भोपाल| राजधानी में अनलॉक वन की शुरुआत के साथ ही कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, लोगों को मिल रही छूट का असर अब ये हो रहा है कि संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है तो वहीं कई नए हॉटस्पॉट भी बनते जा रहे हैं, राजधानी में पहले जहांगीराबाद क्षेत्र में ही काफी संख्या में मरीज मिले थे लेकिन 1 जून के बाद से शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां 70 से 80 मरीज संक्रमित मिले हैं. इसे देखते हुए प्रशासन की चिंताएं भी बढ़ गई हैं.
कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रमुख स्वास्थ्य सचिव फैज अहमद किदवई ने शहर की कोरोना की स्थिति को लेकर अधिकारियों की बैठक ली है. इस बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि गैस पीड़ित क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाए. इसके अलावा जितने भी शहर में प्राइवेट हॉस्पिटल संचालित किए जा रहे हैं वहां पर आने वाले हर एक मरीज का डाटा प्रशासन के पास भी उपलब्ध होना चाहिए, चाहे वो किसी अन्य बीमारी से ही पीड़ित क्यों ना हो.
इस बैठक के दौरान किदवई ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिले के सभी निजी अस्पतालों, क्लीनिक में उपचार के लिए आने वाले मरीजों का डाटा प्रतिदिन इकठ्ठा किया जाए, इसके साथ ही कोविड पॉजिटिव आने के पूर्व क्या दवाई दी, कब से एडमिट रहे, इसका विवरण भी लिया जाए .
बता दें कि शहर में कोरोना से हुई मौतों में ज्यादातर मरीज पहले से ही अन्य बीमारियों से पीड़ित मिले हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें से सबसे अधिक मरीज गैस पीड़ित थे. यही वजह है कि गैस पीड़ित संगठनों के द्वारा भी पिछले कई दिनों से यह मांग की जा रही थी कि गैस पीड़ित क्षेत्रों में विशेष स्क्रीनिंग अभियान चलाया जाए और इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग की जाए. यही वजह है कि प्रशासन ने आप गैस पीड़ित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है.
बैठक के दौरान अधिकारियों से बातचीत करते हुए किदवई ने कहा कि निजी अस्पतालों से कितनी सर्दी-खांसी और बुखार के मरीज़ों को फीवर क्लीनिक में रेफर किया गया है, इसका भी डाटा निकाला जाए, साथ ही उन अस्पतालों का डाटा भी एकत्रित किया जाए जहां से डाटा नहीं आ रहा है. बैठक में प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि गैस पीड़ित व्यक्तियों की अलग से स्क्रीनिंग हो, 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति हाई रिस्क ज़ोन में है, उनमें सर्दी-खांसी, बुखार के लक्षण दिखने पर अनिवार्यत: सैंपलिंग कराई जाए.
यह सुनिश्चित किया जाए कि सर्दी-खासी, बुखार वाले मरीजों को नजदीकी फीवर क्लीनिक में भेजा जाए, सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट आने तक व्यक्ति को आइसोलेशन में रखा जाए, बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान सबसे ज्यादा जरूरी है इसके लिए कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग को और बेहतर तरीके से किया जाए. शासन द्वारा समय-समय पर जारी की गई एसओपी के पालन के लिए लगातार निरीक्षण किया जाए.
बैठक में कलेक्टर अविनाश लवानिया ने जिले में कारोना संक्रमण से निपटने के लिए चल रही कार्रवाई का प्रेजेंटेशन दिया और बताया की स्लम और घनी बस्तियों में दो दिन का महासर्वे अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें फीवर क्लीनिक के बारे में भी जनजागृति अभियान चलाया गया है, सर्वे में एक साथ, सर्वे, स्क्रीनिंग, सैंपल, सेनेटेजेशन, डेंगू लार्वा की जांच, मलेरिया की जांच, पानी निकासी और फॉगिंग भी कराई जा रही है, दो दिनों में 5 लाख लोगों का सर्वे किया जाएगा और डॉक्टर की सिफारिश पर सैंपलिंग भी कराई जा रही है