भोपाल। हम अपने आसपास बाल श्रम होते देखते हैं, बच्चों को भीख मांगते देखते हैं, किसी की जबरन शादी होते देखते हैं, परंतु हम कुछ नहीं करते. हमें इस मानसिकता को तोड़ना होगा. यदि आप पीड़ित को बचा नहीं पा रहे हैं तो आप उसकी जिंदगी खराब कर रहे हैं. ह्यूमन ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) को लेकर हमें और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है. यह बात मध्यप्रदेश पुलिस की महिला सुरक्षा शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर कही.
मानव तस्करी सबसे बड़ा क्राइम : अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने कहा कि इस कार्यशाला से जाने के बाद आप जहां भी जाएं, वहां अपना बेस्ट दें. यहां एक्सपर्ट आपको जो भी बताएं, उसके अनुसार उचित कार्रवाई करें, जागरूक बनें और ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने में अपना योगदान दें. इसी कार्यक्रम में ‘आवाज’ एनजीओ के निदेशक प्रशांत कुमार दुबे अपने एनजीओ द्वारा ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए किए जा रहे सामाजिक कार्यों और विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी. ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्राइम का मुद्दा है. पुलिस मुख्यालय में एसआईएसएफ के एआईजी डॉ.वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग व आईटीपीए के संदर्भ में कानूनी पहलुओं और महत्वपूर्ण लॉ के बारे में बताया.
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70 फीसदी महिलाएं व बच्चे शिकार : एआईजी मिश्रा ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हथियार और ड्रग्स के बाद मानव दुर्व्यापार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आपराधिक व्यवसाय है. यह ऐसा अपराध है, जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिए खरीदा, बेचा या बंधक बनाकर रखा जाता है. उन्होंने बताया कि पिछले 5 वर्षों में देश में लगभग 9 करोड़ लोग ह्यूमन ट्रैफिकिंग से प्रताड़ित हुए हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं. यूएन के डेटा के अनुसार प्रति वर्ष प्रत्येक 1000 व्यक्तियों में से 5 व्यक्ति और 1000 बच्चों में से 4 बच्चे प्रताड़ित होते हैं. इस दौरान उन्होंने सीमा पार से ह्यूमन ट्रैफिकिंग पीड़ितों के प्रत्यावर्तन के प्रोटोकॉल के बारे में भी जानकारी दी.