टीकमगढ़ (कपिल तिवारी): सार्वजनिक जीवन में ऐसे कई नजारे देखने मिल जाएंगे, जहां कोई व्यक्ति छोटा सा राजनीतिक पद हासिल करके ऐसे व्यवहार करता है, जैसे वो देश और दुनिया के सर्वोच्च पद पर पहुंच गया हो. चुनाव के वक्त लोगों के पैरों में गिरकर वोट मांगने वाले पद मिलते ही उन्हीं लोगों से पैर पड़वाने लगते हैं, जिनकी वजह से इस मुकाम पर पहुंचे हैं. लेकिन मोदी सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री और टीकमगढ़ सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक की बात करें, तो अपनी सादगी के लिए जाने जाने वाले डाॅ. वीरेन्द्र कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं.
लोगों को दी पैर न पड़ने की सलाह
दरअसल, इन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ के कार्यालय में एक नोटिस चस्पा किया है. जिसमें उन्होंने उनसे मिलने आने वाले लोगों को पैर ना पड़ने की सलाह दी है. उन्होंने चेतावनी के लहजे में ये भी लिखा है कि, ''अगर पैर छुए, तो सुनवाई नहीं की जाएगी.'' हालांकि चेतावनी को लेकर उनका मानना है कि लोग अनुरोध के बाद भी नहीं मान रहे थे. इसलिए ऐसा लिखा, इसका कोई मतलब नहीं है. मैं चाहता हूं कि जिनकी वजह से मैं इस मुकाम पर हूं, वो मेरी बराबरी से बैठे और अपनी बात कहें.
सांसद कार्यालय में लगा पोस्टर चर्चा का विषय
दरअसल केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅ. वीरेन्द्र कुमार इसलिए चर्चा में है. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ के कार्यालय में एक पोस्टर चस्पा किया है. जिसमें लिखा है कि पैर पड़ना मना है, जिसने पैर छुए उसके काम की सुनवाई नहीं की जाएगी. इस पोस्टर की चर्चा काफी जोर पकड़ रही है. अक्सर ये देखने मिलता है कि पैर न पड़ने पर कई नेता तो अपने समर्थकों से नाराज हो जाते हैं. हालांकि मंत्री जी इस चेतावनी को लेकर कहते हैं कि बार-बार आग्रह करने पर भी लोग पैर पड़ते थे, इसलिए मैंने चेतावनी लिखी है. सुनवाई तो हर व्यक्ति की होगी.
बुंदेलखंड के अपराजित योद्धा कहे जाते हैं वीरेन्द्र कुमार
मूल रूप से सागर के निवासी डॉ. वीरेन्द्र कुमार की बात करें, तो सादगी के लिए मशहूर वीरेन्द्र कुमार अब तक एक भी लोकसभा चुनाव नहीं हारे हैं. उन्होंने चुनावी राजनीति की शुरूआत 1996 से की थी और सागर से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े थे. 2008 के परिसीमन के बाद उन्हें अपना क्षेत्र बदलना पड़ा और 2009 लोकसभा चुनाव से वीरेन्द्र कुमार टीकमगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उनको 28 साल की चुनावी राजनीति में आज तक हार का सामना नहीं करना पड़ा है. इसलिए उन्हें उनके समर्थक बुंदेलखंड के अजेय योद्धा के तौर पर भी संबोधित करते हैं.
कभी बनाते थे पंचर, आज भी करते हैं स्कूटर की सवारी
वीरेन्द्र कुमार का जीवन संघर्ष भरा रहा है. उनके पिता की साइकिल की दुकान थी, जिसके सहारे परिवार का भरण पोषण होता था. छोटी सी उम्र में डाॅ. वीरेन्द्र कुमार अपने पिता की साइकिल की दुकान पर बैठते थे और साइकिल सुधारने और पंचर बनाने का काम करते थे. केंद्रीय मंत्री होते हुई भी सादगी पसंद जीवन जीने वाले वीरेन्द्र कुमार कई बार पंचर सुधारने वालों के साथ बैठ जाते हैं और उन्हें टिप्स भी देते हैं.
उनका पुराना स्कूटर हमेशा चर्चाओं में रहता है. क्योंकि केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद वीरेन्द्र कुमार कई बार स्कूटर से ही आम आदमी की तरह संसदीय क्षेत्र में घूमने निकल जाते हैं. कभी अपनी पत्नी को स्कूटर पर बिठाकर बाजार में सब्जी लेने पहुंच जाते हैं.
क्या कहना है केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार
केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार कहते हैं कि, ''राजनेताओं के पास कितने परेशान लोग आते हैं. नेताओं से पैर छूकर काम की बात करने की परंपरा को मैं अच्छा नहीं मानता हूं. इसलिए मैं लोगों से अनुरोध करता है कि आप पैर मत छूओ, आराम से बैठकर अपनी बात बताओ. ये बहुत अच्छी परंपरा नहीं है कि हर राजनेताओं के पैर पडे जाएं. मैं तो पैर पड़वाना पसंद नहीं करता हूं. बहुत से नेता ऐसा होते हैं, जो पैर छूने लायक भी नहीं हैं. लेकिन परेशान लोग उनके पैर छूते हैं. हमने शुरूआत की है, तो क्षेत्र की जनता समझने लगी है और पैर पड़ना बंद कर दिया है.''
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चेतावनी के बावजूद नहीं मान रहे थे लोग
चेतावनी के सवाल पर उन्होंने कहा कि, ''चेतावनी सिर्फ इसलिए लिखी है कि लोग आग्रह के बावजूद मान नहीं रहे हैं, तो ये तरीका आजमाना पडा. बात सबकी सुनी जाएगी, हमनें तो शुरूआत की है. लेकिन कई नेता इन चीजों को काफी पसंद करते हैं. अगर कोई पांव नहीं छुए, तो नजरें टेडी हो जाती हैं. हम जिन लोगों के कारण है और जिनकी वजह से पद पर पहुंचे हैं. हम उनको ऐसा नहीं बनाना चाहता है कि वो अपनी बात रखने के लिए चरण वंदना करें.''
''हम सबको बराबरी का सम्मान देना चाहते हैं. ये किसी को संदेश देने वाली बात नहीं है. सबके अपने अपने विचार होते हैं. सार्वजनिक जीवन में लोगों के बीच कैसे रहना है और कैसे काम करना है. ये अपने-अपने विचार हैं.''
'हम सबको सम्मान देना चाहते हैं'
मंत्री वीरेंद्र खटीक ने कहा कि, ''जनप्रतिनिधियों को खुद निर्णय लेना चाहिए कि स्वयं के लिए जीना है या समाज के लिए जीना है. अगर समाज के लिए जीने के भाव है, तो समाज में सभी को बराबरी का सम्मान देना, सामने वालों को झुकने नहीं देना, छोटे होने की भावना नहीं आने देना और बराबरी का भाव दिखाकर सम्मान देते हुए आगे बढ़ाना है.''
''हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कहते हैं कि सभी समाज को साथ लेकर आगे बढ़ना है. इसलिए हम उनको झुकने नहीं देना चाहते. अगर वह झुकेंगे, तो पीछे रह जाएंगे और हम आगे बढ जाएंगे. हम सब बराबर है और में बराबरी के साथ सभी को अभिवादन करने की सलाह देता हूं.''