भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पीटीएस डॉग 23 वाहिनी भोपाल में विदेशी डॉग के साथ देसी डॉग भी कर्तव्य दिखाते नजर आएंगे. बता दें कि यह भारत में पहली बार हो रहा है कि जब विदेशी डॉग के साथ देसी डॉग चोरों को पकड़ने में पुलिस की मदद करेंगे. कई अपराधों में इनका उपयोग किया जाता है और इन्हें बेहतर तरीके से ट्रेंड किया गया है.
भोपाल में विदेशी डॉग के साथ 20 देसी डॉग शामिल कर दिए गए हैं. जिन्हें 9 महीने की ट्रेनिंग के बाद ट्रेंड किया जाएगा. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन के समय मन की बात में आव्हान किया था कि अब हम स्ट्रीट डॉग को आवारा पशु नहीं कहलाने देंगे. उसे हमें ट्रेंड करके पुलिस का सहयोगी बनाना है, उसी कदम को मध्यप्रदेश में साकार करते हुए भोपाल में 20 देसी डॉग ले आए हैं.
20 डॉग किए गए हैं देसी शामिल
बता दें कि प्रशिक्षण कार्यालय पीटीएस 23वीं वाहिनी में अलग-अलग राज्य से देसी डॉग लाए गए हैं. जिन्हें हम स्ट्रीट डॉग भी कहते हैं और उन्हें शामिल किया गया है. अभी उनकी उम्र कम है और उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू भी कर दिया गया है. वहीं 23वीं वाहिनी के एसपी यूसुफ कुरैशी ने बताया कि इनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है और 9 महीने के बाद वेल ट्रेंड हो जाएंगे. उसके बाद फिर पुलिस के साथ हो रहे अपराधों में खोजबीन और तलाशी के लिए सहयोग करेंगे.
विदेशी डॉग से कम आता है खर्च
एसपी यूसुफ कुरैशी ने बताया कि इन डॉग में विदेशी डॉग से कम खर्च आता है. विदेशी डॉग को यहां का एनवायरनमेंट सूट नहीं करता है. जिसके चलते वह बीमार होते रहते हैं और उनकी बीमारी में अधिक खर्च होता है. इसके अलावा उन्हें कूलिंग सिस्टम में रखा जाता है. लेकिन यह डॉग यहां के एनवायरनमेंट के अनुरूप हैं और यह बीमार नहीं होते और इनमें खर्च भी विदेशी डॉग के मुताबिक कम होता है. आसानी से यहीं की भाषा समझने में भी सक्षम होते हैं.
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मध्यप्रदेश बना पहला राज्य
देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश बन गया है, जिसने विदेशी डॉग के साथ अब देसी डॉग को भी पीएम के आह्वान के बाद अपनी टीम में शामिल कर लिया है. अब यह डॉग भी अपना कर्तव्य दिखाते नजर आएंगे. हालांकि अभी 20 डॉग को लाया गया है और उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है जो विभिन्न नस्लों के हैं.
मिलिट्री और पैरामिलिट्री में किया जाता है इनका उपयोग
अभी तक इन डॉग का उपयोग मिलिट्री और पैरामिलिट्री में किया जाता था, लेकिन अब पुलिस भी इनका उपयोग शुरू कर देगी. अपराधियों की धरपकड़ और खोजबीन छानबीन के लिए इनकी ट्रेनिंग को उपयुक्त बनाया जाएगा.
आत्मनिर्भर भारत के तहत किया गया है इन्हें शामिल
बता दे कि आत्मनिर्भर भारत के तहत इन्हें शामिल किया गया है. इन्हें भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, जिससे यह स्ट्रीट डॉग कहे जाने वाले अब उपयोगिता में आ जाएं. यह डॉग भारत के अलग-अलग क्षेत्र से लाए गए हैं. जिसमें तमिलनाडु मध्य प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं. बता दें कि अभी 6 नस्ल के डॉग लाए गए हैं. जो 20 की संख्या में हैं. बता दें कि हैदराबाद हरियाणा, हिमाचल से भी डॉग की नस्ल लाई जाएगी.