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झाबुआ की जीत से कमलनाथ सरकार होगी मजबूत, भूरिया को मिल सकता है जीत का 'इनाम' - cm kamalnath

प्रदेश भर की नजर झाबुआ उपचुनाव पर बनी हुई हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को चुनाव जीतने के बाद कमलनाथ सरकार के मंत्री मंडल में जगह मिल सकती है.

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय
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Published : Oct 18, 2019, 11:26 PM IST

भोपाल। 21 अक्टूबर को होने जा रहे झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर प्रदेश भर की नजर है. ये उपचुनाव कमलनाथ सरकार के 10 महीने के कार्यकाल पर जनता की संतुष्टि का पैमाना बताएगा. कांग्रेस आर-पार की लड़ाई लड़ रही है. अगर वो यह चुनाव जीतती है, तो उसका संख्या बल मजबूत होगा.

झाबुआ की जीत से कमलनाथ सरकार होगी मजबूत

कांग्रेस के प्रवक्ता मिथुन सिंह अहिरवार का कहना है कि झाबुआ का उपचुनाव निश्चित रूप से उनकी पार्टी ही जीत रही है. उपचुनाव उनके लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है.उन्होंने कहा कि उनकी संख्या सदन में 121 हुआ करती थी, बाद में भाजपा के दो विधायक आने से 123 हो गई और अब 124 होने वाली है. भूरिया जी बड़े कद के नेता हैं, उनके मंत्रिमंडल में शामिल करना है या नहीं. ये विशेषाधिकार मुख्यमंत्री कमलनाथ का है.

बीजेपी लगातार कांग्रेस की सरकार को अस्थिर बताती आई है हाल ही में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना था कि दीवाली बाद शिवराज सिंह फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे, इसके अलावा भी बीजेपी के कई नेता अलग अलग जगहों पर ऐसी बात कर चुके हैं, अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि किसकी सरकार बनती है या फिर वर्तमान सरकार ही पूरे पांच साल प्रदेश पर राज करेगी.

भोपाल। 21 अक्टूबर को होने जा रहे झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर प्रदेश भर की नजर है. ये उपचुनाव कमलनाथ सरकार के 10 महीने के कार्यकाल पर जनता की संतुष्टि का पैमाना बताएगा. कांग्रेस आर-पार की लड़ाई लड़ रही है. अगर वो यह चुनाव जीतती है, तो उसका संख्या बल मजबूत होगा.

झाबुआ की जीत से कमलनाथ सरकार होगी मजबूत

कांग्रेस के प्रवक्ता मिथुन सिंह अहिरवार का कहना है कि झाबुआ का उपचुनाव निश्चित रूप से उनकी पार्टी ही जीत रही है. उपचुनाव उनके लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है.उन्होंने कहा कि उनकी संख्या सदन में 121 हुआ करती थी, बाद में भाजपा के दो विधायक आने से 123 हो गई और अब 124 होने वाली है. भूरिया जी बड़े कद के नेता हैं, उनके मंत्रिमंडल में शामिल करना है या नहीं. ये विशेषाधिकार मुख्यमंत्री कमलनाथ का है.

बीजेपी लगातार कांग्रेस की सरकार को अस्थिर बताती आई है हाल ही में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना था कि दीवाली बाद शिवराज सिंह फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे, इसके अलावा भी बीजेपी के कई नेता अलग अलग जगहों पर ऐसी बात कर चुके हैं, अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि किसकी सरकार बनती है या फिर वर्तमान सरकार ही पूरे पांच साल प्रदेश पर राज करेगी.

Intro:भोपाल। 21 अक्टूबर को होने जा रहे झाबुआ विधानसभा चुनाव के परिणाम पर सबकी नजर है। क्योंकि यह उपचुनाव कमलनाथ सरकार के 10 महीने के कार्यकाल पर जनता की संतुष्टि का पैमाना बताएगा। एक तरह से यह चुनाव कांग्रेस के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है। कांग्रेस आर-पार की लड़ाई लड़ रही है।क्योंकि अगर कांग्रेसी यह चुनाव जीतती है, तो उसका संख्या बल मजबूत होगा और बीजेपी से बार-बार सरकार गिराने की मिलने वाली धमकियां कमजोर पड़ जाएंगी। एक बात जरूर है कि कांतिलाल भूरिया जैसे वरिष्ठ नेता चुनाव जीतकर आएंगे। तो स्वाभाविक रूप से वह मंत्री पद के दावेदार होंगे। सरकार को स्थिर रखने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार में एक और दावेदार बढ़ जाएंगा।


