भोपाल। 3 नवंबर को मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं और 10 नवंबर को चुनाव परिणाम आने वाला है. मध्य प्रदेश की राजनीति में पिछले दिनों से जारी खरीद-फरोख्त और दलबदल का सिलसिला एक बार फिर शुरू होने की संभावना है. सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष कांग्रेस एक दूसरे पर विधायक तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस बड़ी बगावत का सामना मार्च महीने में कर चुकी है. ऐसे में कांग्रेस दूध की जली हुई है और छाछ भी फूंक-फूंक पी रही है. भाजपा, कांग्रेस में और तोड़फोड़ ना करें,इसके लिए पूरी कांग्रेस सक्रिय हो गई है. लगातार कमलनाथ और वरिष्ठ नेता अपने विधायकों के संपर्क में हैं और विधायकों से विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय नेताओं को भी विधायक पर नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है.
शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक बयान जारी कर शिवराज सिंह और भाजपा पर आरोप लगाया था कि बीजेपी कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दे रहे हैं. कमलनाथ ने दावा किया कि जिन विधायकों को प्रलोभन दिया गया है, उन विधायकों ने उन्होंने ही ये जानकारी दी है. हार सामने देखकर बीजेपी फिर सौदेबाजी पर उतर आई है. मध्यप्रदेश ये स्वीकार नहीं करेगा. माना जा रहा है कि इस बयान के जरिए कमलनाथ भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी गतिविधियों की उन्हें जानकारी है.
ये भी पढ़ेंः EXIT POLL में शिवराज की बचती दिख रही सरकार, सिंधिया के गढ़ में कांग्रेस आगे
कांग्रेस विधायकों पर निगरानी
कांग्रेस विधायकों से भाजपा के संपर्क की सुगबुगाहट के साथ ही कमलनाथ ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को शुक्रवार शाम को बंगले पर बुलाया और उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर पार्टी के तमाम विधायकों से संपर्क किया. सभी विधायकों से उनकी मनोस्थिति का जायजा लिया और भाजपा द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी.उनसे भी जानकारी ली कि क्या उन्हें भी इस तरह के फोन आ रहे हैं. जिन विधायकों के नाम मीडिया या दूसरे माध्यमों से भाजपा के संपर्क में होने के आए हैं. उन विधायकों से कमलनाथ ने खुद बातचीत की और उन्हें भरोसा दिलाया कि कांग्रेस की सरकार बनने वाली है. कांग्रेस को भरोसा है कि इस बार उनके विधायक नहीं टूटेंगे.
कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को मिली जिम्मेदारी
जिन विधायकों को कांग्रेस कमजोर कड़ी मान रही है और कांग्रेस को लग रहा है कि दबाव या प्रलोभन में वह टूट सकते हैं. ऐसे विधायकों पर कांग्रेस पार्टी ने स्थानीय नेताओं के जरिए नजर रखना शुरू कर दी है. इसके अलावा उनकी गतिविधियों की भी जानकारी जुटाई जा रही है.साथ ही उन इलाकों के वरिष्ठ नेताओं को ऐसी विधायकों से सतत संपर्क रखने उनसे लगातार बातचीत करने और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कहा गया है. जो विधायक किसी नेता विशेष के समर्थक माने जाते हैं, उन नेताओं के कंधों पर जिम्मेदारी है कि उनके गुट के विधायक टूटे ना. लिहाजा दिग्विजय सिंह,अजय सिंह और अरुण यादव जैसे नेता भी लगातार विधायकों के संपर्क में हैं. कमलनाथ अपने विश्वस्त विधायकों पर खुद भी नजर बनाए हुए हैं. वहीं जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, सचिन यादव जैसे विधायक भी इस काम में लगे हुए.
ये भी पढ़ें:सीएम शिवराज का बड़ा आरोप, कहा- हमारे विधायकों को फोन कर रहे कमलनाथ
11 नवंबर को बुलाई कांग्रेस विधायक दल की बैठक
कमलनाथ ने मतगणना के दूसरे दिन विधायक दल की बैठक का ऐलान कर दिया है. हालांकि कमलनाथ यह घोषणा पहले ही कर चुके थे. माना जा रहा है कि विधायकों में विश्वास बनाने और भाजपा का मनोबल गिराने के लिए कमलनाथ ने 11 नवंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक की घोषणा पहले ही कर दी है. खास बात यह है कि इस बैठक में निर्दलीय और बसपा और सपा के विधायकों को भी आमंत्रित किया गया है. इसके जरिए कमलनाथ फिर से सरकार बनाने का संदेश देना चाह रहे हैं.
निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों को साधने की कोशिश
शुक्रवार सुबह बसपा और निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी के मंत्रियों और नेताओं से मुलाकात की है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कमलनाथ भी निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों से संपर्क साधने का सिलसिला शुरू कर चुके हैं. निर्दलीय विधायकों को लेकर कमलनाथ को ज्यादा चिंतित नहीं हैं, लेकिन बसपा के मामले में अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि बसपा और सपा विधायकों का समर्थन कांग्रेस को तभी मिलने की संभावना जब वो सरकार बनाने के बहुत नजदीक होगी.
पूर्व मंत्री ने किया जीत का दावा
कमलनाथ की रणनीतिक टीम का अहम हिस्सा पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि कमलनाथ ने बयान दिया था कि बीजेपी अपने घृणित षड्यंत्र को फिर से मध्य प्रदेश में लागू करने की कोशिश कर रही है. सपा, बसपा,निर्दलीय और कांग्रेस के कुछ विधायकों से संपर्क कर रही है. उन विधायकों ने कमलनाथ को बता दिया कि हमें इतना इतना ऑफर बीजेपी के लोग कर रहे हैं. बीजेपी अपना आत्मविश्वास खो चुकी है,जो आंतरिक रिपोर्ट आई है,वह समझ गए हैं कि 10 नवंबर को जो परिणाम आएंगे उसमें कांग्रेस की सरकार बन रही है.कांग्रेस का विधायक इस समय मजबूत हैं और उन्हें पता है कि कांग्रेस की सरकार बन रही है, तो कहीं जाने की जरूरत नहीं है.