भोपाल। मध्यप्रदेश में साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन को लेकर आयकर विभाग की रिपोर्ट अब ईओडब्ल्यू(EOW) के पास पहुंच गई है. आयकर विभाग ने इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज ईओडब्ल्यू को सौंप दिए हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में ईओडब्ल्यू की टीम प्राथमिक जांच दर्ज कर सकती है.
तीन IPS अफसरों पर सबसे पहले कस सकता है शिकंजा
आयकर विभाग की रिपोर्ट ईओडब्ल्यू के पास पहुंचने के बाद माना जा रहा है कि सबसे पहले इस मामले में तीन आईपीएस अफसर और एक राज्य पुलिस सेवा के अफसर पर शिकंजा कस सकता है. इनमें आईपीएस अफसर सुशोभन बनर्जी संजय माने और बी मधुकुमार के नाम शामिल हैं. इसके अलावा राज्य पुलिस सेवा के अफसर अरुण मिश्रा का नाम ही इस रिपोर्ट में है. बताया जा रहा है कि मामले में प्राथमिक जांच दर्ज करने के साथ ही सबसे पहले इन्हीं चार अधिकारियों को तलब किया जाएगा. इनसे लेनदेन को लेकर सवाल जवाब किए जाएंगे. इन अधिकारियों पर आरोप लगे हैं कि इन्होंने अपने निजी वाहन से भोपाल से दिल्ली कैश पहुंचाया है.
दिग्विजय सिंह समेत 64 विधायकों, नेताओं के भी नाम
आयकर विभाग ने जो रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौपी है. बताया जा रहा है कि उसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत 64 विधायकों नेताओं और कारोबारियों के नाम शामिल हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश शासन के कई विभागों के नाम भी इस रिपोर्ट में है. आयकर विभाग की जो रिपोर्ट सामने आई थी. उसमें कई विधायकों मंत्रियों और कारोबारियों के नाम के आगे एक राशि लिखी हुई थी. इसके अलावा सरकारी विभागों के आगे भी कलेक्शन की राशि लिखी हुई थी. लिहाजा इन सभी विधायकों नेताओं और कारोबारियों को ईओडब्ल्यू के सामने लेन देन का पूरा हिसाब किताब देना होगा.
यह है पूरा मामला
दरअसल मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जप्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे. जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे. जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी. जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक की जांच दर्ज करने के आदेश दिए हैं. चूंकि अब यह रिपोर्ट ईओडब्लू के पास पहुंच चुकी है तो माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले को लेकर प्राथमिकी जांच या एफआईआर दर्ज की जा सकती है.