Body:झाबुआ उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस के ज्यादातर मंत्री झाबुआ में डेरा डाले हुए हैं। हालांकि कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतारा है और मुकाबले में बीजेपी ने युवा प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव जीतना रोजाना मिलने वाली सरकार गिराने की धमकियों में राहत देने वाला होगा।कांग्रेस अगर यह चुनाव जीतती है, तो कांग्रेस की खुद मध्य प्रदेश में 115 सीटें हो जाएंगी। फिलहाल कांग्रेस के पास 114 सीटें हैं और मध्य प्रदेश में बहुमत का जादुई आंकड़ा 116 सीट है। मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के लिए चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जिनमें से एक विधायक प्रदीप जायसवाल मंत्री बन चुके हैं और एक और विधायक सुरेंद्रनाथ शेरा आए दिन मंत्री बनने के लिए सरकार पर नाराजगी जाहिर करते रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ बसपा के दो विधायक और सपा के एक विधायक का समर्थन भी कांग्रेस को प्राप्त है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस झाबुआ उपचुनाव जीतकर और मजबूत होगी और 5 साल तक सरकार चलाने में कम परेशानी आएगी।

इसके अलावा बात करें तो कांतिलाल भूरिया की, जो काग्रेस प्रत्याशी हैं। अगर चुनाव जीतते हैं, तो वह स्वाभाविक रूप से मंत्री पद के दावेदार होंगे। क्योंकि कांतिलाल भूरिया का आदिवासी नेताओं में काफी बड़ा कद है। कांतिलाल भूरिया दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इसके अलावा यूपीए सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे हैं और मध्य प्रदेश कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हैं। कांतिलाल भूरिया चुनाव जीतकर आएंगे, तो मंत्री पद के अन्य दावेदारों की अपेक्षा वह काफी मजबूत दावेदार होंगे। मंत्री पद को लेकर वैसे भी कमलनाथ दबाव की स्थिति में हैं। निर्दलीय विधायक कमलनाथ पर लगातार मंत्री पद दिए जाने के लिए दबाव बनाते रहते हैं। इसके अलावा कांग्रेस के भी कई ऐसे विधायक हैं, जो मंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन उन्हें मंत्री पद हासिल नहीं हुआ है। तो समय-समय पर उनकी नाराजगी भी खुलकर जाहिर हो जाती है। अब जब कांतिलाल भूरिया भी विधायक बन जाएंगे। तो इन दावेदारों का एक और प्रतिस्पर्धी बढ़ जाएगा। ऐसी स्थिति में मंत्रिमंडल का संतुलन बनाना कमलनाथ के लिए चुनौतीपूर्ण काम होगा।


Conclusion:इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मिथुन सिंह अहिरवार का कहना है कि झाबुआ का उपचुनाव निश्चित रूप से हम जीत रहे हैं। उपचुनाव हमारे लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। यह जरूर माना जा रहा है कि जो हमारी संख्या सदन में 121 हुआ करती थी, बाद में भाजपा के दो विधायक आने से 123 हो गई और अब 124 होने वाली है। साथ ही साथ झाबुआ की जनता यह बताने वाली है कि पिछले 9 माह में विकास के कार्य जो हुए हैं, उसका क्या परिणाम रहा और कितनी खुश जनता कांग्रेस पार्टी से है। तो अपनी मुहर अपने आशीर्वाद के रूप में झाबुआ की जनता कांग्रेस पार्टी के निशान पर ईवीएम के जरिए लगाने वाली है। यह सुनिश्चित करेगा कि भाजपा के लोगों के मुंह पर करारा तमाचा लगाने वाली है। ताकि वह भूल जाएं कि कांग्रेस की सरकार ने कुछ नहीं किया है। भाजपा के लोग हताश और निराश हैं। झाबुआ का चुनाव परिणाम इस बात को पुष्ट करेगा।

कांतिलाल भूरिया के जीतने पर मंत्री पद की स्वाभाविक दावेदारी को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि भूरिया जी एक सीनियर नेता हैं, आदिवासी समाज से आते हैं। उनका आदर और सम्मान पूरे देश और प्रदेश में हैं ।भूरिया जी बड़े कद के नेता हैं, उनको मंत्रिमंडल में शामिल होना है या नहीं। यह विशेषाधिकार मुख्यमंत्री कमलनाथ का है। मुझे लगता है कि इस बारे में वे ही समय आने पर बता पाएंगे।
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