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दृष्टिहीन बच्चों के साथ रक्षा बंधन का त्यौहार मनाते हैं बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय हर साल रक्षाबंधन का त्योहार अनाथ और दृष्टिहीन बच्चों के साथ मनाते हैं, यहां वो बच्चों के साथ अंताक्षरी खेलते हैं फिर उन्हें मनचाहा गिफ्ट भी देते हैं.

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Published : Aug 13, 2019, 7:57 PM IST

कैलाश विजयवर्गीय

इंदौर। परदेसी पुरा के वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के अलावा यहां मौजूद अनाथ और दृष्टिहीन बच्चों के साथ रक्षाबंधन मनाने के लिए हर साल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहुंचते हैं. उनकी कोशिश रहती है कि जिन बच्चों का घर नहीं है या जो बच्चे शारीरिक रूप से अक्षम होते हैं उनके साथ रक्षाबंधन की खुशियां साझा कर सकें.

दृष्टिहीन बच्चों के साथ रक्षा बंधन का त्यौहार

हर साल यहां कैलाश विजयवर्गीय और बच्चों के बीच अंताक्षरी का मुकाबला होता है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय हर साल बच्चों से हार जाते हैं. हारने के बाद वह बच्चों की इच्छा के मुताबिक उन्हें रक्षाबंधन के अवसर पर गिफ्ट देते हैं. इस दौरान सभी दृष्टिहीन बच्चियां कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला को राखी बांधती हैं.

1983 से लगातार यह आयोजन होता रहा है. इसीलिए हर साल वृद्ध आश्रम परिवार और बच्चों को इंतजार रहता है कि कब अंताक्षरी होगी और कब वह कैलाश विजयवर्गी को अंताक्षरी में हरा सकेंगे.

इंदौर। परदेसी पुरा के वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के अलावा यहां मौजूद अनाथ और दृष्टिहीन बच्चों के साथ रक्षाबंधन मनाने के लिए हर साल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहुंचते हैं. उनकी कोशिश रहती है कि जिन बच्चों का घर नहीं है या जो बच्चे शारीरिक रूप से अक्षम होते हैं उनके साथ रक्षाबंधन की खुशियां साझा कर सकें.

दृष्टिहीन बच्चों के साथ रक्षा बंधन का त्यौहार

हर साल यहां कैलाश विजयवर्गीय और बच्चों के बीच अंताक्षरी का मुकाबला होता है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय हर साल बच्चों से हार जाते हैं. हारने के बाद वह बच्चों की इच्छा के मुताबिक उन्हें रक्षाबंधन के अवसर पर गिफ्ट देते हैं. इस दौरान सभी दृष्टिहीन बच्चियां कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला को राखी बांधती हैं.

1983 से लगातार यह आयोजन होता रहा है. इसीलिए हर साल वृद्ध आश्रम परिवार और बच्चों को इंतजार रहता है कि कब अंताक्षरी होगी और कब वह कैलाश विजयवर्गी को अंताक्षरी में हरा सकेंगे.

Intro:दृष्टिहीन और अनाथ बच्चों के चेहरे पर खुशियां लाने से बड़ा कोई भी त्यौहार नहीं होता इसी मान्यता की मिसाल है इंदौर के परदेसी पुरा में स्थित वृद्ध आश्रम में आयोजित होने वाला रक्षाबंधन का पर्व, यहां रक्षाबंधन के अवसर पर होने वाली अंताक्षरी में हर साल भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बच्चों से हार जाते हैं


Body:दरअसल इंदौर के परदेसी पुरा स्थित वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के अलावा यहां मौजूद अनाथ बच्चों को दृष्टिहीन बच्चियों के साथ रक्षाबंधन मनाने के लिए हर साल भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहुंचते हैं इस दौरान यहां कोशिश यही होती है कि जिन बच्चों का घर नहीं है या जो त्योहार नहीं मना सकते उनके साथ रक्षाबंधन की खुशियां साझा की जा सके इसके लिए हर साल यहां कैलाश विजयवर्गीय और बच्चों के बीच अंताक्षरी का मुकाबला होता है यह अंताक्षरी तब तक चलती है जब तक कि कैलाश विजयवर्गी बच्चों से हार न जाएं, कई घंटों तक दोनों तरफ से गाने गाए जाने के बाद जब अकेला से जेवर की हार जाते हैं तो फिर वह बच्चों की इच्छा के मुताबिक उन्हें रक्षाबंधन के अवसर पर गिफ्ट देते हैं इस दौरान सभी दृष्टिहीन बच्चियां कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला को राखी बांधती हैं साथ ही वृद्ध आश्रम के सभी बुजुर्गों को भोजन परोसा जाता है इसके अलावा जिसकी जो तकलीफ होती है वह सा जाकर उसे हल करने का प्रयास किया जाता है अब जबकि 1983 से लगातार यह आयोजन हो रहा है तो अब हर साल वृद्ध आश्रम परिवार और बच्चों को इंतजार रहता है उस अंताक्षरी का जिसमें कि वह अब तक हर विधानसभा चुनाव जीतने वाले कैलाश विजयवर्गी को अंताक्षरी में हरा सके


Conclusion:बाइट कैलाश विजयवर्गीय भाजपा महासचिव
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