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आपका बच्चा भी स्मार्ट फोन पर घंटों खेलता है गेम, तो हो जाइए सावधान: मनोचिकित्सिक - आत्महत्या   के मामले

टेक्नोलॉजी के इस जमाने में पेरेंट्स कम उम्र में ही अपने बच्चों को मोबाइल उपलब्ध करा देते हैं. जो आगे पेरेंट्स और उनके बच्चों के लिए हानिकारक होता है.

भोपाल
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Published : May 19, 2019, 9:48 PM IST

भोपाल। मोबाइल का बढ़ता क्रेज युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. राजधानी भोपाल में पिछले 2 महीने में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जिसमें पेरेंट्स द्वारा बच्चों से मोबाइल फोन वापस मांगने पर उन्होंने खुदकुशी कर ली. मनोचिकित्सक ने मुताबिक बच्चों को जितना हो सके मोबाइल फोन से दूर रखें.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने बताया कि टेक्नोलॉजी के इस जमाने में पेरेंट्स कम उम्र में ही अपने बच्चों को मोबाइल उपलब्ध करा देते हैं. जो आगे पेरेंट्स और उनके बच्चों के लिए हानिकारक होता है. ऐसे में पेरेंट्स खुद बच्चों के सामने मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल ना करें और ना ही बच्चों को ऐसा करने दें.

मनोचिकित्सक ने कहा कि बच्चों को बारहवीं कक्षा के बाद ही मोबाइल फोन देना चाहिए. इससे पहले मोबाइल फोन देने से बच्चे फोन के आदी हो जाते हैं और अगर बच्चों को फोन के प्रयोग करने से रोका जाता है तो वह आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं.

उन्होंने एक मामले की ज्रिक करते हुए कहा कि भोपाल में 26 अप्रैल को कोलार रोड स्थित जानकी अपार्टमेंट में आठवीं कक्षा की छात्रा ने छठवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. बाद में जांच में यह सामने आया था कि बच्चे की मां ने उसे फोन इस्तेमाल करने से मना कर दिया था. जिसके कारण नाराज छात्रा ने छठी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. एक और मामले का जिक्र करते हुए कहा कि पिपलानी में 23 अप्रैल को 20 वर्षीय उर्वशी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी उसे भी उसकी मां ने ज्यादा फोन इस्तेमाल करने पर डांटा था.

भोपाल। मोबाइल का बढ़ता क्रेज युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. राजधानी भोपाल में पिछले 2 महीने में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जिसमें पेरेंट्स द्वारा बच्चों से मोबाइल फोन वापस मांगने पर उन्होंने खुदकुशी कर ली. मनोचिकित्सक ने मुताबिक बच्चों को जितना हो सके मोबाइल फोन से दूर रखें.

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य

मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य ने बताया कि टेक्नोलॉजी के इस जमाने में पेरेंट्स कम उम्र में ही अपने बच्चों को मोबाइल उपलब्ध करा देते हैं. जो आगे पेरेंट्स और उनके बच्चों के लिए हानिकारक होता है. ऐसे में पेरेंट्स खुद बच्चों के सामने मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल ना करें और ना ही बच्चों को ऐसा करने दें.

मनोचिकित्सक ने कहा कि बच्चों को बारहवीं कक्षा के बाद ही मोबाइल फोन देना चाहिए. इससे पहले मोबाइल फोन देने से बच्चे फोन के आदी हो जाते हैं और अगर बच्चों को फोन के प्रयोग करने से रोका जाता है तो वह आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं.

उन्होंने एक मामले की ज्रिक करते हुए कहा कि भोपाल में 26 अप्रैल को कोलार रोड स्थित जानकी अपार्टमेंट में आठवीं कक्षा की छात्रा ने छठवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. बाद में जांच में यह सामने आया था कि बच्चे की मां ने उसे फोन इस्तेमाल करने से मना कर दिया था. जिसके कारण नाराज छात्रा ने छठी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. एक और मामले का जिक्र करते हुए कहा कि पिपलानी में 23 अप्रैल को 20 वर्षीय उर्वशी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी उसे भी उसकी मां ने ज्यादा फोन इस्तेमाल करने पर डांटा था.

Intro:मोबाइल का बढ़ता क्रेज युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है राजधानी में पिछले 2 माह में ऐसे कई के साथ चुके हैं जिसमें पेरेंट्स द्वारा बच्चों से मोबाइल फोन लिए जाने के बाद युवाओं ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया इसी विषय में हमने बात की मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य से उन्होंने बताया कि 6 साल की उम्र तक के बच्चों को मोबाइल देना कितना खतरनाक साबित हो सकता है बच्चों को जितना हो सके मोबाइल फोन से दूर रखें अतः यदि बच्चों को कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार भी पैरंट्स को ही होना पड़ेगा


Body:मोबाइल फोन का बढ़ता क्रेज युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है राजधानी में पिछले 2 माह में ऐसे कई के साथ चुके हैं जिसमें पेरेंट्स द्वारा बच्चों से मोबाइल फोन लिए जाने के बाद युवाओं ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है मनोचिकित्सक का कहना है कि टेक्नोलॉजी के इस जमाने में पेरेंट्स कम उम्र में ही अपने बच्चों को मोबाइल दे देते हैं जो आगे पेरेंट्स और उनके बच्चों के लिए हानिकारक होता है ऐसे में पेरेंट्स खुद बच्चों के सामने मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल ना करें और ना ही बच्चों को करने दे साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों को बारहवीं कक्षा के बाद ही मोबाइल फोन दे इससे पहले मोबाइल फोन देने से बच्चे फोन के आदी हो जाते हैं और अगर उन्हें इसका प्रयोग करने से रोका जाता है तो वह आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं 26 अप्रैल को कोलार रोड स्थित जानकी अपार्टमेंट में आठवीं कक्षा की छात्रा ने छठवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी उसकी मां ने उसे फोन इस्तेमाल करने से मना कर दिया था जिससे नाराज छात्रा ने छठी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी वहीं इससे पहले किरण नगर फेस वन पिपलानी में 23 अप्रैल को 20 वर्षीय उर्वशी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी उसे भी माने ज्यादा फोन इस्तेमाल करने से डांटा था और समझाइश दी थी ....


बाइट रूमा भट्टाचार्य मनोचिकित्सक


Conclusion:मोबाइल फोन के बढ़ते चलन से हो रही आत्महत्याओं युवाओं के लिए कितना खतरनाक है स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना मनोचिकित्सक रोमा भट्टाचार्य ने बताया है 6 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को मोबाइल फोन देना पैरंट्स के लिए और बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है कोशिश करें कि बच्चों को बारहवीं कक्षा के बाद ही स्मार्ट फोन से अवगत कराएं
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