भोपाल(Bhopal)। सोशल मीडिया पर बिना सोचे समझे पोस्ट करना अब आपको महंगा पड़ सकता है. सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. राज्य सरकार ने इसके लिए गृह विभाग के सचिव को कार्रवाई के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने आदेश जारी कर दिए है.गृह विभाग ने ऐसे मामलों में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 और भारतीय दण्ड संहिता-1860 के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
आईटी एक्ट के तहत इनको किया गया शामिल
जयवाक्य प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-2 (1-बी) के तहत सोशल मीडिया प्लेटफार्म, वेबसाइट, मोबाइल एप की कॉमर्स वेबसाइट, विभिन्न ऑनलाइन एग्रेगेटर, इंटरनेट सेवा प्रदाता, वेब हॉस्टिंग को शामिल किया गया है. इन प्लेटफार्मों पर गैर-कानूनी प्रसारण से समाज में बढ़ रहे अपराधों पर रोक लगाने के लिये ऐसी सामग्री को हटाने के निर्देश दिए गए हैं.
गैर कानूनी पोस्ट डालने पर लगी रोक
डॉ. राजौरा ने बताया कि मध्यवर्ती ने नियंत्रित कम्प्यूटर संसाधन से जुड़ी किसी भी गैर-कानूनी सामग्री की पहुंच को देरी से हटाने या उसे निर्योग्य करने के लिए संबंधित मध्यवर्ती को नोटिस जारी करने का अधिकार सरकार या उसकी किसी एजेंसी को है.
इन विषयों को लेकर पोस्ट पर दें ध्यान
नए निर्देशों के अनुसार सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण संबंधी सामग्री (भादवि 292, 293), आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहन की जानकारी (यूएपीए धारा-12, 16-22), शस्त्र का अवैध विक्रय (शस्त्र अधिनियम धारा-7), हिंसा को प्रोत्साहन, अफवाहों का प्रसार (भादवि धारा-505), अस्पृश्यता से जुड़े अपराध (एट्रोसिटी एक्ट धारा-3), साइबर अपराध (भादवि धारा-364 डी, 354 सी, 507), आत्महत्या को प्रोत्साहन (भादवि 306, 309), भारत के नक्शे का गलत चित्रण, बाल विवाह, वित्तीय धोखाधड़ी, पशु क्रूरता, औषधियों का भ्रामक प्रचार, पटाखों की ऑनलाइन बिक्री को शामिल किया गया हैं.
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निर्धारित फार्मेट में जानकारी नहीं होने पर सचिव गृह कानूनी नोटिस जारी कर सकेंगे. डॉ. राजौरा ने बताया कि विधि विरुद्ध सामग्री का ऑनलाइन प्रसारण अन्य सोशल मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कण्डिका-3 अनुरूप होने की स्थिति में ऐसी सामग्री को अविलम्ब हटाने या उसे निर्योग्य करने के लिये धारा-79 (3) (बी) के अंतर्गत नोटिस जारी करने के लिये सचिव (गृह) पुलिस को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है.
क्या है आईटी एक्ट
आईटी एक्ट को 2000 में पास किया गया था. विवादास्पद धारा 66(A) को शामिल नहीं किया गया था. 2008 में इस एक्ट में संशोधन करके धारा 66(A) को जोड़ा गया था. यह धारा इलेक्टॉनिक डिवाइसेज पर आपत्तिजनक कंटेट पोस्ट करने के संबंध में है. इसके तहत दोषियों को तीन साल की जेल या 5 लाख रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को खत्म कर दिया था. लेकिन उसके बाद भी धारा 66 (A) के तहत कई बार गिरफ्तारी की गई.
आखिर धारा 66 A क्या है
कोई झूठी सूचना अगर वो सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई है और अगर इसे इलेक्टॉनिक डिवाइसेज के जरिए किसी को नुकसान पहुंचाने, असुविधा पहुंचाने, खतरा पैदा करने, अपमान करने और चोट पहुंचाने के लिए किया जाए.
कोई भी ऐसी सूचना जो आपत्तिजनक हो
इस तरह के अपराध करने वालों को दो-तीन साल की सजा हो सकती है साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है.