-4000 और प्रथम श्रेणी के कर्मचारियों को 4000 रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है.


कर्मचारियों की नाराजगी यह भी है कि जब भी महंगाई भत्ता का मामला कैबिनेट में रखने की तैयारी की जाती है, तो सरकार वित्तीय संकट का बहाना बनाकर टाल देती है, जबकि हाल ही में सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों की स्वेच्छानुदान की राशि करोड़ों रुपए बढ़ा दी थी. इस पर कर्मचारियों का कहना है कि सरकार जनमूझकर वित्तीय संकट का बहाना बना रही है.


कर्मचारी संघ के महासचिव लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि हम सरकार से अनुरोध करते है कि कर्मचारियों को जल्द से जल्द 5 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाए. इस मामले में कर्मचारी संगठनों की बैठक होने जा रही है, अगर सरकार मांगों को नहीं मानती है, तो कर्मचारी संघ आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.


इस मामले में कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि जब इस प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी, तब कर्मचारियों का 114 महीने का 8614 करोड़ रुपये और पेंशनर्स का 33 माह हजम कर चुकी थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने केंद्र की तिथि के अनुसार ही महंगाई भत्ता दिया है. 5-6 महीने की अवधि में एरियर कर्मचारी के जनरल प्रोविडेंट फंड अकाउंट (जीपीएफ) में डाला जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति मालूम है. कर्मचारियों को जल्द डीए मिलेगा.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में कर्मचारियों का अहम योगदान रहा है। कर्मचारियों को रिझाने के लिए कांग्रेस ने कई वचन भी दिए थे। कमलनाथ सरकार इन वचनों को निभाने में नाकाम नजर आ रही है। ताजा मामला महंगाई भत्ता का है। जिसको लेकर कर्मचारियों की नाराजगी कमलनाथ सरकार से बढ़ रही है और कर्मचारी आंदोलन का मन बना रहे हैं।दरअसल प्रदेश में परंपरा रही है और कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में वादा भी किया था कि प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र की तिथि से और केंद्र के समान महंगाई भत्ता दिया जाएगा। लेकिन जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 5 फ़ीसदी महंगाई भत्ते का ऐलान किया,जो मप्र सरकार अब तक अपने कर्मचारियों को नहीं दे पाई है। जिसको लेकर कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ रही है। फिलहाल कर्मचारी सरकार के रुख का इंतजार कर रहे हैं।क्योंकि सरकार लगातार वचन निभाने की बात कर रही है और अगर ज्यादा लेटलतीफी हुई, तो कर्मचारी आंदोलन का रास्ता पकड़ सकते हैं।


Body:दरअसल, 5 फ़ीसदी महंगाई भत्ता प्रदेश के कर्मचारियों को 1 जुलाई 2019 से मिलना है। लगभग 7 महीने का समय बीत चुका है। सरकार द्वारा अभी तक महंगाई भत्ता नहीं दिए जाने से कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ रही है।इसका प्रमुख कारण यह है कि कर्मचारियों को बाजार में महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। अगर देखा जाए तो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को करीब 1000, तृतीय श्रेणी के कर्मचारी को 2000, द्वितीय श्रेणी के कर्मचारी को तीन से चार हजार और प्रथम श्रेणी के कर्मचारी को 4000 रूपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कर्मचारियों की नाराजगी का ये भी कारण है कि जब भी महंगाई भत्ता का मामला कमलनाथ कैबिनेट में रखने की तैयारी होती है। तो हमेशा सरकार वित्तीय संकट का बहाना बनाकर टाल देती है। जबकि हाल ही में सरकार ने मुख्यमंत्री-मंत्रियों की स्वेच्छानुदान की राशि करोड़ों रुपए बढ़ा दी गई है। इस स्थिति में कर्मचारियों का मानना है कि सरकार कर्मचारियों को लेकर वित्तीय संकट का बहाना बना रही है। जो वचन पत्र में कर्मचारी की हित की बातें लिखी गई हैं, उसकी कथनी और करनी में अंतर नजर आ रहा है। कर्मचारी मान रहे हैं कि उनके प्रति सरकार का व्यवहार निष्ठुर है।

वही अभी तो केंद्र से मध्यप्रदेश महंगाई भत्ते में 5 फ़ीसदी पीछे है। लेकिन जो खबरें मिल रही हैं, उसके अनुसार केंद्र सरकार जनवरी 2020 में अपने कर्मचारियों को 6 से 7 फ़ीसदी महंगाई भत्ता देने वाली है। ऐसी स्थिति में यह अंतर 12 फ़ीसदी से ज्यादा हो जाएगा। कर्मचारियों को लग रहा है कि उन्हें केवल एक झुनझुना पकड़ाया जाएगा। फिलहाल सरकार महंगाई भत्ते को कर्मचारी के जीपीएफ में जमा करने की बात कह रही है।

ऐसे में मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महासचिव लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि हम सरकार से फिर से अनुरोध करना चाहते हैं कि कर्मचारियों को शीघ्रता से 5 फ़ीसदी महंगाई भत्ता दिया जाए। आज ही इस मामले में कर्मचारी संगठनों की बैठक होने जा रही है। यदि सरकार हमारी बात नहीं मानती है। तो निश्चित रूप से प्रदेश के कर्मचारी संघ आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।


Conclusion:वह इस मामले में राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि जब इस प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। तो जब जब केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ता दिया, तो उसके 8 से 10 माह बाद भाजपा सरकार महंगाई भत्ता देती थी। उस अवधि का भुगतान भी कर्मचारियों को नहीं करती थी। इस तरह बीजेपी शासन काल में कर्मचारियों का 114 महीने का 8614 करोड़ रूपये और पेंशनर्स का 33 माह का हजम कर चुकी थी।

उन्होंने कहा कि जब भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही है। तो उसने केंद्र की तिथि से ही महंगाई भत्ता दिया है। पिछले समय जो 7.5 फीसदी महंगाई भत्ता पूरा नगद दिया था। यह भी महंगाई भत्ता नगद दिया जाएगा। जो पांच-छह महीने की अवधि रहेगी, उसका एरियर कर्मचारी के जीपीएफ में डाला जाएगा। इसलिए मैं मध्य प्रदेश के कर्मचारी साथियों से निवेदन करना चाहता हूं कि उन्हें कांग्रेस पार्टी की रीति नीति मालूम है। निश्चिंत रहें, उन्हें जल्द डीए मिलेगा और केंद्रीय तिथि से ही भुगतान होगा।
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