भोपाल। विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ने सैकड़ों की संख्या में उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में भी इन निर्दलीय प्रत्याशियों के चलते बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगड़ा था. विधानसभा चुनाव 2018 में 151 प्रत्याशी मैदान में थे और वर्तमान में 28 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में 458 निर्दलीय प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया है.
उपचुनाव में 28 सीटों पर 458 से ज्यादा स्वतंत्र उम्मीदवारों ने पर्चे भरे हैं. इनमें से कुछ ऐसे हैं, जो कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. हालांकि इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने प्रयास किया था कि निर्दलियों को घर बैठा दिया जाए. इसके लिए बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा को जिम्मेदारी दी गई थी. तो वहीं कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह और गोविंद सिंह को इन प्रत्याशियों को पर्चा वापस लेने की जिम्मेदारी दी थी.
पढ़ें:कमलनाथ के 'आइटम' के बाद अजय सिंह का 'टिकाऊ माल' सियासी मार्केट में !
सबसे ज्यादा 43 निर्दलीय उम्मीदवारों ने मेहगांव से भरा नामांकन
2018 के विधानसभा चुनाव में भिंड जिले की अटेर सीट से प्रदेश के सर्वाधिक 25 और मेहगांव से 23 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. लेकिन इस बार यह संख्या और ज्यादा बढ़ गई है. इस बार उपचुनाव में मेहगांव से 43 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं और सुरखी से 30 तो बड़ा मलहरा से 27 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं.
जितने वोट निर्दलीय को मिले, उतना ही था हार जीत का अंतर
पोहरी में पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 10 हजार वोट निर्दलीय प्रत्यशियों को मिले थे. जिसमें ये 9 उम्मीदवार शामिल थे. इस सीट पर हार जीत का अंतर भी यही था. इसके साथ ही बमोरी में भी केएल अग्रवाल के अलावा चार निर्दलीय मिलकर 11 हजार से अधिक वोट ले काट ले गए थे.
पढ़ें: वोट के लिए कांग्रेसी कार्यकर्ता के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाए शिवराज के मंत्री, कांग्रेस ने कसा तंज
क्या कहते हैं आंकड़े
- 28 सीटों पर 458 उम्मीदवारों ने किया है नामांकन दाखिल
- मतलब 60 प्रतिशत से अधिक हैं निर्दलीय उम्मीदवार
- 2018 विधानसभा चुनाव में 151 उम्मीदवार थे निर्दलीय
- 4 निर्दलीय उम्मीदवारों ने बदले थे नतीजे
- 2018 में इन चार सीटों पर बदले थे चुनाव परिणाम
बमोरी विधानसभा में हार जीत का अंतर
कांग्रेस के महेंद्र सिंह सिसोदिया को 64,598 वोट और बीजेपी के बृजमोहन आजाद को 36,678 वोट मिले. निर्दलीय उम्मीदवार कन्हैयालाल अग्रवाल 28,488 वोट ले गए थे. सिसोदिया को 27,202 वोटों से जीत हासिल हुई थी. अब इस बार कन्हैयालाल अग्रवाल कांग्रेस की तरफ से उपचुनाव में प्रत्याशी हैं. अंबाह से निर्दलीय प्रत्याशी नेहा किन्नर ने भी सारे समीकरण बदले थे. कांग्रेस के कमलेश जाटव को 37,343 वोट और भाजपा के गब्बर सखवार को 29,715 वोट मिले थे. निर्दलीय नेहा किन्नर ने 29,796 वोट के साथ नतीजे बदले थे. अब कमलेश जाटव भाजपा की तरफ से प्रत्याशी हैं और कांग्रेस ने सत्यप्रकाश सखवार को मैदान में उतारा है. नेहा किन्नर के इस बार मैदान में ना होने से दोनों दलों को राहत है.
पढ़ें: बीजेपी नेताओं की शिकायत करने EC पहुंचे दिग्विजय सिंह, पोस्टल बैलेट पर भी उठाए सवाल
हरदीप सिंह डंग 350 वोट से जीते थे
मंदसौर की सुवासरा सीट से कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग 350 वोटों से जीते थे. विधानसभा चुनाव 2018 में हरदीप सिंह डंग को 93,169 वोट और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राधेश्याम पाटीदार को 92,819 वोट मिले थे और निर्दलीय प्रत्याशी ओम सिंह भाटी को 10,273 वोट मिले थे. यानी सिर्फ 350 वोट का अंतर था हार व जीत के लिए, हालांकि इस बार सुवासरा से निर्दलीय प्रत्याशी भाटी चुनाव मैदान से बाहर हैं, इसके चलते अब दोनों उम्मीदवारों को राहत है.
बदनावर में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का कारण भी थे निर्दलीय
विधानसभा चुनाव 2018 में बदनावर से कांग्रेस के प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को 84,449 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के प्रत्याशी भंवर सिंह शेखावत को 42,993 वोट मिले थे. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी राजेश अग्रवाल को 30,979 वोट मिले थे. यानी कांग्रेस प्रत्याशी 41,506 वोटों से जीते थे. मतलब यह कि निर्दलीय प्रत्याशी से 10,000 वोटों का अंतर था.
विधानसभा उपचुनाव में 28 सीटों पर कुल 458 निर्दलीय प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भरा है. अब देखना यही होगा कि क्या यह निर्दलीय एक बार फिर 2018 की तरह बीजेपी कांग्रेस का गणित बिगाड़ते हैं या उपचुनाव में क्या कोई अलग तस्वीर सामने आएगी.