भोपाल| वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस बार सरकार को लॉकडाउन लागू करना पड़ा, लेकिन प्रदेश के किसानों की मेहनत और उनका जज्बा इस बार सबसे ऊपर रहा है, यही वजह है कि प्रदेश के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा गेहूं खरीदी की गई है, गेहूं खरीदी के मामले में मध्यप्रदेश पंजाब के बाद देश में दूसरे स्थान पर है. इस व्यापक संकट में भी गेहूं विक्रय के लिये 20 मई तक 19.52 लाख किसानों ने पंजीयन कराया, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा है.
वहीं पंजीकृत किसानों के उपार्जन केंद्रों पर पहुंचने पर भी उत्साहजनक वृद्धि देखने को मिली. गत वर्ष 19.81 लाख पंजीकृत किसानों में से 9.66 लाख यानी 49 प्रतिशत किसानों ने ही वास्तविक तौर पर उपार्जन केंद्रों में जाकर अपनी फसल बेची थी, लेकिन इस वर्ष 20 मई तक 19.52 लाख किसानों में 13.87 किसान यानी 71 प्रतिशत किसानों ने खुद उपार्जन केंद्र जाकर अपनी फसल का विक्रय किया.
इस बार किसानों को अपनी फसल बेचने के लिये अन्य माध्यम जैसे सौदा पत्रक और प्राइवेट खरीदी केंद्र की व्यवस्था भी की गई, लेकिन उपार्जन केंद्रों पर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की गई सुदृढ़ व्यवस्था और अन्य सेवाओं के कारण किसानों ने प्राथमिकता से उपार्जन केंद्रों पर जाकर अपनी फसल का सौदा किया.
पिछले साल इसी अवधि में प्रदेश के किसानों से 73.65 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया था, लेकिन इस बार अब तक 15 लाख किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन का उपार्जन किया जा चुका है. अभी भी मई माह को पूरा होने में कुछ दिन बचे हैं. ऐसे में निश्चित तौर पर उपार्जन का यह रिकार्ड और मजबूत होगा, जो अपने आप में एक कीर्तिमान स्थापित करेगा.
खरीदी के साथ-साथ किसानों का भुगतान भी जल्द से जल्द किया जा रहा है. समर्थन मूल्य में उपार्जित गेहूं के विरुद्ध 22 मई तक 12 लाख किसानों को 12 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. सरकार द्वारा भंडारण की भी समुचित व्यवस्था की गई हैं, अब तब उपार्जित गेहूं का 85 प्रतिशत परिवहन कर सुरक्षित भंडारण कराया जा चुका है. उपार्जन और भुगतान की प्रक्रिया सतत रूप से जारी है.