भोपाल। मंदसौर में जहरीली शराब पीने से हुई 11 लोगों की मौत के बाद जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंप दी है. जांच में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. माना जा रहा है कि कुछ और अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है. तीन अगस्त को शिवराज कैबिनेट ने अवैध शराब की बिक्री व निर्माण के खिलाफ कड़े कानून पर मुहर लगा दी है, जिसके अंतर्गत ऐसे लोगों को उम्र कैद से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान है.
Reality Check: मंदसौर में जहरीली शराब ने ली 11 जान, सरकारी फाइल में सिर्फ चार मौत
एसीएस की अध्यक्षता में गठित हुई थी कमेटी
मंदसौर में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले में जांच के लिए गृह विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति गठित की गई थी, समिति ने अपनी रिपोर्ट में सीमावर्ती जिलों से प्रदेश में अवैध शराब की तस्करी की बात कही है. जांच में सामने आया है कि अवैध शराब की तस्करी रोकने में पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाया है, समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों को लगातार शराब दुकानों की चेकिंग करनी चाहिए. समिति ने शराब की बिक्री की भी रसीद देने की सिफारिश की है, ताकि नकली शराब का मामला सामने आने पर पता चल सके कि शराब कहां से खरीदी गई थी.
आरोपियों की हो चुकी है गिरफ्तारी
जहरीली शराब कांड से जुड़े सभी आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, पुलिस ने अवैध शराब के कारोबार से जुड़े दूसरे आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण तोड़ने की भी कार्रवाई की है. राज्य सरकार ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आबकारी अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट से पास करा लिया है. राज्य सरकार ने अवैध शराब की बिक्री और इसके उपयोग से होने वाली मौत के मामलों में उम्र कैद और फांसी तक के कड़े सजा के प्रावधान किए हैं.