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उपचुनाव को लेकर सिंधिया सक्रिय, दौरे और मुलाकातों का सिलसिला हुआ शुरू

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Published : Aug 15, 2020, 2:10 PM IST

Updated : Aug 15, 2020, 2:31 PM IST

भारतीय जनता पार्टी ने भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना लिया हो और उन्हें बराबर सम्मान देकर साध लिया हो, लेकिन आज भी उनके समर्थकों को बीजेपी अपने साथ नहीं ले पा रही है. यही वजह है कि अब सिंधिया बीजेपी नेताओं से मिलकर उनका विश्वास हासिल करना चाहते हैं.

बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना लिया हो और उन्हें बराबर सम्मान देकर साध लिया है, लेकिन आज भी उनके समर्थकों को बीजेपी अपने साथ नहीं ले पा रही है और यही डर ज्योतिरादित्य सिंधिया को सता रहा है. शायद यही वजह है कि अब सिंधिया बीजेपी नेताओं से मिलकर उनका विश्वास हासिल करना चाहते हैं और यही कारण है कि सिंधिया अपने 2 दिवसीय इंदौर दौरे पर हैं. ताकि वे अपने समर्थक तुलसीराम सिलावट को उपचुनाव में बेहतर जीत दिला सकें.

बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि सिंधिया बीजेपी का हिस्सा हैं और उपचुनाव में जीत हासिल करना केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया का विषय नहीं है ये बीजेपी पार्टी की जिम्मेदारी है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के इंदौर दौरे पर कांग्रेस ने पलटवार किया है कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने वजूद के लिए बीजेपी पार्टी के छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर मस्तक टेकने को मजबूर हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद पुराने बीजेपी नेताओं में अंसतोष पैदा हो गया था और यह असन्तोष खुलकर सामने भी आया था. जिसके बाद से बीजेपी में और शामिल कांग्रेस नेताओं को बीजेपी नेता नहीं, बल्कि सिंधिया समर्थक नेता कहा जाने लगा. यहां तक की आज भी उन सभी नेताओं को सिंधिया समर्थक कहा जाता है.

यह जानकारी भी सामने आने लगी कि बीजेपी के पुराने नेता नहीं चाहते हैं कि सिंधिया समर्थक कोई नेता जीते, क्योंकि उनकी जीत के बाद पुराने नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर संकट पैदा हो जाएगा, इसलिए वो नहीं चाहते कि कांग्रेस से नेता उपचुनाव में जीतें. जिसकी भनक लगते ही, सिंधिया ने अपना बर्चस्व बनाए रखने के लिए खुद मैदान में उतरने का तय किया और एक कारण ये भी माना जा रहा है कि संघ ने भी के इस बात को उठाया था, की सिंधिया को बीजेपी के सभी नेताओं से मिलना चाहिए और सिंधिया का इंदौर, उज्जैन का दौरा यही दिखाता है. इस दौरान सिंधिया इंदौर दौरे के दौरान बीजेपी के सभी नेताओं से मिलने उनके घर जाएंगे, यानी सभी विधायक,सांसदों के निवास पर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. यह बताने की कोशिश करेंगे कि वो पार्टी की विचारधारा को अपना चुके हैं और उपचुनावों में मिलकर बेहतर जीत हासिल करेंगे.

बता दें कि सिंधिया आम तौर पर ज्यादा नेताओं के साथ मेल जोल नहीं करते हैं और यह कांग्रेस में रहते हुए हमेशा नजर आया. सिंधिया अक्सर भोपाल तो आते थे, लेकिन सिर्फ होटल में कुछ देर रुककर अपने क्षेत्र में निकल जाया करते थे, लेकिन बीजेपी में आने के बाद पहली बार नेताओं से मेल जोल करते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों पहले दो दिन तक भोपाल में रुके थे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और अब अपने समर्थकों को जिताने के लिए बीजेपी नेताओं से घर-घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं.

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना लिया हो और उन्हें बराबर सम्मान देकर साध लिया है, लेकिन आज भी उनके समर्थकों को बीजेपी अपने साथ नहीं ले पा रही है और यही डर ज्योतिरादित्य सिंधिया को सता रहा है. शायद यही वजह है कि अब सिंधिया बीजेपी नेताओं से मिलकर उनका विश्वास हासिल करना चाहते हैं और यही कारण है कि सिंधिया अपने 2 दिवसीय इंदौर दौरे पर हैं. ताकि वे अपने समर्थक तुलसीराम सिलावट को उपचुनाव में बेहतर जीत दिला सकें.

बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि सिंधिया बीजेपी का हिस्सा हैं और उपचुनाव में जीत हासिल करना केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया का विषय नहीं है ये बीजेपी पार्टी की जिम्मेदारी है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के इंदौर दौरे पर कांग्रेस ने पलटवार किया है कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने वजूद के लिए बीजेपी पार्टी के छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर मस्तक टेकने को मजबूर हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद पुराने बीजेपी नेताओं में अंसतोष पैदा हो गया था और यह असन्तोष खुलकर सामने भी आया था. जिसके बाद से बीजेपी में और शामिल कांग्रेस नेताओं को बीजेपी नेता नहीं, बल्कि सिंधिया समर्थक नेता कहा जाने लगा. यहां तक की आज भी उन सभी नेताओं को सिंधिया समर्थक कहा जाता है.

यह जानकारी भी सामने आने लगी कि बीजेपी के पुराने नेता नहीं चाहते हैं कि सिंधिया समर्थक कोई नेता जीते, क्योंकि उनकी जीत के बाद पुराने नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर संकट पैदा हो जाएगा, इसलिए वो नहीं चाहते कि कांग्रेस से नेता उपचुनाव में जीतें. जिसकी भनक लगते ही, सिंधिया ने अपना बर्चस्व बनाए रखने के लिए खुद मैदान में उतरने का तय किया और एक कारण ये भी माना जा रहा है कि संघ ने भी के इस बात को उठाया था, की सिंधिया को बीजेपी के सभी नेताओं से मिलना चाहिए और सिंधिया का इंदौर, उज्जैन का दौरा यही दिखाता है. इस दौरान सिंधिया इंदौर दौरे के दौरान बीजेपी के सभी नेताओं से मिलने उनके घर जाएंगे, यानी सभी विधायक,सांसदों के निवास पर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. यह बताने की कोशिश करेंगे कि वो पार्टी की विचारधारा को अपना चुके हैं और उपचुनावों में मिलकर बेहतर जीत हासिल करेंगे.

बता दें कि सिंधिया आम तौर पर ज्यादा नेताओं के साथ मेल जोल नहीं करते हैं और यह कांग्रेस में रहते हुए हमेशा नजर आया. सिंधिया अक्सर भोपाल तो आते थे, लेकिन सिर्फ होटल में कुछ देर रुककर अपने क्षेत्र में निकल जाया करते थे, लेकिन बीजेपी में आने के बाद पहली बार नेताओं से मेल जोल करते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों पहले दो दिन तक भोपाल में रुके थे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और अब अपने समर्थकों को जिताने के लिए बीजेपी नेताओं से घर-घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं.

Last Updated : Aug 15, 2020, 2:31 PM IST
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