भोपाल। वर्तमान दौर में प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण बड़ी चुनौती बन गया है. तीज-त्योहारों के मौके पर प्लास्टर ऑफ पेरिस और रासायनिक रंगों से बनने वाली प्रतिमाएं प्रदूषण का कारण बनती हैं. इन्हें रोकने के मकसद से मध्यप्रदेश में गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi 2021) के मौके पर मिट्टी से बनाई जाने वाली प्रतिमाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा. राज्य के पर्यावरण मंत्री (Environment Minister) हरदीप सिंह डंग ने पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) को आगामी गणेश चतुर्थी के लिये लोगों को सितंबर के प्रथम सप्ताह में मिट्टी से गणेश मूर्ति बनाने का नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के निर्देश दिये हैं.
डंग ने कहा- पीओपी से बनी और रासायनिक रंगों से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से नदी-तालाबों का जल विषाक्त होता है, हमारी संस्कृति में माटी से बनी गणेश प्रतिमाओं के पूजन की परंपरा है, जो तत्काल पानी में घुल जाती है और पर्यावरण (Save Environment) को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचता है. भारतीय संस्कृति में मिट्टी, गोबर, सुपारी आदि से गणेश का प्रतीक बनाकर पूजने की परंपरा रही है. मंगल कलश में बनने वाले स्वास्तिक को भी गणेश ही माना जाता है. बच्चों को मिट्टी की प्रतिमा बनाना सिखाने के साथ पीओपी के दुष्परिणामों से भी अवगत कराएं, इससे भविष्य में पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता का वातावरण रहेगा.
डंग ने कहा कि पीओपी मूर्तियों का विसर्जन (Immersion of POP Idols) तालाबों और कुंडों की जलभराव क्षमता को भी कम करता है, रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव मनुष्यों और पशुओं में अनेक रोगों को जन्म देता है, पीओपी से बनी मूर्तियां लम्बे समय तक जल में नहीं घुलती, इससे देवी-देवताओं की अवमानना भी होती है. उन्होंने कहा कि एप्को में प्रशिक्षण के दौरान बनायी गयी मूर्ति लोग अपने घर नि:शुल्क ले जा सकेंगे. पूजन के उपरांत मूर्ति का विसर्जन घर पर ही किया जा सकेगा.
राज्य में गणेशोत्सव और दुर्गा उत्सव के समय विभिन्न संस्थाओं द्वारा मिट्टी से बनाई जाने वाली प्रतिमाओं (God Idols Made From Clay) का प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही लोगों को रक्षाबंधन पर भी पर्यावरण हितैषी राखी के उपयोग की सलाह दी जाती है. आगामी समय में उत्सवों का दौर शुरू होने वाला है, उसी को ध्यान में रखकर एप्को ने पहल की है.