भोपाल: पोल कैश मामले में सीबीडीटी ने जिन तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. उन तक पहुंचने में आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन टीम को खासी मशक्कत करनी पड़ी है. बताया जा रहा है कि आयकर विभाग ने जियो टैगिंग की मदद से आईपीएस अफसरों के कैश ट्रांजैक्शन का पता लगाया है. इस आधुनिक तकनीक से ही आयकर विभाग को आईपीएस अफसरों के मोबाइल लोकेशन के जरिये उनकी पूरी जानकारी मिली और उनके दिल्ली जाने का रूट पता चला.
जियो टैगिंग की मदद से आईटी ने किया IPS अफसरों को ट्रेस
बदलते जमाने के साथ-साथ पुलिस और इन्वेस्टिगेशन विंग की विवेचना का तरीका भी बदल रहा है. आधुनिक जमाने में जांच एजेंसिया भी पूरी तरह डिजिटल हो गई हैं. ऐसी ही एक आधुनिक तकनीक जियो टैगिंग की मदद से आयकर विभाग की टीम ने मध्य प्रदेश कैडर के उन आईपीएस अधिकारियों को ट्रेस किया है, जो मध्य प्रदेश से अपने निजी वाहन में कैश लेकर दिल्ली गए थे. आयकर विभाग की टीम ने आईपीएस अफसरों के मोबाइल फोन की लोकेशन के जरिये पूरे रूट की जानकारी जुटाई है. यहां तक कि अफसर दिल्ली में जिस पांच सितारा होटल में रुके थे वहां की लोकेशन को ट्रेस कर होटल के रिकॉर्ड और बिल को भी जब्त किया गया है. इसी आधार पर इन आईपीएस अफसरों के खिलाफ जांच की बात सीबीडीटी ने चुनाव आयोग से कही है.
क्यों लेनी पड़ी जियो टैगिंग की मदद
बताया जा रहा है कि आयकर विभाग ने अप्रैल 2019 में छापेमारी के दौरान 52 ठिकानों से अलग-अलग दस्तावेजों और फाइलों समेत हिसाब किताब जब्त किया था. इन दस्तावेजों में आईपीएस अफसरों के नाम के आगे कैश की राशि भी लिखी हुई थी. आईपीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए महज दस्तावेजों पर नाम लिखा होना ही काफी नहीं था. लिहाजा आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन टीम ने जियो टैगिंग के जरिए पूरा रूट ट्रेस किया और होटल से भी रिकॉर्ड जब्त किया.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि 8 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इनमें कमलनाथ के करीबी प्रवीण कक्कड़, ओएसडी आर के मिगलानी, कारोबारी अश्विन शर्मा और कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी के घर और दफ्तरों पर छापा मारा गया था. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने सभी ठिकानों से कई दस्तावेज और फाइलों समेत करोड़ों रुपए नगद जब्त किए थे. कार्रवाई के बाद आयकर विभाग की शीर्ष संस्था सीबीडीटी इन दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही थी. जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी गई है. चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में ईओडब्ल्यू एफआईआर दर्ज कर सकता है.