भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग अब उन अफसरों पर नकेल कसने जा रहा है, जो लापरवाही बरतकर शिकायतों को काफी समय से लंबित रखे रहते हैं. आयोग ने भोपाल, सीहोर और छतरपुर की घटनाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है. मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग लगातार नोटिस जारी कर इन मामलों में की गई कार्यवाही की जानकारी ले रहा है. प्रशासनिक अधिकारी ऐसे मामलों में जवाब देने से बचने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में महिला से मारपीट : मानव अधिकार आयोग ने नीमच जिले में मनासा निवासी एक महिला के सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम प्रबंधन द्वारा मारपीट किए जाने के आरोपों के संबंध में मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है. इसके मुताबिक, सीहोर के मंडी थाने में इंदिरा मालवीय ने शिकायत कर कहा है कि वह कुबेरेश्वर धाम दर्शन करने आई थी. वहां प्रबंधन समिति के लोगों ने उस पर सोने की चेन चोरी करने का आरोप लगा दिया. उसके साथ मारपीट की गई. जब उसके पास चेन नहीं मिली तो परिजन के फोन नंबर मांगकर धमकी दी गई कि 10 मिनिट में 50 हजार रुपए नहीं दिए तो महिला पर चोरी का केस लगा दिया जाएगा. घरवालों ने समिति के खाते में रुपए डाले, तब जाकर उसे छोड़ा गया. मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, सीहोर से प्रकरण की जांच कर कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.
बागेश्वर धाम में 10 वर्षीय बच्ची की मौत पर सवाल : आयोग ने छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम में 10 साल की बच्ची की मौत के मामले में संज्ञान लिया है. राजस्थान के बाड़मेर से एक महिला अपनी बच्ची को लेकर बागेश्वर धाम पहुंची थी. यहां महंत धीरेंद्र शास्त्री ने बच्ची को भभूति दी और कहा कि यह शांत हो चुकी है, इसे ले जाओ. बच्ची की मौत के बाद सरकारी एंबुलेंस भी नहीं मिली. परिजन उसे 11,500 रुपए में प्राइवेट एंबुलेंस से राजस्थान ले गए. मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, छतरपुर से प्रतिवेदन मांगा है.
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टीकमगढ़ कलेक्टर को पेश होने का नोटिस : मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा तीन अलग-अलग मामलों में कलेक्टर टीकमगढ़ सुभाष कुमार द्विवेदी को 5 अप्रैल 2023 को अनिवार्यतः व्यक्तिगत पेश होकर स्पष्टीकरण व प्रतिवेदन देने के आदेश दिए गए हैं. द्विवेदी को कारण बताओ नोटिस एवं पांच हजार रुपए का नामजद जमानती गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है. नोटिस एवं नामजद जमानती गिरफ्तारी वारंट की तामीली पुलिस अधीक्षक, टीकमगढ़ के माध्यम से कराई जाएगी. आयोग के प्र.क्र. 3228/टीकमगढ़/2020, प्र.क्र. 8230/टीकमगढ़/2021 एवं प्र.क्र. 0742/टीकमगढ़/2022 में कई पदीय स्मरण पत्र एवं नामजद स्मरण पत्र देने के बावजूद प्रतिवेदन न देने के कारण ये फैसला किया गया है. प्र.क्र. 3228/टीकमगढ़/2020 के अनुसार आयोग ने एक खबर पर संज्ञान लिया था. खबर के अनुसार, टीकमगढ़ जिले के पलेरा जनपद में सगरवारा गांव के कालू पाल की पिछले 10 साल से तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. इसी बीच कालू की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी. वह अजीब हरकतें करने लगा. इलाज मिलने पर हालत ठीक हो जाती. जैसे ही इलाज बंद होता, तबीयत फिर बिगड़ जाती. कालू कभी घर से निकल जाता तो कभी लोगों पर पत्थर फेंकने लगता. कभी कुएं में कूद जाता. कालू की पत्नी जयकुंवर ने बताया कि उसका पति किसी को नुकसान न पहुंचा दे इसलिए उसे घर में ही बांधकर रखना मजबूरी थी. कालू एक कमरे में कैद है. उसकी यह हालत इसलिए है क्योंकि गरीबी के कारण मानसिक रोग का इलाज नहीं हो पा रहा है.
पीएम आवास योजना और अतिक्रमण का मामला : अन्य दो मामले भी टीकमगढ़ के हैं. प्र.क्र. 8230/टीकमगढ़/2021 के मुताबिक मामौन दरवाजा, वार्ड नं. 26, टीकमगढ़ निवासी आवेदक शरीफ खान पिता हमीद खां आयोग में आवेदन लगाया था कि पीएम आवास योजना में उसका नाम नहीं जोड़ा गया. उसके खाते में पैसे भी नहीं भेजे गए. कच्चा माल उपलब्ध होने के बावजूद उसे पीएम आवास योजना के तहत आवास मंजूर न कर नगर पालिका, टीकमगढ़ द्वारा परेशान एवं प्रताड़ित किया जा रहा है. इसी प्रकार प्र.क्र. 0742/टीकमगढ़/2022 के मुताबिक तिवारी मोहल्ला, वार्ड क्रमांक 09, खरगापुर, जिला टीकमगढ़ निवासी आवेदक मुकुल तिवारी पुत्र रामनरेश तिवारी व अन्य ने आयोग में शिकायत की थी कि अनावेदक भगवानदास पुत्र रामचरण ताम्रकार द्वारा शासकीय रास्ते पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण कर लिया गया है. तहसीलदार खरगापुर द्वारा आदेश पारित किए जाने के बावजूद सीएमओ खरगापुर द्वारा यह अतिक्रमण अब तक नहीं हटाया गया है.
भोपाल में आईपीएस के बेटे की रैगिंग की शिकायत : मानव अधिकार आयोग ने भोपाल की नेशनल लाॅ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) में आईपीएस अफसर के बेटे के साथ रैगिंग होने के मामले में संज्ञान लिया है. बीते रविवार को यहां ओल्ड बाॅयज हाॅस्टल के तीन छात्रों ने first year में पढ़ने वाले छात्र को जबरदस्ती शराब पिलाने की कोशिश की. मना करने पर उसके साथ मारपीट किए जाने का भी आरोप है. कुलपति के अनुसार, मामले की जांच बोर्ड कर रहा है. आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल तथा रजिस्ट्रार, एनएलआईयू से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में पंद्रह दिन में प्रतिवेदन मांगा है. यह भी पूछा है कि क्या हाॅस्टल परिसर में सुरक्षा के लिये सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. हाॅस्टल परिसर में अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश न कर सकने के संबंध में सुरक्षा के क्या प्रयास किए गए हैं.
भोपाल का बीमा अस्पताल बेहाल : भोपाल के बीमा अस्पताल में बदइंतजामी, मरीजों को पर्चा बनवाने के लिए ओपीडी में एक-एक घंटे तक खड़े रखने, अस्पताल परिसर में गंदगी और पीने के पानी के लिये जंग लगा वाटर कूलर जैसी अन्य अव्यवस्थाओं के बारे में प्रकाशित रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल परिसर में बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. सबसे अधिक परेशानी बुजुर्ग मरीजों को होती है. आयोग ने संचालक, राज्य बीमा चिकित्सा सेवाएं, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.
सरकारी अस्पतालों में बांट दी गईं अमानक दवाएं : आयोग ने भोपाल के जेपी अस्पताल सहित प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में बीते साल अमानक स्तर की दवाएं बांट देने के संबंध में मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है. इसके मुताबिक, मध्यप्रदेश हेल्थ कार्पोरेशन द्वारा की गई जांच में जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक 10 दवाएं मापदंडों के मुताबिक नहीं पाई गईं. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने 28 कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है. मामले में आयोग ने आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं, मप्र शासन, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है. साथ ही पूछा है कि जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक ऐसी कुल कितनी राशि की दवाएं त्रुटिकर्ता कंपनियों ने सप्लाई कीं. दवाओं के अमानक होने से भुगतान राशि को वसूलने या इस संबंध में कंपनियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई.